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क्या है वीटो पावर जिसका इस्तेमाल कर आतंकी मसूद का बैन प्रपोजल चीन किया रिजेक्ट

पुलवामा आतंकी हमले के बाद आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद के सरगना मसूद अजहर को ग्लोबल आतंकी घोषित करने के प्रस्ताव पर चीन ने एक बार फिर से संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में रूकावट डाल दी है। जबकि अन्य 4 स्थायी सदस्यों, अमेरिका, फ्रांस, ब्रिटेन और रूस, ने मसूद पर बैन का समर्थन किया है। इससे पहले भी चीन ने तीन बार मसूद अजहर को ग्लोबल टेररिस्ट घोषित करने के प्रस्ताव पर वीटो का इस्तेमाल कर अड़ंगा लगाया था। ऐसे में चीन के वीटो पावर को इस तरह इस्तेमाल करने को लेकर बाकी देशों के स्थायी सदस्यों ने आपत्ति दर्ज की है।
जानते हैं क्या है वीटो पावर।

Pratima Jaiswal
Pratima Jaiswal14 Mar, 2019

 

 

क्या है वीटो पावर
मौजूदा समय में यूएन सुरक्षा परिषद के पांच स्थायी सदस्यों चीन, फ्रांस,रूस, यूके और अमेरिका के पास वीटो पावर है। स्थायी सदस्यों के फैसले से अगर कोई सदस्य सहमत नहीं है तो वह वीटो पावर का इस्तेमाल करके उस फैसले को रोक सकता है। यही मसूद के मामले में हुआ। सुरक्षा परिषद के चार स्थायी सदस्य उसे ग्लोबल आतंकी घोषित करने के समर्थन में थे लेकिन चीन उसके विरोध में था और उसने अड़ंगा लगा दिया।

 

कहां से आया वीटो पावर का कांसेप्ट
फरवरी, 1945 में क्रीमिया, यूक्रेन के शहर याल्टा में एक सम्मेलन हुआ था। इस सम्मेलन को याल्टा सम्मेलन या क्रीमिया सम्मेलन के नाम से जाना जाता था। इसी सम्मेलन में सोवियत संघ के तत्कालीन प्रधानमंत्री जोसफ स्टालिन ने वीटो पावर का प्रस्ताव रखा था। याल्टा सम्मेलन का आयोजन युद्ध बाद की योजना बनाने के लिए हुआ था। इसमें ब्रिटेन के प्रधानमंत्री विंसटन चर्चिल, सोवियत संघ के प्रधानमंत्री जोसफ स्टालिन और अमेरिका के राष्ट्रपति डी।रूजवेल्ट ने हिस्सा लिया। वैसे वीटो का यह कॉन्सेप्ट साल 1945 में ही नहीं आया। 1920 में लीग ऑफ नेशंस की स्थापना के बाद ही वीटो पावर वुजूद में आ गया था। उस समय लीग काउंसिल के स्थायी और अस्थायी सदस्यों, दोनों के पास वीटो पावर थी।

 

 

सुरक्षा परिषद के सदस्यों ने दी चीन को चेतावनी
सुरक्षा परिषद के जिम्मेदार सदस्यों ने चीन को चेतावनी देते हुए कहा है कि यदि वह अपनी इस नीति पर ही कायम रहता है तो भी अन्य कार्रवाइयों पर विचार किया जा सकता है। सुरक्षा परिषद के एक डिप्लोमैट ने चीन को चेतावनी देते हुए कहा, ‘यदि चीन इस प्रस्ताव को रोकने की नीति जारी रखता है तो अन्य जिम्मेदार सदस्य सुरक्षा परिषद में अन्य एक्शन लेने पर मजबूर हो सकते हैं। ऐसी स्थिति पैदा नहीं होनी चाहिए।’

 

27 फरवरी को भारत ने शेयर किए थे दस्तावेज
भारत ने अमेरिका और फ्रांस के साथ पुलवामा आतंकी हमले के बाद कुछ महत्वपूर्ण दस्तावेज शेयर किए थे ताकि मसूद के खिलाफ पुख्ता सबूत पेश किया जा सके। फ्रांस, ब्रिटेन और अमेरिका ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की ‘1267 अल कायदा सेंक्शन्स कमिटी’ के तहत अजहर को आतंकवादी घोषित करने का प्रस्ताव 27 फरवरी को पेश किया था।…Next

 

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