दशकों पहले जब भी पानी की किल्लत होती थी. तो सबसे पहले मजाक में मुंह से यही जुमला निकलता था कि ‘लगता है तीसरा विश्वयुद्ध पानी के लिए छिड़ेगा.’ लेकिन बदलते वक्त के साथ पानी पर बढ़ती मारा-मारी को देखकर लगता है जैसे वाकई पानी के लिए तीसरे विश्वयुद्ध जैसी स्थिति नहीं, तो गृहयुद्ध शुरू होने जैसे हालात तो दिखाई ही दे रहे हैं. लातूर में पानी की कमी से उत्पन्न हो रहे हिंसक तनाव की वजह से धारा 144 लगाई गई थी. वहीं महाराष्ट्र के ही मराठवाड़ा में हैंडपंप खींचते-खींचते एक बच्ची की मौत हो गई.
सोमवार आते ही पानी-पानी हो जाती हैं इस देश की लड़कियां
ऐसे दुखद हालात सिर्फ महाराष्ट्र के ही नहीं बल्कि राजधानी दिल्ली में भी देखने को मिल रहे हैं. आपको जानकर हैरानी होगी कि दिल्ली में एक जगह ऐसी है जहां पर महीने में सिर्फ डेढ़ घंटे के लिए पानी आता है. बाकी दिनों में यहां के लोगों को टैंकर या जमा करके रखे गए पानी के भरोसे ही रहना पड़ता है.
ये जगह है संगम विहार. हैरत की बात ये है कि पिछले साल यहां के लगभग सभी घरों में पानी की पाइपलाईन बिछ चुकी है लेकिन अभी इन पाइपलाईनों में पानी आना शुरू नहीं हुआ है. इसी वजह से लोग बोरवेल और टैंकर पर निर्भर रहते हैं. जब भी यहां टैंकर आता है तो ये इलाका किसी जंग के मैदान से कम नहीं लगता. सभी लोगों की कोशिश सिर्फ ज्यादा से ज्यादा पानी भरने की रहती है. इस दौरान गाली-गलौच और मार-पीट होना आम-सी बात हो चली है.
पानी के लिए इस तरह संघर्ष करते-करते हुई लड़की की मौत
यहां के एक स्थानीय निवासी ने बताया कि बोरवेल से पानी मिलने की एवज में हमें 400 रुपए खर्च करने पड़ते हैं. लेकिन फिर भी महीने में डेढ़ घंटे के लिए ही पानी दिया जाता है. इस पानी के खत्म होने के बाद टैंकर बुलाने के लिए 2 हजार लीटर पानी के लिए पूरे इलाके को एक बार में 500 रुपयों तक का भुगतान करना पड़ता है. वहीं हद तो तब हो जाती है जब पैसे देने पर भी महीने में सिर्फ दो बार ही टैंकर की सुविधा मिलती है…Next
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