पिछले कुछ दिनों से सड़क से लेकर संसद तक हर जगह ‘जीएसटी’ बिल का शोर सुनाई दे रहा है. जीएसटी बिल को आर्थिक सुधारों में एक अहम कड़ी के रूप में देखा जा रहा है, लेकिन सुबह से शाम तक अपने काम में व्यस्त रहने वाले लोगों, घर में काम करने वाली महिलाओं और राजनीति में दिलचस्पी न रखने वाले लोगों को अभी भी ‘जीएसटी’ बिल के बारे में ज्यादा कुछ समझ नहीं आ रहा. ऐसे में वे इस बिल पर अपनी राय खुलकर नहीं दे पा रहे हैं. आइए, आप और हम जैसे आमजनों के लिए बनाए गए ‘जीएसटी बिल’ के बारे में हम आपको आसान शब्दों में बताते हैं.
क्या है वस्तु और सेवा कर बिल (जीएसटी)
गुड्स एंड सर्विस टैक्स (जीएसटी) एक अप्रत्यक्ष कर (टैक्स) है. जीएसटी के तहत वस्तुओं और सेवाओं पर एक समान टैक्स लगाया जाता है. जहां जीएसटी लागू नहीं है, वहां वस्तुओं और सेवाओं पर अलग-अलग टैक्स लगाए जाते हैं. जिससे वो वस्तु या सेवा उपभोक्ताओं तक मंहगी होकर पहुंचते हैं. सरकार अगर इस बिल को 2016 से लागू कर देती तो हर सामान और हर सेवा पर सिर्फ एक टैक्स लगेगा यानी वैट, एक्साइज और सर्विस टैक्स जैसे करों की जगह सिर्फ एक ही टैक्स लगेगा. जिससे आमजन को कोई वस्तु या सेवा पहले की अपेक्षा सस्ती मिलेगी.
उदाहरण के तौर पर जैसे- आप किसी रेस्टोरेंट में जाते हैं, वहां जो भी खाना आप ऑर्डर करते हैं, उसपर डिश (व्यंजनों) के दाम के साथ बिल में सर्विस टैक्स (सेवा कर) और वैट लगाया जाता है, जिससे आपको खाने के दाम के अलावा अतिरिक्त पैसे बिल के रूप में चुकाने पड़ते हैं, लेकिन जीएसटी बिल के लागू होने पर उसपर सिर्फ खाने के दाम के अलावा सिर्फ एक ही टैक्स लगाया जाएगा, जिससे आपको रेस्टोरेंट में खाना सस्ता पड़ेगा.
जीएसटी बिल की क्या जरूरत है?
अब आप सोच रहे होंगे कि जीएसटी भी एक तरह का कर या वैट ही है तो फिर इसकी जरूरत ही क्या है?
1. जैसा कि ऊपर बताया गया है कि जीएसटी कर लगने से किसी भी सामान और सेवा का मूल्य आप तक अधिक बढ़कर नहीं पहुंचेगा.
2. जीएसटी भी वैट जैसा ही टैक्स है, लेकिन इसके लागू होने से कई और तरह के टैक्स नहीं लगेंगे. इतना ही नहीं जीएसटी लागू होने से अभी लगने वाले वैट और सेनवेट दोनों खत्म हो जाएंगे.
3. इस बिल से ‘एक देश, एक टैक्स’ की अवधारणा को पूरा करते हुए पूरे देश में सेवा या वस्तु में एक ही कर लगेगा. बेशक, से आप किसी भी राज्य में रहते हुए वो सेवाएं या वस्तु लेते हैं.
आपको होंगे ये फायदें
1. इसके लागू होने से टैक्स का ढांचा पारदर्शी होगा जिससे काफी हद तक टैक्स विवाद कम होंगे.
2. इसके लागू होने के बाद राज्यों को मिलने वाला वैट, मनोरंजन कर, लग्जरी टैक्स, लॉटरी टैक्स, एंट्री टैक्स आदि टैक्स भी खत्म हो जाएंगे.
3. जो सामान खरीदते समय लोगों को उस पर 30-35 प्रतिशत टैक्स के रूप में चुकाना पड़ता है वो भी घटकर 20-25 प्रतिशत पर आ जाने की संभावना है.
4. जीएसटी लागू होने पर कंपनियों और व्यापारियों को भी फायदा होगा. सामान एक जगह से दूसरी जगह ले जाने में कोई दिक्कत नहीं होगी.
5. सामान बनाने की लागत घटेगी तो इससे सामान सस्ता भी होगा.
इस देश में आम आदमी भी है खास, कमाता है 55 लाख रूपये
इन लोगों को होगा नुकसान
चलिए, बात हो गई फायदों की, तो जीएसटी बिल के लागू होने से जिन लोगों का नुकसान होगा, उनकी बात भी कर लेते हैं. देखा जाए तो जीएसटी बिल के अभी तक पास न होने के पीछे इन लोगों का कड़ा विरोध भी बड़ी वजह रहा है.
1. जीएसटी लागू होने से केंद्र को तो फायदा होगा लेकिन राज्यों को इस बात का डर है कि इससे उन्हें नुकसान होगा क्योंकि इसके बाद वे कई तरह के टैक्स नहीं वसूले पाएंगे जिससे उनकी कमाई कम हो जाएगी.
2. इसका सबसे बड़ा असर पेट्रोल व डीजल के दामों पर पड़ेगा जिससे राज्यों की कमाई आधी रह जाएगी, क्योंकि राज्यों रेवन्यू पेट्रोल और डीजल के दामों को वसूलने से ही होता है.
3. लेकिन फिर भी इसका हल निकालते हुए केंद्र ने राज्यों को राहत देते हुए मंजूरी दे दी है कि वे इन वस्तुओं पर शुरुआती सालों में टैक्स लेते रहें. साथ ही राज्यों का जो भी नुकसान होगा, केंद्र उसकी भरपाई पांच साल तक करेगा.
4. बड़े व्यापारियों को भी घाटा होगा, इसके लागू होने से वो मनमर्जी का कर नहीं वसूल सकेंगे.
इन उत्पादों पर लागू होगा ‘जीएसटी बिल’
2014 में पास संविधान के 122वें संशोधन के अनुसार जीएसटी सभी तरह की सेवाओं और वस्तुओं पर लागू होगा, जैसे मोबाइल के बिल से लेकर रेस्त्रा में खाना-पीना. क्रेडिट कार्ड पर खरीदारी से लेकर हवाई सफर. सिर्फ अल्कोहलिक पदार्थ जैसे शराब इस टैक्स के दायरे से बाहर होगा.
देश को होंंगे ये फायदें
1. इस बिल से एक देश और एक दर की अवधारणा पूरी होगी.
2. राज्यों को मिलेगा टैक्स में हिस्सा.
3. टैक्स वसूल करने में होगी आसानी
4. जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद बढ़ने की संभावना)
5. आर्थिक सुधारों में साबित हो सकता है सबसे अहम कड़ी
6. कारोबार करने में होगी आसानी
7. सेवाएं सस्ती होने से आम आदमी पर नहीं पड़ेगा अतिरिक्त बोझ
साल 2000 से लटका पड़ा था ‘जीएसटी बिल’
जीएसटी बिल का ड्राफ्ट सबसे पहले साल 2000 में वाजपेयी सरकार द्वारा एक कमेटी बनाकर रखा गया था लेकिन विपक्ष के हंगामे और राज्य सरकारों के विरोध की वजह से 2004, 2006, 2011, 2013, 2014 में अलग-अलग वजहों और पड़ावों से गुजरते हुए बिल पास नहीं हो सका. 2015 में अरूण जेटली ने बिल को, 2016 में लागू करने का ऐलान किया.
कुछ अन्य महत्वपूर्ण तथ्य
1. इस व्यवस्था की कामयाबी के लिए सबसे जरूरी है कि राज्यों और केंद्र सरकारों को मिलकर काम करने का दबाव बढ़ जाएगा.
2. ऐसी उम्मीद जताई जा रही है कि नई व्यवस्था में 10 लाख रुपये से लेकर 1.5 करोड़ रुपये तक का कारोबार करने वालों पर राज्य सरकार की व्यवस्था चलेगी.
3. वहीं दूसरी तरफ 1.5 करोड़ रुपये से ज्यादा के कारोबार करने वालों पर केंद्र और राज्य सरकारें, दोनों की व्यवस्था चलेगी.
उम्मीद है अब आपको आसान शब्दों में ‘जीएसटी बिल’ से जुड़े हुए हर सवालों का जवाब मिल गया होगा, लेकिन फिर अगर जीएसटी से जुड़े किसी अन्य पहलू के बारे जानना चाहते हैं, तो स्टोरी के नीचे दिए गए कमेंट बॉक्स में अपना सवाल पूछ सकते हैं…Next
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