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क्या है करतारपुर कॉरिडोर प्रोजेक्ट जिसे मंजूरी मिलने से 70 साल पुराना इंतजार होगा खत्म, जानें खास बातें

“ईश्वर मनुष्य के हृदय में बसता है, अगर हृदय में निर्दयता, नफरत, निंदा, क्रोध आदि विकार हैं तो ऐसे मैले हृदय में परमात्मा बैठने के लिए तैयार नहीं हो सकते हैं।”
गुरुनानक देव की ऐसे ही अनमोल विचारों को याद करते हुए आज गुरुपर्व बड़े ही प्रेम और श्रद्धा के साथ बनाया जा रहा है। गुरुनानक देव ने समाज में फैली कुरीतियों को खत्म करने के लिए अनेक यात्राएं की थी। जिसमें पाकिस्तान के अलावा कई अरब देश भी शामिल थे। गुरुनानक ने करतारपुर (पाकिस्तान) नामक स्थाकन पर एक नगर को बसाया और एक धर्मशाला भी बनवाई थी। माना जाता है उन्होंने यहां अपनी जिंदगी के 18 साल गुजारे और 25 सितंबर, 1539 को अपना शरीर त्याग दिया। इस जगह पर दोनों देशों से ही नहीं बल्कि कई देशों के लोग यहां आते हैं। मोदी सरकार ने श्रद्धालुओं के लिए एक बड़ा फैसला लिया है। सिख श्रद्धालुओं के लिए करतारपुर कॉरिडोर को खोला जाएगा। केंद्र सरकार ने अगले वर्ष गुरु नानक देव की 550वीं जयंती मनाने के लिए करतारपुर कॉरिडोर को मंजूरी देकर बड़ा फैसला लिया है। गुरुवार को कैबिनेट मीटिंग में करतारपुर कॉरिडोर को लेकर बड़ा फैसला लिया है। इसी के साथ सिखों का 70 साल लंबा इंतजार खत्म होगा।

Pratima Jaiswal
Pratima Jaiswal23 Nov, 2018

 

 

क्या है करतारपुर कॉरिडोर प्रोजेक्ट
करतारपुर साहिब जिसे करतारपुर गुरूद्वारा भी कहते हैं,पाकिस्तान में है। करतारपुर कॉरिडोर भारत-पाकिस्तान को जोड़ने वाला बॉर्डर कॉरिडोर (बॉर्डर गेट) है। इस कॉरिडोर का मुख्य उद्देश्य गुरुद्वारा साहिब करतारपुर के दर्शन श्रद्धालुओं के लिए आसान बनाना है।

 

कहां है करतारपुर साहिब
ये गुरुद्वारा पाकिस्तान के नारोवाल जिले में है, जो लाहौर से 120 किलोमीटर की दूरी पर है। लेकिन भारत के बॉर्डर से देखो तो इसकी दूरी केवल तीन किलोमीटर है। रावी के किनारे बसे इस गुरुद्वारे के बारे में कहा जाता है कि सबसे पहले इसी गुरुद्वारे का निर्माण हुआ था।

 

 

 

क्यों है खास
सिखों के प्रथम गुरु गुरुनानक देव ने करतारपुर साहिब में अपने जीवन के 18 साल लगाए। श्री करतापुर साहिब गुरुद्वारे को पहला गुरुद्वारा माना जाता है जिसकी नींव श्री गुरु नानक देव जी ने रखी थी। हालांकि, बाद में रावी नदी में बाढ़ के कारण यह बह गया था। इसके बाद वर्तमान गुरुद्वारा महाराजा रंजीत सिंह ने बनवाया था। बताते हैं कि इलाके के गवर्नर दुनी चंद गुरुनानक से पखोके में मिले थे और उन्हें 100 एकड़ जमीन दान दी थी। गुरु नानक ने भेंट स्वीकार की और वहां रहकर एक छोटी इमारत का निर्माण करवाया। यही नहीं उन्होंने वहीं भूमि की जुताई भी की और कई फसलें उगाईं। यह गुरुद्वारा शकरगढ़ तहसील के कोटी पिंड में रावी नदी के पास है। गुरुनानक देव जी से जुड़े होने के कारण ये जगह सिख समुदाय ही नहीं बल्कि गुरुनानक के विचारों में श्रद्धा रखने वाले लोगों के लिए बेहद खास है।

 

 

 

क्या है कैबिनेट के फैसले
कैबिनेट ने फैसला किया है कि डेरा बाबा नानक जो गुरुदासपुर में है, वहां से लेकर इंटरनेशनल बॉर्डर तक एक करतारपुर कॉरिडोर बनाया जाएगा। यह वैसा ही होगा, जैसे कोई बहुत बड़ा धार्मिक स्थल होता है। यहां पर वीजा और कस्टम की सुविधा मिलेगी। इसको व्यापक तरीके से करतार साहिब कॉरिडोर को बनाया जाएगा, यह 3 किलोमीटर का होगा। इसको भारत सरकार पूरी तरह से फंड करेगा। सुल्तानपुर लोदी जो गुरुनानक देवजी के जन्म के साथ संबंधित है, वहां हेरिटेज टाउन के रूप में विकसित किया जाएगा। उसको स्मार्ट सिटी की तरह विकसित होगी।

 

 

इससे पहले पाकिस्तान की ओर से इसी महीने पाकिस्तान के सूचना मंत्री फवाद चौधरी ने ऐलान किया था कि उनका देश करतारपुर बॉर्डर को खोलने जा रहा है और भारतीय तीर्थयात्रियों को बिना वीजा दरबार साहिब जाने की इजाजत होगी। हालांकि, इसके बाद इस मसले पर कुछ नहीं हुआ।
लेकिन भारत ने एक बार फिर पाकिस्तान सरकार से कॉरिडोर को खोले जाने की अपील की है। इस प्रोजेक्ट को मंजूरी मिलने के बाद करीब 70 सालों का इंतजार खत्म जो जाएगा…Next

 

 

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