अभी कुछ समय पहले प्रधानमंत्री मोदी ने देशवासियों को ‘मिशन शक्ति’ के बारे में बताया। भारत ने अंतरिक्ष में महाशक्ति हासिल करते हुए पृथ्वी की निचली कक्षा में 300 किलोमीटर दूर एक सैटलाइट को मार गिराया है। भारतीय वैज्ञानिकों ने इस अभियान को ‘मिशन शक्ति’ नाम दिया था।
देखते ही देखते यह खबर सोशल मीडिया पर छा गई। ऐसे में ज्यादातर लोगों के मन में सवाल है कि क्या है ‘मिशन शक्ति’। आइए, जानते हैं इससे जुड़ी खास बातें।
क्या था ‘मिशन शक्ति’
भारत ने एपीजे अब्दुल कलाम द्वीप लॉन्च कॉम्प्लेक्स से ऐंटी-सैटलाइट मिसाइल का परीक्षण किया। यह डीआरडीओ की ओर से एक तरह का तकनीकी मिशन था। मिसाइल के परीक्षण के लिए जिस सैटलाइट का इस्तेमाल किया गया, वह भारत के उन उपग्रहों में से है, जो पहले ही पृथ्वी की निचली कक्षा में मौजूद हैं। इस परीक्षण के तहत डीआरडीओ ने अपने सभी तय लक्ष्यों को हासिल किया। भारत लंबे समय से स्पेस में सफलताएं हासिल कर रहा है। बीते 5 सालों में यह रफ्तार और तेज हुई है। मंगलयान मिशन की सफल लॉन्चिंग हुई है। इसके बाद सरकार ने गगनयान मिशन को भी मंजूरी दी है। भारत ने इस परीक्षण की सफलता को लेकर पूरी तरह विश्वस्त होने के बाद ही इसे अंजाम दिया।
संदिग्ध सैटेलाइट का किया खात्मा
भारत का बाहरी अंतरिक्ष में हथियारों की रेस में शामिल होने का कोई इरादा नहीं है। यह सिर्फ इसलिए किया गया ताकि कोई संदिग्ध सैटलाइट भारतीय अंतरिक्ष सीमा में प्रवेश न कर सके। इससे दुश्मन देशों के लिए भारत की जासूसी करना मुश्किल होगा। इसके अलावा अंतरिक्ष में भारत के संसाधनों की भी सुरक्षा सुनिश्चित की जा सकेगी। भारतीय रक्षा अनुसंधान संगठन के वैज्ञानिकों का यह परीक्षण किसी देश के खिलाफ नहीं है। भारत की अंतरिक्ष क्षमताएं किसी देश के खिलाफ नहीं है और न ही इनका कोई सामरिक उद्देश्य है।…Next
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