#abhinandanmyhero, #givebackabhinandan कल से सोशल मीडिया पर विंग कमांडो अभिनंदन की वापसी को लेकर ऐसे ही हैशटैग ट्रेंड कर रहे हैं। पाकिस्तान के कब्जे में विंग कमांडो अभिनंदन के कल दो वीडियो सामने आए थे। एक वीडियो में उनकी आंखों में पट्टी बंधी है और वो अपना नाम और सर्विस नम्बर बता रहे हैं जबकि शाम को आए दूसरे वीडियो में अभिनंदन चाय का कप हाथ में थामे हुए पाकिस्तानी मेजर के कुछ सवालों का जवाब देते दिख रहे हैं, वहीं ज्यादातर सवालों का जवाब देने से मना कर रहे हैं। ऐसे में भारतीयों को पाकिस्तान में फंसे अभिनंदन की वापसी का इंतजार है। दूसरा वीडियो सामने आने के बाद विंग कमांडर की बातें सुनकर कुछ राहत जरूर मिली है। कमांडों को सुरक्षित रखना पाकिस्तान के लिए अनिवार्य है क्योंकि ऐसा न करके पाकिस्तान जेनेवा संधि तोड़ेगा। ऐसे में ज्यादातर लोगों के मन में सवाल है कि क्या है जेनेवा संधि और प्रिजनर ऑफ वॉर के अधिकार।
प्रिजनर ऑफ वॉर क्या है
प्रिजनर ऑफ वॉर यानि युद्धबन्दी उस व्यक्ति को कहते हैं जो किसी सशस्त्र संघर्ष के दौरान या तुरन्त बाद दुश्मन देश द्वारा हिरासत में ले लिया गया हो। ये एक तरह का स्टेटस है, जो सिर्फ किसी इंटरनैशनल सशस्त्र युद्ध में लागू होता है जिसमें एक, दो या ज्यादा देश शामिल हों। ये उस तरह के युद्ध में लागू नहीं होता जैसे अमेरिका ने ईराक में हमला किया था।
क्या है जेनेवा संधि
जेनेवा समझौते (Geneva Convention) में कई नियम दिए गए हैं। जेनेवा समझौते में चार संधियां और तीन अतिरिक्त प्रोटोकॉल (मसौदे) शामिल हैं, जिसका मकसद युद्ध के वक्त मानवीय मूल्यों को बनाए रखने के लिए कानून तैयार करना है। मानवता को बरकरार रखने के लिए पहली संधि 1864 में हुई थी। इसके बाद दूसरी और तीसरी संधि 1906 और 1929 में हुई। द्वितीय विश्व युद्ध के बाद 1949 में 194 देशों ने मिलकर चौथी संधि की थी। इंटरनेशनल कमेटी ऑफ रेड क्रास के मुताबिक जेनेवा समझौते में युद्ध के दौरान गिरफ्तार सैनिकों और घायल लोगों के साथ कैसा बर्ताव करना है इसको लेकर दिशा निर्देश दिए गए हैं। इसमें साफ तौर पर ये बताया गया है कि युद्धबंदियों (POW) के क्या अधिकार हैं। साथ ही समझौते में युद्ध क्षेत्र में घायलों की उचित देखरेख और आम लोगों की सुरक्षा की बात कही गई है।
क्या है प्रिजनर ऑफ वॉर के अधिकार
प्रिजनर ऑफ वॉर के साथ उसके सम्मान का खयाल करते हुए व्यवहार किया जाता है।
बंदी बनने की खबर परिवार वालों तक पहुंचाई जाती है। साथ ही इंटरनेशनल कमेटी ऑफ रेड क्रॉस को जानकारी दी जाती है।
बंदी को रिश्तेदारों से बात करने की परमिशन होती है। घर से आया सामान भी उस तक पहुंच जाता है।
बंदी के खाने, पीने, कपड़े, से लेकर ठहरने और मेडिकल की पूरी व्यवस्था की जाती है।
जो काम बंदी करेगा उसकी उसे तनख्वाह मिलेगी। साथ ही उससे ऐसा कोई काम नहीं करवाया जाएगा जिसमें किसी तरह के जान-माल का खतरा हो।
युद्ध के तुरंत बाद उसे छोड़ा जाएगा।
बंदी पर नाम, उम्र, रैंक और सर्विस नंबर के अलावा कुछ और बताने का दबाव नहीं बनाया जा सकता है।
इसके अलावा अगर युद्ध के दौरान बंदी धायल या बीमार मिलता है तो उसे इंटरनेशनल कमेटी ऑफ रेड क्रॉस मदद पहुंचाती है।…Next
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