मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक केंद्र सरकार आरबीआई ऐक्ट के सेक्शन-7 लागू करने पर विचार कर रही है।ये पहली बार है जब आज़ाद भारत की किसी सरकार में आरबीआई के खिलाफ सेक्शन-7 लागू करने पर चर्चा हो रही है। सोशल मीडिया पर भी इसकी ख़ासी चर्चा है और ट्विटर पर RBI Act ट्रेंड कर रहा है।
आरबीआई एक स्वायत्तशासी संस्थान है। यह अपने फैसले खुद करता है। हालांकि, कुछ खास परिस्थितियों में इसे केंद्र सरकार की भी बात सुननी पड़ती है। आरबीआई एक्ट में यह प्रावधान सेक्शन 7 में निहित है। आइए, जानते हैं क्या है सेक्शन 7 जिसे लेकर केंद्र सरकार और आरबीआई के बीच बेहद गहमागहमी का माहौल है।
क्या है सेक्शन 7
केंद्र सरकार रिजर्व बैंक के गवर्नर से सलाह-मशविरा करने के बाद जनता के हित में समय-समय पर आरबीआई को निर्देश दे सकती है।
सेक्शन सात लागू होने की स्थिति में आरबीआई का सामान्य अधीक्षण तथा कामकाज व मामलों का संचालन सेंट्रल बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स को सौंप दिया जाएगा, जो उसकी सभी शक्तियों का इस्तेमाल कर सकता है और उन सभी गतिविधियों को अंजाम दे सकता है, जिसे आरबीआई व्यवहार में लाती है।
इसके अलावा किसी तरह के टकराव से बचने के लिए सेंट्रल बोर्ड, गवर्नर और उनकी अनुपस्थिति में उनके द्वारा नियुक्त डिप्टी गवर्नर द्वारा बनाए गए नियमों के तहत उस सेंट्रल बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स के पास बैंक के सामान्य मामलों एवं कामकाज के सामान्य अधीक्षण (जनरल सुपरिन्टेंडेंस) एवं निर्देशन की शक्तियां होंगी और वह उन सभी शक्तियों का इस्तेमाल करते हुए सभी कार्रवाइयां कर पाएगा, जिसे करने का अधिकार बैंक के पास है। स्पष्ट है कि यह सेक्शन केंद्र सरकार को जनहित में केंद्रीय बैंक को दिशा-निर्देश जारी करने का अधिकार देता है, जबकि सामान्य स्थितियों में सरकार आरबीआई को निर्देश नहीं, सिर्फ सुझाव दे सकती है…Next
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