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गंगा सफाई के लिए 112 दिनों तक अनशन करने वाले कौन थे जीडी अग्रवाल, इससे पहले भी दो संतो की जा चुकी हैं जान

“मैं गंगा जी को मरते नहीं देखना चाहता हूं और गंगा को मरते देखने से पहले मैं अपने प्राणों को छोड़ देना चाहता हूं.”
जीडी अग्रवाल ने कुछ ऐसी हे बात सालों पहले कही थी, जो अंत में उनकी मौत के साथ सच साबित हुई. गंगा नदी की सफाई के लिए 112 दिनों से आमरण अनशन पर बैठे पर्यावरणविद प्रोफेसर जीडी अग्रवाल का गुरुवार को निधन हो गया। उन्हेंर स्वामी सानंद के नाम से जाना जाता था। सिर्फ सानंद ही नहीं, कई और संत भी गंगा नदी की सफाई और जल प्रदूषण के मुद्दे पर बलिदान दे चुके हैं। इससे पहले स्वामी निगमानंद और गोकुलानंद के निधन का मामला सामने आया था।

Pratima Jaiswal
Pratima Jaiswal12 Oct, 2018

 

 

कौन थे जीडी अग्रवाल
यूनिवर्सिटी ऑफ बर्कले से PhD करने वाले और आगे चलकर आईआईटी कानुपर में सिविल एंड एन्वायरनमेंटल इंजीनियरिंग के एचओडी रहे प्रो. अग्रवाल का संन्या्सी बन गंगा की सफाई व संरक्षण में जुट जाना हैरान कर सकता है, पर अपना पूरा जीवन उन्होंंने गंगा नदी को प्रदूषण से मुक्तक बनाने के लिए समर्पित कर दिया और आगे चलकर स्वामी ज्ञानस्वरूप सानंद के रूप में मशहूर हुए। देश की पूर्व प्रधानमंत्री दिवंगत इंदिरा गांधी ने पर्यावरण संरक्षण की दिशा में प्रो. अग्रवाल के योगदान व कार्यों को देखते हुए उन्हेंे पर्यावरण प्रदूषण नियंत्रण के लिए केंद्र सरकार की सर्वोच्चक संस्थाह सेंट्रल पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड (CPCB) के पहले सदस्य सचिव के तौर पर नियुक्त किया था.

 

4 बार रहे अनशन पर
प्रो. अग्रवाल 2008-2012 के बीच 4 बार अनशन पर रहे। तब केंद्र में कांग्रेस नीत यूपीए की सरकार थी और पर्यावरण मंत्रालय की कमान जयराम रमेश के हाथों में थी। प्रो. अग्रवाल व अन्यण कार्यकर्ताओं की मांगों पर तत्काेलीन केंद्रीय पर्यावरण मंत्री जयराम रमेश ने गंगा की सहायक नदी भागीरथी पर डैम बनाने के काम को रोकने का आदेश दिया था।

 

 

कमजोरी की वजह से पड़ा दिल का दौरा
गंगा के लिए विशेष ऐक्ट बनाने की मांग कर रहे जीडी अग्रवाल (स्वामी सानंद) ने सरकार को 9 अक्टूबर तक का समय दिया था। 87 साल के जीडी अग्रवाल ने 9 अक्टूबर तक मांग न पूरी होने के बाद 10 अक्टूबर से जल भी त्याग दिया था। बुधवार को प्रशासन ने उन्हें एम्स में भर्ती कराया था, जिसके बाद उनका निधन हो गया। डॉक्टरों ने मौत की वजह कमजोरी के कारण हुआ हार्ट अटैक बताया है।

 

 

इससे पहले स्वामी गोकुलानंद और निगमानंद की अनशन के कारण गई जान!

स्वामी निगमानंद
गंगा की खातिर 114 दिन तक अनशन करते हुए इससे पहले स्वामी निगमानंद की भी मौत हुई थी। गंगा में खनन पर रोक लगाने की मांग को लेकर अनशन पर गए निगमानंद सरस्वती का 13 जून 2011 को देहरादून स्थित जौलीग्रांट अस्पताल में निधन हो गया था। हालांकि उनकी मौत को हत्या करार देते हुए केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) द्वारा जांच भी की गई थी, लेकिन गंगा के लिए जान देने वाले निगमानंद की मृत्यु से अब तक पर्दा नहीं उठ सका है।

स्वामी गोकुलानंद
हरिद्वार के पास स्थित कनखल में 1998 में निगमानंद के साथ स्वामी गोकुलानंद ने भी क्रशर व खनन माफिया के खिलाफ अनशन शुरू किया था। अलग-अलग समय पर अनशन करने के बाद 2011 में निगमानंद की मृत्यु हो गई तो स्वामी गोकुलानंद ने मांग आगे बढ़ाते हुए अनशन किया। वर्ष 2013 में वह एकांतवास के लिए गए थे, जिसके बाद नैनीताल के बामनी में उनका शव मिला था। आरोप लगा था कि उन्हें जहर दिया गया…Next

 

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