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बम नहीं ‘महाबम’ है अमेरिका का ‘MOAB’, ये है अफगानिस्तान पर गिराए गए इस बम की खासियत

बीते कुछ सालों से दुनिया भर में आंतकी संगठन इस्लामिक स्टेट का खतरा मंडरा रहा है. दुनिया के कई हिस्सों में इस्लामिक स्टेट के आंतका का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि कई हजार लोगों को एक साथ मौत के घाट उतारने में भी ये गुरेज नहीं करते. वहीं इनके चंगुल से किसी तरह बचकर निकली महिलाओं ने भी अपना दर्द बयां किया है.


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लेकिन कोई भी देश इस संगठन पर खुलकर हमला नहीं करता. हर कोई इनकी मानसिकता को दिवालिया या बीमार बताता है लेकिन देशों द्वारा कभी मिलकर कार्रवाई नहीं की जाती. इस बार इन बातों से परे एक देश ऐसा है, जिसने भाषणों और आलोचनाओं को पीछे छोड़कर अकेले ही कार्रवाई करने की हिम्मत दिखाई है.


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दुनिया में सबसे बड़ी महाशक्ति समझे जाने वाले अमेरिका ने गुरुवार को आतंकी संगठन इस्लामिक स्टेट (आईएस) के खिलाफ अबतक का सबसे बड़ा हमला बोला. अमेरिका ने अफगानिस्तान में आईएस की सुरंगों और टनल को निशाना बनाकर ‘सबसे बड़ा गैर-परमाणु बम गिराया’. इस बम को ‘मदर ऑफ ऑल बॉम्स’ कहा जाता है, यानि बड़े बमों से भी बड़ा.

आइए, एक नजर डालते हैं इस खतरनाक बम की खासियतों पर.



क्या है ‘मदर ऑफ ऑल बम’

अमेरिका ने अफगानिस्तान में GBU-43/B मैसिव ऑर्डनंस एयर ब्लास्ट (MOAB) नाम का बम गिराया है. इस बम को ‘मदर ऑफ ऑल बम’ यानी ‘सभी बमों की मां’ भी कहा जाता है. इसका वजन 9,797 किलो है. यह GPS से संचालित होने वाला विस्फोटक है. अमेरिका के हथियारों के जखीरे में काफी वक्त से शामिल इस बम का पहली बार इस्तेमाल किया गया है.

1. इसका धमाका 11 टीएनटी बमों के धमाके के बराबर होता है. दूसरे विश्वयुद्ध में जापान के हिरोशिमा पर जो न्यूक्लियर बम गिराया गया था उसमें 15 टन टीएनटी विस्फोटक था.



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2. यह बम 30 फीट लंबा और 40 इंच चौड़ा है और इसका वजन 9500 किलो है. यह वजन हिरोशिमा पर गिराए गए बम के वजन से ज्यादा है.

3. सुरंगों के अंदर 8500 किलो से ज्यादा के दबाव के साथ हुए धमाके में भारी तबाही फैलती है. अगर कोई व्यक्ति बच जाए तो हमेशा के लिए सदमे में रहता है. MOAB को थर्मोबैरिक (गर्मी और दबाव पैदा करने वाला) कैटगरी का बम कहा जाता है.



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होते हैं ये नुकसान

धमाका होने के कुछ ही सेकंडों में सुरंगों और सैकड़ों फीट के दायरे में ऑक्सीजन  खत्म हो जाती है जिससे वहां घुटन पैदा हो जाती है और फेफड़े फट जाते हैं. धमाके की आवाज के साथ एक तीव्र रोशनी निकलती है और एक विध्वंसक लहर एक मील तक अपने रास्ते में आने वाली हर चीज को जबर्दस्त नुकसान पहुंचाती है. इसके दायरे में आए लोग अधिकतर मारे जाते हैं. कानों से खून निकलने लगता है. धमाके के दबाव से अंदरूनी अंगों को नुकसान पहुंचता है. इलाके के पेड़ और इमारतें ढह जाते हैं.


इस बम के गिराए जाने के बाद कुछ देश इसकी आलोचना भी कर रहे हैं. अफगानिस्तान के पीएम ने इस हमले की आलोचना करते हुए इसे मानवता के खिलाफ बताया. वहीं कुछ देश इसे अमेरिका का निजी प्री-प्लॉन एजेंडा बता रहे हैं. …Next



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