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40 लाख पन्नों का भूत – विकिलीक्स के खुलासे

अमेरिका दहशत में है. अमेरिकी राष्ट्रपति की नींद हराम हो चुकी है. अफवाहों के साथ सच्चाइयों का बाजार गर्म है. विकिलीक्स खुलासे पे खुलासे किया जा रहा है. अफगान वार हो या ईराक युद्ध सभी में अमेरिका द्वारा किए गए विभिन्न धांधलियों का सिलसिलेवार खुलासा विकिलीक्स कर रहा है. अमेरिका बार-बार चेतावनी जारी कर रहा है कि ऐसे दस्तावेज रोके जाएं लेकिन विकिलीक्स है कि मानता ही नहीं. अमेरिका को लगता है कि 40 लाख पेज के इन गोपनीय दस्तावेज़ों से उसके संबंध कई देशों से ख़राब हो सकते हैं और इसमें भारत भी शामिल है. हालांकि अमेरिका नहीं चाहता कि विकिलीक्स इन दस्तावेज़ों का खुलासा करे. लेकिन ऑस्ट्रेलियाई मूल के जूलियन एसेंज जो विकिलीक्स के एडिटर हैं उन्होंने हाल ही में इराक वॉर लॉग्स में सनसनीखेज़ खुलासे किए थे और इस बार भी वे रुकने वाले नहीं.


विकीलीक्स द्वारा जारी किए गए अमेरिका के पिछले तीन साल के संदेशों से गोपनीय राजनयिक अध्याय और पर्दे के पीछे हुई कूटनीतिक सौदेबाजियों के बारे में अप्रत्याशित जानकारी मिली है. इसमें परमाणु ऊर्जा के मुद्दे पर पाकिस्तान के साथ हुआ गतिरोध भी शामिल है.  न्यूयार्क टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक अपने खुलासे को लेकर दुनियाभर में सुर्खियों में आई इस वेबसाइट ने अमेरिकी कूटनीति के रहस्यों को उजागर कर दिया है.


टाइम्स ने एक संदेश के हवाले से कहा कि अमेरिका ने वर्ष 2007 के बाद से एक पाकिस्तानी शोध संयंत्र से उच्च संव‌र्धित यूरेनियम को हटाने के लिए गोपनीय तौर पर प्रयास किया हालांकि यह प्रयास अभी तक असफल रहा है.  अमेरिकी अधिकारियों को भय था कि इसका इस्तेमाल गैर कानूनी परमाणु हथियार बनाने के लिए किया जा सकता है.


मई 2009 में राजदूत अन्ने डब्लू पेटर्सन ने बताया कि पाकिस्तान अमेरिकी विशेषज्ञों के दल को जाने की अनुमति नहीं दे रहा है.  पाकिस्तानी अधिकारियों का कहना था कि यदि स्थानीय मीडिया को यूरेनियम हटाने की सूचना मिलती है तो वे निश्चित रूप से इसे अमेरिका द्वारा पाकिस्तानी परमाणु हथियारों पर कब्जा करने का प्रयास करार देंगे.


दस्तावेजों में कहा गया है कि विश्व के सबसे बड़े सर्च इंजन गूगल की हैकिंग चीन के सरकारी अधिकारियों, निजी सुरक्षा विशेषज्ञों और चीनी सरकार द्वारा भर्ती किए गए अपराधियों ने की थी. इसके अलावा उन्होंने अमेरिका के सरकारी कंप्यूटरों, अमेरिकी व्यावसायिक नेटवर्क और दलाई लामा के कंप्यूटर नेटवर्क को भी हैक किया.  एक अन्य संदेश में अफगानिस्तान में फैले भ्रष्टाचार का ब्यौरा भी दिया गया है.


दस्तावेजों में आस्ट्रेलिया का भी जिक्र


दुनियाभर में चर्चा का विषय बनी विकीलीक्स वेबसाइट द्वारा हासिल किए गए अमेरिका के 1442 गोपनीय दस्तावेजों में आस्ट्रेलिया का भी जिक्र आया है जो अमेरिका के सबसे महत्वपूर्ण सहयोगियों में से एक है. एएपी की रिपोर्ट के मुताबिक सोमवार को जारी किए गए दस्तावेजों में से एक में वर्ष 2007 के एपेक सम्मेलन में पर्दे के पीछे हुई बातचीत का भी उल्लेख है.


इससे पहले जारी गोपनीय दस्तावेजों में अमेरिका और चीन के बीच की उस बातचीत का भी विवरण है जो बीजिंग के रास्ते शस्त्रों की खेप लेकर ईरान जा रहे जहाज के बारे में हुई थी.  यह संदेश उत्तर कोरिया द्वारा बीजिंग के रास्ते ईरान भेजी जा रही हथियारों की खेप को लेकर तुरंत कार्रवाई करने के लिए भेजा गया था.


दस्तावेज में कहा गया है कि सितंबर में सिडनी में हुई एपेक की बैठक के दौरान अमेरिकी राष्ट्रपति जार्ज डब्लू बुश ने चीनी राष्ट्रपति हू जिंताओं के साथ बातचीत में उत्तर कोरिया द्वारा ईरान के मिसाइल कार्यक्रम के लिए बैलेस्टिक मिसाइल प्रणाली के मुख्य कल पुर्जे बीजिंग के रास्ते ईरान भेजने पर गहरी चिंता जताई थी.


लीक हुए दस्तावेजों में अमेरिका और पश्चिम एशिया के बीच कूटनीतिक संबंधों की भी चर्चा है.  एक दस्तावेज में जिंबाब्वे के राजनीतिक हालात पर चर्चा की गई है.  इसमें आस्ट्रेलिया की भी चर्चा है और उसे अमेरिका के सबसे बड़े सहयोगियों में से एक बताया गया है.


बंद की जाए विकिलीक्स वेबसाइट


विकिलीक्स के गोपनीय अमेरिकी दस्तावेजों के अवैध प्रकाशन से नाराज अमेरिका के सभी प्रमुख दलों के सांसदों ने ओबामा प्रशासन से कहा है कि प्रशासन हरसंभव कानूनी उपाय करके वेबसाइट को बंद कर दे.


सीनेट की विदेश मामलों की समिति के अध्यक्ष सीनेटर जॉन कैरी ने कहा कि इन परिस्थितियों में गोपनीय दस्तावेजों को जारी करना पूरी तरह गलत काम है, जो बहुत सी जिंदगियों को खतरे में डाल सकता है.  उन्होंने बताया कि यह अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का मामला नहीं है और न ही यह पेंटागन से जुड़े दस्तावेजों को जारी करने के समान है.  कैरी ने बताया कि इसकी बजाय यह दस्तावेज वर्तमान समय में जारी मामलों के विश्लेषण से जुड़े हैं, जिन्हें गोपनीय बनाए रखना अत्यंत जरूरी है.


सीनेट की होमलैंड सिक्युरिटी और शासकीय मामलों की समिति के अध्यक्ष जो लिबरमैन ने कहा कि विकिलीक्स ने जानबूझकर इन दस्तावेजों का खुलासा किया है, जो न केवल अमेरिका, बल्कि दूसरे बहुत से देशों की भी राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा हैं.  लिबरमैन ने ओबामा प्रशासन से आग्रह किया कि इससे पहले कि विकिलीक्स और दस्तावेज जारी करके देश को और नुकसान पहुंचा सके, प्रशासन हरसंभव वैधानिक तरीके अपना कर विकिलीक्स को बंद कर दे.


जुलियन एसेंज का कारनामा


जुलियन एसेंज ने विकिलीक्स की स्थापना की थी. एसेंज के अनुसार जब वह 14 साल के थे तो उन्होंने सॉफ्टवेयर प्रोटेक्शन सिस्टम को समझने और उसे तोड़ने में मेहनत की. उसके बाद वे एक एक्टिविस्ट कम्प्यूटर हैकर बन गए. उन्होंने अंतरिक्ष यान प्रक्षेपण के दौरान एक युद्धविरोधी प्रदर्शन के तौर पर नासा का कम्प्यूटर हैक कर लिया जिससे प्रक्षेपण रद्द करना पड़ा. 6 साल तक मुकदमा चला, जिससे उन्होंने  युद्ध के बारे में जानना शुरू कर दिया. इसके बाद जुलियन एसेंज ने हैकर्स और विशेषज्ञों की एक टीम के साथ wikileaks.orgनाम की वेबसाइट की स्थापना की. यह एक ऐसी वेबसाइट है जिस पर कोई भी अपनी पहचान बताए बगैर गोपनीय दस्तावेज़ों को अपलोड कर सकता है.


दुनिया में ये अपनी तरह की पहली वेबसाइट थी. एक साल के भीतर इस वेबसाइट के डेटाबेस में 12 लाख दस्तावेज़ जमा हो चुके थे.  दस्तावेज़ों में बैंकों में फ़र्ज़ीवाड़े से लेकर व्यापार जगत, सरकार और यूएस मिलिट्री के राज़ शामिल थे. वर्ष 2009 तक मीडिया में विकिलीक्स को गंभीरता से तब तक नहीं लिया गया जब तक कि विकिलीक्स द्वारा  यूएस मिलिट्री से जुड़ा एक विडियो नहीं जारी किया गया. वीडियो एनक्रिप्टेड फॉर्म में था जिसे कई देशों में बैठे एक्सपर्ट्स ने डिक्रिप्ट किया. लेकिन इस बीच मई 2010 में वीडियो को विकिलीक्स तक भेजनेवाले यूएस आर्मी के इंटेलिजेंस एनालिस्ट ब्राडली मैनिंग को गिरफ़्तार कर लिया गया. यह पहली बार है जब विकिलीक्स को जानकारी भेजनेवाला सीआईए की गिरफ़्त में है. जुलियन एसेंज के लिए अच्छी ख़बर नहीं थी, उन पर अमेरिका में मुकदमा चल सकता है.  लेकिन एसेंज रुके नहीं और उन्होंने अक्टूबर में 4 लाख पन्नों के साथ सबसे बड़ा खुलासा किया जिसमें इराक में अमेरिकी सैनिकों की करतूतों का पूरा हिसाब था. ऐसे में अमेरिका का डरना स्वाभाविक है. उसका राज़ फाश करने वाली वेबसाइट विकिलीक्स अब 40 लाख पन्नों का खुलासा करने वाली है.

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