एग्जाम से पहले चेकिंग की खबरें आपने कई बार पढ़ी होगी। जिसमें लड़कियों की सख्त तलाशी चर्चा का विषय बनती है, नकल रोकने के लिए पिछले कुछ समय से कई तरीके अपनाए गए हैं लेकिन कभी-कभी ये तरीके एक मुद्दा बन जाते हैं, जिस पर बहस होती है। कुछ ऐसा ही मामला सामने आया गोवा के मर्सेज की रहने वाली मुस्लिम युवती को नेशनल एजिलिबिलिटी टेस्ट (NET) में बैठने के लिए हिजाब उतारने को कहा गया था।
युवती ने इसे इस्लाम के खिलाफ बताते हुए एग्जाम छोड़ दिया। उन्होंने बताया कि इससे पहले भी उनके साथ इस तरह का भेदभाव हो चुका है। आहत होकर युवती ने सोशल मीडिया के जरिए अपनी आवाज उठाई है। उनका कहना है कि उन्हें हिजाब पहनने पर विरोध का सामना करना पड़ रहा है जबकि नन को हेडगियर पहनने की अनुमति दे दी जाती है।
फेसबुक पोस्ट पर बताई पूरी घटना
साइकोलॉजी से पोस्ट ग्रेजुएट की डिग्रीधारक और लेखिका 24 साल की सफीना खान सौदागर के फेसबुक पोस्ट के बाद उनके समर्थन में कई लोग सामने आए हैं। सफीना ने दावा किया कि वह नेट का एग्जाम देने में असमर्थ रहीं क्योंकि उनसे परीक्षा में बैठने के लिए हिजाब हटाने को कहा गया था। सफीना ने कहा कि उन्हें अलग-अलग मौकों पर भेदभाव का सामना करना पड़ा है क्योंकि वह धार्मिक कारणों से सिर पर हिजाब पहनती हैं।
सफीना ने लिखा ‘मैंने उनके नियमों को मानते हुए परीक्षा में न बैठने का फैसला किया।’ उन्होंने लिखा, ‘मंगलवार को मैं नेट के एग्जाम में बैठने वाली थीं लेकिन वहां मुझे अनुमति नहीं दी गई। क्यों? क्योंकि मैंने हिजाब उतारने से मना कर दिया। हां, यह बिल्कुल सही है। एक लोकतांत्रिक देश में, एक धर्मनिरपेक्ष समाज और गोवा जैसे फॉरवर्ड राज्य में मुझे एक एग्जाम में बैठने नहीं दिया गया।’
इस बार यूजीसी की नेट परीक्षा का आयोजन नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (एनटीए) करा रही है।…Next
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