वर्तमान में भ्रष्टाचार और घोटाले देश की राजनीति और मीडिया में इस कदर जगह बना चुके हैं कि कोई ऐसा दिन नहीं है जहां इन विषय पर चर्चा न होती हो. आए दिन हो रहे घोटालों की खबर पढ़कर ऐसा लगता है जैसे कोई बड़ी श्रृंखला है जहां पर कई सारे घोटाले कतार में खड़े हैं और एक-एक करके इन घोटालों की परतें खुलती जा रही हैं. पीछे दो सालों पर नजर डालें तो देश ने 2जी स्पेक्ट्रम घोटाला, कॉमनवेल्थ घोटाला, आदर्श सोसायटी घोटाला, कोयला आवंटन घोटाला जैसे बड़े घोटाले देखे हैं अब बारी है महाराष्ट्र में सिंचाई घोटाले की.
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Ajit Pawar) पर सिंचाई परियोजनाओं को मंजूरी देने में अनियमितताओं के आरोप लगे हैं. अजीत पवार (Ajit Pawar)ने सिंचाई मंत्री के तौर पर सन् 2009 में जनवरी से लेकर अगस्त के दौरान 20 हजार करोड़ की परियोजनाओं को मंजूरी दी थी. मामला प्रकाश में आने के बाद महाराष्ट्र के उप मुख्यमंत्री के पद से अजीत पवार ने मंगलवार को इस्तीफा दे दिया लेकिन वह राज्य में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के विधायक दल के नेता बने रहेंगे. महाराष्ट्र के कद्दावर नेता अजीत पवार ने सिंचाई के सबसे बड़े घोटालों को जिस समय अंजाम दिया उसी समय महाराष्ट्र के विदर्भ में सबसे ज्यादा किसानों ने आत्महत्या की.
महाराष्ट्र सरकार के लिए खतरे की घंटी
(Ajit Pawar) के इस्तीफे के बाद 43 सदस्यीय मंत्रिमंडल में एनसीपी के बाकी 19 मंत्रियों ने भी प्रदेश अध्यक्ष मधुकर पिचाड़ को अपने इस्तीफे सौंप दिए जिससे राज्य की कांग्रेस-एनसीपी सरकार खतरे में पड़ गई है. महाराष्ट्र की 288 सदस्यीय विधानसभा में कांग्रेस के 82 विधायक हैं, जबकि राकांपा विधायकों की संख्या 61 है. अगर राकांपा अपना समर्थन वापस ले लेती है, तो मौजूदा हालात में सरकार गिरना तय माना जा रहा है. उधर विपक्ष में शिवसेना के 45 और भाजपा के 47 विधायक हैं. उधर खबर यह भी आ रही है कि एनसीपी मंत्रियों के इस्तीफे के बाद निर्दलीय विधायक भी अजीत पवार (Ajit Pawar) के पक्ष में लामबंद हो गए हैं.
महाराष्ट्र की राजनीति में अजीत पवार का कद काफी ऊंचा
(Ajit Pawar) की बदौलत चलती है तो यह गलत नहीं होगा. जिस तरह से पहले बाल ठाकरे की पार्टी शिव सेना में राज ठाकरे का दबदबा था वही दबदबा आज एनसीपी में अजीत पवार का है.
देश में हो रहे नित नए-नए घोटालों ने देश की छवि को काफी नुकसान पहुंचाया है. इन घोटालों ने राजकोष को बिलकुल खाली कर दिया जिसको लेकर स्वयं प्रधानमंत्री को कहना पड़ रहा है कि पैसे पेड़ पर नही लगते. कांग्रेस और उनके सहयोगियों ने जो घोटालों की सीरीज चलाई हुई है उसमें यदि आने वाले वक्त में कुछ और घोटाले सामने आ जाएं तो कोई हैरानी की बात नहीं होगी.
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