प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की सरकार की छवि तार-तार हो चुकी है. ऐसे में वह बुधवार को संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन सरकार के दूसरे कार्यकाल यानी संप्रग-दो सरकार का अंतिम रिपोर्ट कार्ड पेश (UPA II report card) करेंगे. वहीं, समाजवादी पार्टी (सपा) और बहुजन समाज पार्टी (बसपा) संप्रग के जश्न में शिरकत नहीं करेगी.
जब भाभी को चिता में जलते देख कांप उठा देवर
उम्मीद की जा रही है कि मनमोहन प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण यानी सरकार द्वारा दिए जाने वाले अनुदानों को सीधे जनता के खाते में हस्तांतरित करने और खुदरा क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआइ) जैसी उपलब्धियों को गिनाएंगे. इसका मकसद एक साल से भी कम समय बाद होने वाले लोकसभा चुनाव से पहले कांग्रेस कार्यकर्ताओं का गिरा मनोबल ऊंचा करना होगा.
सिलसिलेवार घोटालों और हाल में कैबिनेट मंत्री पवन कुमार बंसल व अश्विनी कुमार को हटाए जाने से संप्रग सरकार की बिगड़ी छवि को प्रधानमंत्री द्वारा एक सकारात्मक रूप में पेश करने का काम आसान नहीं है. संप्रग सरकार की चौथी सालगिरह पर आयोजित जिस रात्रि भोज में वह यह रिपोर्ट कार्ड पेश करेंगे, उसमें कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और संप्रग के घटक दलों के नेता मौजूद रहेंगे.
दोनों के बीच गहरे मतभेद की खबरों के बावजूद उम्मीद है कि सोनिया इसमें प्रधानमंत्री का समर्थन करती नजर आएंगी. कांग्रेस मतभेद की खबरें पहले ही खारिज कर चुकी है. उम्मीद है कि प्रधानमंत्री राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा विधेयक और भूमि अधिग्रहण विधेयक पर कैसे आगे बढ़ा जाए, इस पर अपनी योजना का खुलासा भी करेंगे. अगले लोकसभा चुनाव में पार्टी इन विधेयकों को बाजी पलटने वाले कदम के रूप में देख रही है. इस रात्रिभोज में तृणमूल कांग्रेस और द्रमुक के प्रतिनिधि नहीं शामिल होंगे, क्योंकि दोनों संप्रग छोड़ चुके हैं. चुनौतियों के बावजूद मणिशंकर अय्यर जैसे कांग्रेसी जरा भी विचलित नहीं हैं.
वह कहते हैं कि हमें सबसे बड़ा लाभ इस वजह से है कि स्वतंत्र भारत में सबसे अक्षम विपक्ष है. ये पहले उत्तराखंड से गए उसके बाद हिमाचल प्रदेश से और अब कर्नाटक से. इसलिए विभाजित विपक्ष से डरने के लायक कुछ भी नहीं है.
भाजपा के प्रकाश जावड़ेकर कहते हैं कि यह स्वतंत्रता के बाद सबसे नाकाम सरकार है, क्योंकि यह हर मोर्चे पर विफल रही है. माकपा के सीताराम येचुरी का कहना है कि संप्रग-दो का शासन दो बड़ी चीजों के लिए याद किया जाएगा. पहला एक के बाद एक लगातार घोटाले सामने आए और दूसरा सरकार ने निरंकुश ढंग से आर्थिक सुधारों के लिए उपाय किए. माकपा के डी राजा ने कहा कि संप्रग -दो की सरकार ने महिला आरक्षण विधेयक, लोकपाल और न्यायिक उत्तरदायित्व जैसे कई महत्वपूर्ण चुनावी वादे पूरे नहीं हुए.
इस बीच, महज एक साल में संप्रग सरकार के लिए बहुत कुछ बदल गया है. साल भर पहले हुए तीसरे सालाना जलसे में सपा प्रमुख मुलायम सिंह संप्रग सरकार की उपलब्धियां गिना रहे थे. उस समय हुए भोज में बसपा भी शामिल थी. बाहर से समर्थन दे रहे ये दोनों दल भी अब संप्रग सरकार से आजिज आ गए हैं. लिहाजा, चुनावी साल के मद्देनजर दोनों दलों ने इस बार के जलसे से खुद को दूर कर लिया है.
सूत्रों के मुताबिक, बीते वर्षो में वक्त-जरूरत सपा और बसपा भले ही सरकार की संकटमोचक बनती रही हों, लेकिन वह उसके गुनाहों की भागीदार नहीं बनना चाहतीं. खास तौर से जब चुनावी साल सामने है और बड़े-बड़े घोटालों, भ्रष्टाचार व महंगाई को लेकर सरकार का दामन दागदार है. बुधवार को आयोजित होने वाले जलसे में सरकार चाहे अपनी जो उपलब्धियां गिनाए, लेकिन सपा-बसपा की नजर में वे किसी के गले उतरने वाली नहीं हैं. ऐसे में संकेत हैं कि उत्तर प्रदेश में अपनी खास राजनीतिक हैसियत रखने वाली सपा संप्रग के जलसे से दूर ही रहेंगी. बसपा की तरफ से भी संकेत मिले हैं कि वह भी कार्यक्रम से दूर रहेगी.
सपा महासचिव व राष्ट्रीय प्रवक्ता प्रो. रामगोपाल यादव संप्रग सरकार के बीते चार साल को कुछ यूं देखते हैं, ‘सरकार के पास भ्रष्टाचार व घोटालों के अलावा उपलब्धियों के रूप में बताने को है ही क्या.
सौजन्य: जागरण
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