भारत जैसे देश में जहां महिलाओं को समाज के अंतिम पायदान के रूप में देखा जाता है वहां एक ऐसी महिला भी है जिसको यदि हम एक अकेली सरकार का दर्जा दें तो गलत नहीं होगा. उनके लिए हर तरह की परंपरा और मान्यताएं समाप्त हो जाती हैं जहां माना जाता है पुरुष ही शासन के लिए योग्य है. हम बात कर रहे हैं संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) की अध्यक्ष सोनिया गांधी की. उनकी एक आवाज कांग्रेस के बड़े-बड़े नेताओं और मंत्रियों के लिए एक फरमान की तरह होता है. यदि कोई उनकी आज्ञाओं का लगातार पालन करता है तो उसे फर्श से अर्श पर बैठा दिया जाता है जैसे हमारे गृह मंत्री सुशील कुमार शिंदे.
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शायद इसी बात को मशहूर अमरीकी पत्रिका फोर्ब्स ने समझा. फोर्ब्स पत्रिका ने दुनिया की 100 ताकतवर महिलाओं की सूची जारी की है, जिसमें कांग्रेस की अध्यक्ष सोनिया गांधी को छठें स्थान पर रखा गया है. दिलचस्प बात ये है कि इस सूची में सोनिया गांधी को अमरीकी राष्ट्रपति बराका ओबामा की पत्नी मिशेल ओबामा से भी ज्यादा शक्तिशाली माना गया है. 2010 में इस फेहरिस्त में सबसे ऊपर रहने वाले मिशेल को इस बार दुनिया की सातवीं सबसे शक्तिशाली महिला बताया गया है.
इस पत्रिका की फेहरिस्त में जर्मनी की चांसलर एंजेला मर्केल को दुनिया की सबसे ताकतवर महिला बताया गया है और उन्हें पहला स्थान दिया गया जबकि दूसरे स्थान पर अमरीकी विदेशी मंत्री हिलेरी क्लिंटन हैं जबकि तीसरा स्थान इस बार भी ब्राजील की राष्ट्रपति दिल्मा रुसोफ को मिला है.
सर्वश्रेष्ठ 10 ताकतवर महिलाओं में चौथा स्थान बिल एंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन की मेलिंडा गेट्स को मिला. इसके अलावा न्यूयॉर्क टाइम्स की कार्यकारी संपादक जिल अब्रासन को पांचवा स्थान, कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को छठा स्थान, अमरीका राष्ट्रपति बराका ओबामा की पत्नी मिशेल ओबामा को सातवां स्थान अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष की अध्यक्ष क्रिस्टीन लागार्द को आठवां स्थान, अमरीका की गृह मंत्री जैनेट नैपोलिताना को नौवां और फेसबुक की मुख्य कार्यकारी अधिकारी शैरिल सैंडबर्ग को दसवां स्थान दिया गया है. अमरीकी पत्रिका फोर्ब्स ने इस सूची को निकालने के लिए जो पैमाना अपनाया उनमें इन महिलाओं के प्रभाव, उनके पास या उनके नियंत्रण में मौजूद धन और मीडिया में उनकी मौजूदगी को आधार बनाया गया.
विश्व की ताकतवर महिलाओं में सोनिया गांधी का छठा स्थान आना कोई हैरानी की बात नहीं है. देश की मीडिया और लोग उनके नियंत्रित और निर्देशित करने की ताकत को भलीभांति समझते हैं. उनकी ताकत का सही रूप हाल ही के दिनों में उस समय देखने को मिला जब मॉनसून सत्र के पहले दिन लोकसभा में बीजेपी के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी ने यूपीए सरकार को लेकर विवादास्पद बयान दिया जिससे सोनिया गांधी पूरी तरह से भड़क उठीं. कांग्रेस और उसके सहयोगी दलों के सदस्यों ने सोनिया गांधी की नराजगी को समझा और सदन में हंगामा कर दिया. अंत में कड़े विरोध के बाद उसी सदन में लालकृष्ण आडवाणी को अपनी टिप्पणी वापस लेनी पड़ी.
अब यहां सवाल उठता है कि क्या सोनिया गांधी का ताकतवर होना भारत में महिला सशक्तिकरण की पुष्टि करता है.
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