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बेनी बाबू ने नेताजी से गलत वक्त पर पंगा ले लिया !!

beni prasad verma mulayamकांग्रेस के नेतृत्व वाला संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन इस समय संकट के दौर से गुजर रहा है. डीएमके ने अपने सभी मंत्रियों के साथ यूपीए सरकार से अपना समर्थन वापस ले लिया है. राष्ट्रपति से मिलकर समर्थन वापसी का पत्र सौंपने के बाद बुधवार को डीएमके के तीन मंत्रियों ने अपना इस्तीफा पीएम मनमोहन सिंह से मिलकर उन्हें सौंप दिया.


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डीएमके द्वारा समर्थन वापसी के बाद अब जो समीकरण बन रहे हैं उसके अनुसार लोकसभा में फिलहाल 540 सांसद हैं और सरकार बनाने के लिए कम से कम 271 सांसदों का होना बहुत ही जरूरी है. डीएमके के समर्थन वापसी के बाद यूपीए सरकार के पास 228 सांसद रह जाते हैं. इनमें भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के 203, एनसीपी के 9, आरएलडी के 5, नेशनल कॉन्फ्रेंस के 3 और अन्य 8 सांसद हैं. ऐसे में सरकार को बाहर से समर्थन देने वाले दलों से उम्मीदें और ज्यादा बढ़ जाती हैं.


सरकार को बचाने के लिए जिन दलों से सबसे ज्यादा उम्मीदें हैं उसमें मुलायम सिंह यादव की समाजवादी पार्टी और मायावती की बहुजन समाज पार्टी है. उत्तर प्रदेश से जुड़े यह दोनों क्षेत्रीय दल सरकार की हर विपत्ति पर नायक के रूप में सामने आए हैं अब वह चाहे भारत-अमरीका परमाणु संधि का मुद्दा हो या फिर एफडीआई का. लेकिन इस बार स्थिति थोड़ी अलग है खासकर समाजवादी पार्टी को लेकर जो इस समय कांग्रेस और उनके बड़बोले मंत्रियों से खासी नाराज है.


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मामला केन्द्रीय इस्पात मंत्री बेनी प्रसाद वर्मा (Beni Prasad Verma in Hindi) से जुड़ा हुआ है. बेनी ने गोंडा जिले में एक विवादित बयान देते हुए मुलायम सिंह यादव पर आतंकियों को संरक्षण देने का गंभीर आरोप लगाया जिस पर समाजवादी पार्टी और मुलायम सिंह की तरफ से कड़ी आपत्ति जताई गई. बेनी के इस बयान के बाद संसद कई बार हंगामे की भेट चढ़ गया. सपा सांसदों ने मुलायम सिंह पर दिए बयान को लेकर बेनी के इस्तीफे की मांग की है लेकिन क्या सरकार इनकी मांगों पर गौर फरमाएगी.


जानकार मानते हैं कि कि एक दिन पहले जब डीएमके ने सरकार से समर्थन वापस नहीं लिया था तब शायद मनमोहन की सरकार सपा के सांसदों की मांग को ठुकरा सकती थी लेकिन अब स्थिति थोड़ी उलट हो चुकी है. डीएमके के बाहर होने के बाद अब सरकार पूरी तरह से समाजवादी पार्टी पर निर्भर है. इसलिए उनकी जो भी मांगें हैं सरकार को आंख मूंदकर माननी पड़ेगी.


इसका असर उस समय देखने को मिला जब मंगलवार को सरकार खतरे में थी और तब कांग्रेस की संसदीय दल की बैठक में बेनी प्रसाद वर्मा को शामिल नहीं किया गया. कहा जा रहा है कि उनके द्वारा मुलायम सिंह यादव पर दिए गए बयान के बाद उनकी काफी खिंचाई की गई. तो क्या यह कहा जाए कि अपने बड़बोलेपन की वजह से बेनी प्रसाद वर्मा का पत्ता कट सकता है. जानकार मानते हैं कि कांग्रेस को ऐसा करना पड़ेगा नहीं तो मुलायम ने मुख्य विपक्षी पार्टी बीजेपी के प्रति अपना रुख कुछ हद तक नरम करके सरकार से बिछड़ने के संकेत दे दिए हैं.


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बेनी प्रसाद वर्मा, समाजवादी पार्टी.

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