अपने बयानों और मीजाज से पिछले कुछ दिनों से सुर्खियों में रहने वाले केंद्रीय कानून मंत्री सलमान खुर्शीद ने एक बार फिर कुछ ऐसा बयान दिया है जिससे कहीं न कहीं उनके अहंकार की बू आती है. खुर्शीद ने इंडिया अगेंस्ट करप्शन के नेता अरविंद केजरीवाल की तुलना चींटी से करते हुए कांग्रेस को हाथी बताया है. केजरीवाल को धमकी देने के आरोप पर उनसे पूछे गए सवाल के जावाब में उन्होंने कहा कि, मैं उन्हें धमकी क्यों और किस लिए दूंगा, हमारी पार्टी से संघर्ष करने के लिए केजरीवाल बहुत छोटे हैं, एक चींटी किसी हाथी को चुनौती नहीं दे सकती.
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उन्होंने आगे कहा कि अगर वह यह सोचते हैं कि एक नई पार्टी, कांग्रेस और भाजपा जैसी दो बड़ी पार्टियों को भ्रष्टाचार के विवादों में घेरकर फायदा उठा सकती हैं, तो यह सपने से ज्यादा कुछ नहीं. अगर कुछ लोग यह सोचते हैं कि पागलपन भरे आधारहीन हमलों द्वारा लंबे समय से मौजूद पार्टियों को खत्म किया जा सकता है और उनके लिए पूरा मैदान खाली हो जाएगा, तो यह महज एक सनक है. उनके इस बयान पर यदि गौर फरमाए तो वह पूरी तरह से अहंकार में डूबे हुए दिखाई दिए. उन्होंने अपने आप को सुपिरियर और अरविंद को इनफिरियर बताया.उल्लेखनीय है कि कुछ दिन पहले सलमान खुर्शीद ने अरविंद केजरीवाल क्लो गंदी नाली का कीड़ा’ और सड़क छाप कहा था.
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वैसे केंद्रीय कानून मंत्री सलमान खुर्शीद पहले व्यक्ति नहीं हैं जिनके बयान में एक घमण्डी राजनेता की तस्वीर दिखाई देती हो. उनकी पार्टी के नेता और प्रवक्ता मनीष तिवारी ने भी कहा था कि अरविंद केजरीवाल से निपटने में तो उनके ब्लाक स्तर के नेता भी सक्षम है इसमे किसी बड़े नेता की जरूरत नहीं है. दिल्ली की मुख्यमंत्री शीला दीक्षित ने तो दो कदम आगे चलकर केजरीवाल को बरसाती मेंढक ही बता दिया था.
नेताओं के इस तरह के बयान से यह झलकता है कि वे वर्तमान राजनैतिक व्यवस्था को अपने जूते की नोक पर रखते हैं. उन्हे पता कि वे चाहे कुछ भी करें, सीबीआई तो दूर संवैधानिक संस्थाए भी उनका कुछ नहीं बिगाड़ सकती. सार्वजनिक रूप से आजकल जिस तरह से राजनीतिक पार्टी के बड़े नेताओं का बयान आ रहा है उससे तो कहीं न कहीं देश के संविधान या फिर यूं कहें कि लोकतांत्रिक व्यवस्था को ठेस जरूर पहुंचता है.
इस तरह का अहंकार भारत के सबसे पवित्र ग्रंथ रामायण में रावण ने भी पाल रखा था. रावण का भी यही मानना था कि धरती पर रेंगता कोई हुआ तुच्छ मानव उसका कुछ नहीं बिगाड सकता है लेकिन परिणाम क्या हुआ यह सबको मालूम है. शायद सलमान खुर्शीद सरीखे नेताओं को नहीं पता है कि जब चींटी अपने मूड में होती है तो वह हाथी से भी तांडव करवा सकती है. अपने पुराने ढर्रे पर चल रही कांग्रेस को यहां समीक्षा करने की जरूरत है नहीं तो जो उन्होंने देश की सबसे पुरानी सियासी पार्टी होने का भ्रम पाल रखा है उसे हाशिए पर जाने में देर भी नहीं लगेगा.
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