तमाम तरह की हिंसा और आतंकवादी गतिविधियों के बीच पाकिस्तान के आम चुनाव में आखिरकार नवाज शरीफ की पार्टी पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज (पीएमएल-एन) ने भारी जीत दर्ज कर ली. पीएमएल-एन सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है.
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नवाज शरीफ तीसरी बार प्रधानमंत्री बनेंगे
ऐसा माना जा रहा है कि लगभग 66 सालों बाद पाकिस्तान में इतने लोकतांत्रिक ढंग से सत्ता परिवर्तन हुआ. इस भारी जीत के साथ ही 14 साल बाद एक बार फिर नवाज की पार्टी पीएमएल-एन पाकिस्तान की सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है. 272 सीटों में से 130 सीटों पर पार्टी ने कब्जा कर लिया है जिसके बाद सुप्रीमो नवाज शरीफ का प्रधानमंत्री बनना तय है.
अन्य पार्टियों की हालत
इस बार पाकिस्तान की जनता ने भ्रष्टाचार और विवादों से घिरी राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी की सत्ताधारी पाकिस्तान पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (पीपीपी) को पूरी तरह से नकार दिया है. पार्टी को केवल 33 सीटों से ही संतुष्ट होना पड़ा. पीपीपी को जनता ने इस कदर नकारा कि पूर्व प्रधानमंत्री राजा परवेज अशरफ अपनी सीट भी नहीं बचा पाए. पूर्व प्रधानमंत्री युसूफ रजा गिलानी के दोनों बेटे भी हार गए हैं.
वहीं बात जब क्रिकेटर इमरान खान की पार्टी तहरीक-ए-इंसाफ की की जाए तो पार्टी को 29 सीटें हासिल हुईं. जिस तरह से इमरान खान चुनाव प्रचार में अपना दमखम लगाए हुए थे उससे उम्मीद की जा रही थी कि पार्टी को भारी बहुमत हासिल होगा लेकिन ऐसा नहीं हुआ.
विश्वभर से बधाई
अपने ट्विटर संदेश में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने पाकिस्तान के आम चुनावों में नवाज शरीफ को उनकी जीत पर बधाई दी है. उन्होंने पाकिस्तान के साथ दोतरफा रिश्तों में नए तौर तरीकों की आशा जताई है. इससे पहले 63 वर्षीय शरीफ ने चुनावी अभियान के दौरान भारत-पाक के बीच शांति प्रक्रिया फिर से शुरू करने का आश्वासन दिया था. इस जीत के बाद मनमोहन सिंह ने नवाज शरीफ को भारत आने का न्यौता भी दिया है.
उधर अमरीकी राष्ट्रपति ओबामा ने पाकिस्तान के लोगों को सफल चुनावों के आयोजन पर बधाई दी है और कहा है कि वो नई सरकार के साथ मिल कर काम करने को लेकर उत्सुक हैं. उन्होंने बिना नवाज शरीफ का नाम लिए पाकिस्तान में ऐतिहासिक, शांतिपूर्ण और चुनी हुई सरकार को सत्ता मिलने का स्वागत किया.
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कौन हैं नवाज शरीफ
अब तक दो बार प्रधानमंत्री के पद पर अपनी सेवा दे चुके नवाज शरीफ का जन्म 25 दिसंबर, 1949 को पाकिस्तान के लाहौर में हुआ. उच्च मध्यवर्ग परिवार से संबंध रखने वाले शरीफ का परिवार बंटवारे से पहले भारत के अमृतसर में रहता था. नवाज शरीफ के परिवार का अपना एक स्टीम उद्योग था लेकिन 1970 के दशक में तत्कालीन प्रधानमंत्री जुल्फिकार अली भुट्टो के शासनकाल में निजी उद्योगों के राष्ट्रीयकरण से इनके परिवार को बहुत नुकसान उठाना पड़ा. सरकार ने उस पर कब्जा कर लिया था. जिसके बाद नवाज शरीफ ने अपने उद्योग को वापस लेने के लिए सियासत की ओर कदम रखा.
जिया-उल-हक की मदद से शरीफ पहले वित्त मंत्री बने. इसके बाद तो नवाज ने पीछे मुड़कर नहीं देखा. नवाज सन 1985 में पंजाब के मुख्यमंत्री के ओहदे तक पहुंचे. वह 1990 में प्रधानमंत्री की कुर्सी तक पहुंच गए लेकिन भ्रष्टाचार के आरोपों के चलते सत्ता छोड़ देनी पड़ी और उनकी जगह पीपीपी की बेनजीर भुट्टो ने जगह ली. शरीफ दो बार पाकिस्तान के प्रधानमंत्री रहे. साल 1990 से 1993 तक और 1997 से 1999 तक.
अपने दूसरे कार्यकाल के दौरान तत्कालीन सेना प्रमुख परवेज मुशर्रफ ने उनका तख्तापलट किया. शरीफ गिरफ्तार हुए, उन्हें फांसी की सजा सुनाई गई. हालांकि, बाद में एक समझौते के तहत अक्टूबर 1999 में मुशर्रफ ने शरीफ को उनके परिवार के 40 सदस्यों के साथ देश से निकाल कर सऊदी अरब भेज दिया था. पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ दोबारा 2007 में अपने वतन पाकिस्तान लौटे.
नवाज शरीफ के सामने चुनौती
नवाज शरीफ को तीसरे कार्यकाल में ध्वस्त अर्थव्यवस्था, भ्रष्टाचार रूपी राक्षस, भारत-अमेरिका से बिगड़ते संबंध और मजबूत तालिबान के तौर पर आतंरिक सुरक्षा से जूझना होगा. फिलहाल पीएमएल (एन) के समर्थकों ने पार्टी की जीत पर जश्न मनाना शुरू कर दिया है. उधर नवाज ने नई सरकार के गठन को लेकर अपने सहयोगियों से बातचीत शुरू कर दी है.
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