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विजयी भव: – दुपट्टे वाले बाबा का आशीर्वाद

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baba-ramdev-pranab-mukherjee-kapil-sibal-manmohan-singh_1379565720_540x540हमारी हंसी की पेटी में सुनने में आया है कि हमारे राजा समेत युवराज और राजमाता भी शापित हो गए हैं. एक फुहार यह खबर लेकर भी आई है कि मोदी जी के शौचालय और भाजपा को ‘विजयी भव:’ का आशीर्वाद मिला है. यह कोपभाजन और आशीर्वाद की प्रक्रिया पूरी हुई है ‘दुपट्टे वाले बाबा’ के नेतृत्व में. किसी जमाने में हिट रहे और अचानक गुम हो गए ‘दुपट्टे वाले बाबा’ वापस आ गए हैं. दुपट्टे वाले बाबा ने भविष्यवाणी की है कि 2014 के चुनावों में भाजपा 300 सीटें जीतेगी और यूपीए 100 सीटों पर सिमट जाएगी.


तो अब सुनिए बाबा जी क्या और क्यों कहते हैं. हुआ यह कि बाबा कुछ दिनों के लिए अपने भारतवर्ष के भक्तों से दूर एकांतवास के लिए किसी और भूमि पर गए थे. पर भक्तों की भीड़ वहां भी उन्हें छोड़ती नहीं. बाबा ने भी सोचा चलो ठीक है साधु के जीवन में जनसेवा से अधिक महत्वपूर्ण और कुछ नहीं हो सकता. पर यह क्या भक्तों को संबोधित करते-करते बाबा अचानक क्रोधित हो गए. बाबा को पता चला कि उनकी भारतभूमि पर राजघराने वाले अत्याचार कर रहे हैं. बस फिर क्या था. भरी सभा में उन्होंने राजघराने को शाप दे दिया और अगले राजा के चुनाव में इस घराने के विनाश की घोषणा कर दी.

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और सुनिए मजेदार बात…बाबा क्रोधित हुए पर अचानक खुश भी हो गए. अचानक बाबा को पता चला कि कोई नया तीर आया है जो शौचालय नाम के घर की मांग भगवान से कर रहा है. बाबा को पता चला कि यह नया तीर सिर्फ तीर नहीं किसी तरकश का मुखिया तीर है जो ‘इच्छाधारी तीर’ है. जब चाहे तीर बन जाता है, जब चाहे इंसान बन जाता है. बाबा यह सुनकर अति प्रसन्न हो गए कि इस तीर का कोई ठिकाना नहीं. आज यहां जाता है, कल कहीं और चला जाता है. लेकिन फिर भी यह भगवान से अपना घर बनाने से पहले शौचालय घर की मांग कर रहा है. बाबा को बड़ी खुशी हुई. बाबा तो ठहरे बाबा. वे तो करोड़ो के कंकड़ वाले जंगल में रहते हैं. उन्हें इस शौचालय भवन से क्या लाभ! लेकिन उन्हें याद आई अपनी दुपट्टे वाली सभा! बेचारे जाना चाहते थे शौचालय पर दिल्ली में जितने शौचालय न हों उतने देवालय भरे पड़े हैं. अब इतने लंबे दुपट्टे के साथ वे कहां शौचालय ढूंढ़ते फिरते! राजा के पहरेदारों ने उनके दुपट्टे का फायदा उठाते हुए उन्हें चौकी पर बिठा दिया. जाने कितने पहरेदार थे वहां. वे शर्म से कुछ कह नहीं पाए…पर कहते क्या कि कहां जा रहे थे तो पानी मांगते रहे. बेचारे बाबा की क्या हालत कर दी थी इन राजा के पहरेदारों ने!


विजयी भव:! विषैला बाण चलाओ, राजा बन जाओ! और जल्दी से मेरा दुपट्टा वापस दिलवाओ!”

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