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तिवारी जी की प्रार्थना स्वीकार करें!

पोस्टमॉर्टम
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हमारे देश में भगवान और भक्त की परंपरा बड़ी पुरानी है. एक-दो नहीं, 64000 देवी-देवता हैं यहां! हों भी क्यों न, धर्म और भक्ति खासियत है हम हिंदुस्तानियों की. ‘भक्ति के लिए कुछ भी करेगा….’, तो हम भी तो कर रहे हैं.


हमारे यहां भूखे-नंगों की कमी नहीं है. फुटपाथ पर सोकर गाड़ियों से कुचल जाने वाले भी कम नहीं. इन सबके बावजूद भगवान के लिए भक्तों की श्रद्धा में हमने कमी नहीं होने दी कभी. हम भले फुटपाथ पर सोएं, भगवान के लिए महल जरूर बनाएंगे…आखिर हमारी भक्ति का सवाल है… हों भी क्यों न, यही भक्ति तो हमारी शक्ति का प्रतीक है!


जनाब भारत और भगवान के हमारे गठजोड़ में एक और समानता है…हिंदुस्तान की आबादी की तरह ही हमारे भगवान की आबादी भी बढ़ रही है. अब भगवान फुटपाथ पर तो रह नहीं सकते. उन्हें तो रहने के लिए कोई घर चाहिए, तो ये भक्त अपने घरों को अपने भगवान के लिए सहर्ष कुर्बान कर देने के लिए भी तैयार हैं. आप पूछ सकते हैं कि भगवान की आबादी कैसे बढ़ सकती है? क्या अमिश की तरह किसी और ने भी नया धार्मिक ग्रंथ लिखना शुरू कर दिया? नहीं जनाब, धार्मिक ग्रंथ नए नहीं रचे जा रहे हैं, न उनमें नए भगवान के विषय में नई जानकारियां हैं. बात बस इतनी है कि धरती पर ही नए भगवानों का अवतरण हो रहा है. अब इनके लिए महल (मंदिर) तो चाहिए न!


क्या कहा? आप इन नए अवतरित भगवान के विषय में नहीं जानते! अजी, जानते हैं! जरा दिमाग पर जोर डालिए! हां, याद आए! हाल फिलहाल के सबसे चर्चित भगवान हैं ‘सचिन तेंदुलकर’! सचिन तेंदुलकर भगवान जी के लिए ही तो आजकल हमारे बिहारी अभिनय पुरुष ‘मनोज तिवारी’ मंदिर बना रहे हैं! 70 लाख खर्च किया है भगवान को अपनी भक्ति का सबूत देने के लिए इन श्रीमान मनोज तिवारी जी ने! सब किस्मत की बातें हैं.


भगवान की किस्मत है कि करोड़ों का बंगला और बैंक बैलेंस भी है उनके पास और लाखों का मंदिर भी. हजारों फीट की जमीन पर अगर उनका महल (मंदिर) बन सकता है और गरीब को फुटपाथ पर रात बिताने के लिए कुत्तों से लड़ना पड़े तो यह तो उनकी किस्मत ही है. आखिर भगवान हैं वे, उनकी किस्मत नहीं होगी तो किसकी होगी. अब अगर आप श्रीमान तिवारी जी से कोफ्त रखते हैं कि फुटपाथ पर रहने वालों को एक पैसा भी न दें..कि इनकी किस्मत है, भीख देकर इनकी आदत क्यों बिगाड़ें…और सचिन भगवान के लिए लाखों की जमीन पर लाखों का मंदिर बनवा रहे हैं…तो सारे फुटपाथ वाले सुन लें! अरे, भक्ति भी कोई चीज होती है. भक्ति से ही भगवान प्रसन्न होते हैं…और भगवान होंगे तभी तो आशीर्वाद देकर उन्हें प्रसन्न करेंगे. उनके आशीर्वाद से ही तो धन और प्रसिद्धि प्राप्त होती है. तो क्या गलत किया इन तिवारी जी ने अगर सचिन भगवान को प्रसन्न करने, उनकी कृपा से प्रसिद्धि पाने के लिए उनका मंदिर बनाया?


इस दुनिया में कौन है जो अपने लाभ की नहीं सोचता? हर कोई रोज एक नई प्रार्थना के साथ भगवान की पूजा करता है. फूल-प्रसाद चढ़ाता है, इन तिवारी जी ने भी कर लिया तो क्या गुनाह कर दिया? अगर वे फुटपाथियों के लिए 1-2 लाख रु. बांट भी देते, एक-दो मकान बनवा भी देते..क्या मिलता उन्हें? एक-दो न्यूज चैनलों की कुछ दिनों की फुटेज मिलती…जो एक-दो दिनों में ही भुला भी दिया जाता! फिर तो बेकार हो जाती न इतनी मेहनत! तो क्यों न वे ऐसा कोई काम करें कि उन्हें परमानेंट प्रसिद्धि मिले? सचिन के नाम पर एक-दो विज्ञापन जैसी चीजें मिल गईं तो सोने पे सुहागा होगा कि नहीं? इस तरह धन भी मिल जाएगा. अब बताइए! कैसे कह सकते हैं तिवारी जी ने इस मंदिर का निर्माण कर गलत किया?


और दिक्कत क्या है? क्यों पचा नहीं पाते जनाब किसी की प्रसिद्धि को? तिवारी जी इतनी मेहनत से मंदिर बनवा रहे हैं कि सचिन भगवान प्रसन्न हो जाएं. उन्हें सचिन भगवान की कृपा मिलेगी तो आप जलते क्यों हैं! भूल गए जब अपने अमिताभ बच्चन भगवान की पूजा कर रहे थे? जब ठाकरे भगवान जी की मूर्ति लगा रहे थे? और जाने कितने भगवान बनाए होंगे! तो इन तिवारी जी से क्यों जलते हैं! एक तरफ भगवान-भगवान भी करते हो और जब भगवान के लिए कुछ करने की बारी आती है तो उड़न-छू हो जाते हो…तिस पर भी कोई भगवान को प्रसन्न करने के लिए कुछ करे तो आपको हजम नहीं होता कि उसे मुझसे ज्यादा क्यों मिले, भगवान की कृपा क्यों मिले!


वह तो छोड़िए…भगवान से भी ईर्ष्या…कि भगवान को इतना जो दिया, मुझे क्यों नहीं! हद होती है बेशर्मी की भी! समझा दिया इतना, अब और क्या समझाऊं! और ईर्ष्या करने से पहले अपनी औकात तो देख लो. सचिन भगवान की औकात है, करोड़ो में खेलते हैं सचिन और अमिताभ बच्चन भगवान….उनके पास 1-2 रु. की कोई कीमत नहीं. 1-2 रु. की कीमत बस फुटपाथियों के लिए हो सकती है जो एक-एक जोड़कर 100 रु. बना लें. इन करोड़ो में खेलने वाले भगवानों के लिए करोड़ो की न सही, लाखों की चीज तो हो कम से कम!


आईने में सूरत देखी नहीं अपनी और भगवान से तुलना करने पहुंच गए! खैर लोगों की तो फितरत ही ऐसी है. दूसरों की खुशी देखी नहीं जाती. बेचारे तिवारी जी की खुशियों को भी लगा दी न नजर! कहां सोचा था कि सचिन भगवान का मंदिर बनवाया है तो एक बार तो भगवान सचमुच दर्शन देंगे अपने उस मंदिर में. मंदिर में तिवारी जी के साथ खड़े होकर एक बार तो अपने इस भक्त की प्रसिद्धि बढ़ाकर कृतार्थ करेंगे उन्हें. लेकिन देखो, अब तो इस पर भी ग्रहण लग गया है. हे सचिन भगवान! तिवारी जी की प्रार्थना स्वीकार करें!


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