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निर्णायक लड़ाई की जरूरत

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पंजाब के औद्योगिक शहर लुधियाना में बीते हफ्ते एक खतरनाक आतंकवादी पकड़ा गया। यह आतंकी पिछले छह महीनों से पंजाब में सक्रिय था। चूंकि इसके आने की भनक पंजाब पुलिस को लग गई थी, लिहाजा पुलिस ने तुरंत जाल बिछाना शुरू कर दिया था और करीब तीन महीने से वह इसके पीछे लगी थी। इससे पहले हाल ही में वहां एक और आतंकवादी पकड़ा जा चुका है। दोनों बेहद खतरनाक किस्म के आतंकवादी हैं। मोहाली में हुए टी 20 व‌र्ल्ड कप जैसे महत्वपूर्ण आयोजन में भी विस्फोट की इनकी योजना थी। यह अलग बात है कि वे अपने इरादों में सफल नहीं हो सके, पर इससे एक बात तो तय है कि पंजाब में शांति और विकास की धारा उनसे देखते नहीं बन रही है। इसी बीच दो और संदिग्ध आतंकवादी अमृतसर में भी पकड़े गए हैं। जिनके पास से भारी मात्रा में विस्फोटक और हथियार भी बरामद किए गए। यह सभी जानते हैं कि आतंकवादी अपने आपमें कुछ नहीं होते। वास्तव में जिनके इशारों पर ये नाच रहे हैं वे परदे के पीछे हैं। भारत में आतंकवाद के विभिन्न रूपों के पीछे आईएसआई का हाथ होना अब किसी से छिपा नहीं है। उसी कड़ी का हिस्सा यह भी है और इससे जाहिर है कि पंजाब उसके प्रमुख निशानों में से एक है। इसकी वजह पंजाब का सिर्फ सीमावर्ती होना ही नहीं है, बल्कि भारत की सुरक्षा एवं अर्थव्यवस्था में उसका महत्वपूर्ण योगदान भी है।

कश्मीर में लंबे अरसे से आतंकवाद के रूप में छद्मयुद्ध छेड़े होने के बावजूद पाकिस्तान अब अपने आपको पूरी तरह विफल मान चुका है। ऐसा कोई पहली बार नहीं हुआ है। इससे पहले भी वह कई बार इस मामले में विफल साबित हो चुका है और कूटनीतिक प्रयासों में भी वह हर तरह से नाकाम साबित हुआ है। यही वजह है कि वह बार-बार छद्मयुद्ध का कोई न कोई उपाय निकालता रहता है। छद्मयुद्ध के उपाय निकालने में वह 1971 की हार के बाद से ही जुटा हुआ है। इसी के तहत उसने पहले पंजाब में आतंकवाद के बीज बोए। खालिस्तान की मांग उठाने वाले आतंकवादियों के लिए न सिर्फ प्रशिक्षण की व्यवस्था आईएसआई ने बनाई, बल्कि उनके वहां रहने का भी पूरा इंतजाम किया। हालांकि तमाम साजिशों के बावजूद वह भारत की एकता और अखंडता को जरा सी भी आंच नहीं पहुंचा सका। आखिरकार यह उसके लिए एक और कुंठा की वजह बन गया। इसके बाद से पाकिस्तान भारत में हर जगह फूट डालने और अशांति फैलाने की गुंजाइश तलाशने लग गया। चाहे कश्मीर हो या मुंबई, या फिर हैदराबाद एवं अन्य जगहों पर हुए विस्फोट उसी कुंठा की देन हैं।

इस बात पर गौर किया जाना चाहिए कि पाकिस्तान की कुंठा लगातार बढ़ती ही जा रही है। कुंठा की अब उसके लिए एक ही वजह नहीं रह गई है। एक तरफ तो वह अपनी नापाक साजिशों में लगातार मुंह की खाता जा रहा है और दूसरी तरफ उसके अंदरूनी हालात भी दुरुस्त नहीं रह गए हैं। शर्मनाक बात यह है कि अपने अंदरूनी हालात बिगाड़ने के लिए वह खुद ही सबसे ज्यादा जिम्मेदार है। जिन आतंकवादी गिरोहों को उसने भारत में गड़बड़ी फैलाने के लिए पाला, वे आज उसके ही लिए खतरा बन गए हैं। वे अब न तो सरकार की मानने वाले हैं और न आईएसआई की ही। पाकिस्तान में जिंदगी की बुनियादी चीजों के लिए जद्दोजहद का आलम यह है कि विकास का मसला तो वहां हाशिये पर चला गया है। दूसरी तरफ, वह यह लगातार देख रहा है कि भारत दुनिया की बड़ी ताकत के रूप में उभर रहा है। कूटनीतिक, सामरिक और आर्थिक हर स्तर पर भारत एक महाशक्ति के रूप में अपनी स्वतंत्र पहचान बना रहा है। जाहिर है, इससे उसकी कुंठा सिर्फ बढ़ ही रही है। क्योंकि पाकिस्तान शायद यह मान चुका है कि वह विकास के मामले में भारत से प्रतिस्पद्र्धा तो कर ही नहीं सकता है।

इसी नकारात्मक सोच के चलते वह कभी कश्मीर में आतंकवाद को बढ़ावा देता है तो कभी पंजाब में आतंकियों की घुसपैठ कराने और देश के दूसरे हिस्सों में जासूसी कराने की कोशिश करता है। हाल ही में पूर्वोत्तार में पकड़ा गया आईएसआई एजेंट इसका ताजा उदाहरण है। यह भी सच है कि हमारे देश में कुछ ऐसे स्वार्थलोलुप तत्व हैं, जो अपने मामूली लाभ के लिए देश के साथ गद्दारी कर बैठते हैं। हाल ही में पकड़े गए आईएसआई एजेंट के साथ उसके छह भारतीय सहयोगी भी पकड़े गए हैं। पूछताछ में उसने यह स्वीकार किया है कि उसके दाऊद इब्राहिम गिरोह से भी संपर्क हैं और उसे पूर्वोत्तार भारत में भी आईएसआई का नेटवर्क बनाने की जिम्मेदारी सौंपी गई थी। इसके पहले पंजाब से भी पाकिस्तानी जासूस पकड़े जा चुके हैं। जाहिर है कि पाकिस्तान की बदनाम खुफिया एजेंसी आईएसआई पूरे भारत में अपना जाल बिछाने की फिराक में है और इस सबके पीछे उसका उद्देश्य एक ही है, भारत में अशांति फैलाना।

इसमें कोई दो राय नहीं है कि हमारे देश में अगर आतंकवादियों को प्रश्रय मिलता है तो कुछ न कुछ लोग उनके मददगार भी जरूर हैं। यह अलग बात है कि इनमें कुछ ही जानबूझ कर ऐसे लोगों की मदद करने वाले हों और ज्यादातर बिना जाने या भ्रम में उनकी मदद कर रहे हों। इनमें दूसरे वर्ग के लोग तो कम, लेकिन जान-बूझकर मदद करने वाले लोग ज्यादा खतरनाक हैं। जरूरत इस बात की है कि इस संबंध में अपने उपलब्ध कानूनी प्रावधानों का अध्ययन किया जाए और उनका प्रयोग करते हुए ऐसे लोगों की गतिविधियों पर रोक लगाई जाए। अगर इस संदर्भ में उपलब्ध कानूनी प्रावधानों से काम न चल पा रहा हो तो नए प्रावधान किए जाएं और किसी भी कीमत पर आतंकवाद का दमन किया जाए। साथ ही उन लोगों के भी दमन का पूरा इंतजाम किया जाए जो किसी भी तरह से आतंकवाद का समर्थन कर रहे हों।

ध्यान रहे, कि भारत में आतंकवाद का दायरा अब सीमित नहीं रह गया है। आतंकवाद के कई रूपों के अलावा नक्सलवाद भी बड़ी तेजी से अपने पैर पसार रहा है और पंजाब में भी इसकी धमक सुनी जा चुकी है। अभी बहुत दिन नहीं बीते जब पंजाब में एक स्थान पर नक्सली पोस्टर चिपके पाए गए थे। इससे जाहिर है कि आतंकवाद अब यहां दानव से महादानव का रूप लेता जा रहा है। इस महादानव पर काबू पाने के लिए जरूरी है कि हम अपना नेटवर्क भी बड़ा बनाएं। बेहतर होगा कि जैसे अभी नक्सलवाद से निपटने के लिए एकीकृत कमान की बात की जा रही है, वैसे ही पूरे देश में किसी भी तरह के आतंकवाद से निपटने के लिए एकीकृत कमान बनाई जाए। यह कमान ऐसी हो जिसे किसी भी तरह की धरपकड़ के लिए किसी को सूचना देने या किसी से अनुमति लेने की जरूरत न हो। राज्यों की पुलिस इनकी मदद के लिए हमेशा तैयार रहे और कानूनी प्रावधानों के इस्तेमाल का भी इन्हें पूरा अधिकार हो। उन्हें आतंकवाद पर नियंत्रण के लिए जरूरी प्रशिक्षण के साथ-साथ सभी तरह के संसाधन भी मुहैया कराए जाएं। अब यह बात लगभग तय हो गई है कि आतंकवाद के खिलाफ निर्णायक लड़ाई छेड़नी ही होगी और वह लड़ाई टुकड़ों में नहीं, बल्कि एकीकृत ढंग से होनी चाहिए। सच तो यह है कि इसमें पहले ही काफी देर हो चुकी है, अत: इस मामले में और अधिक देर करना भी ठीक नहीं है।

Source: Jagran Nazariya


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