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कोई तो उन्हें बताये, आदर्श प्रजातंत्र की परिभाषा?

मैं कवि नहीं हूँ!
मैं कवि नहीं हूँ!
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अपने पिता से बात करना मुझे बहुत पसंद है. गंभीर विषयों पर उनकी प्रतिक्रिया हमेशा ही ज्ञानवर्धक होती है. उम्र के अनुभव के साथ-साथ ज्ञान का सागर हैं बाबूजी मेरे. सामजिक मुद्दे से लेकर राजनितिक मुद्दे तक, आर्थिक मुद्दे से लेकर धार्मिक मुद्दे तक हर विषय पर, पिता जी विचार हमेशा प्रेरणास्रोत रहे हैं मेरे लिए.
उस दिन दोपहर को खाना खाने के बाद मुझे अपने कमरे मैं आने को कह कर बाबूजी अपने कमरे की और चल दिए. थोड़ी देर के बाद मैं उनके कमरे मैं पहुंचा. बाबूजी ने मुझे बैठने को कहा. उनके आज्ञानुसार मैं उनके सामने बैठ गया.
“एक प्रश्न पूछूं तुमसे” , बाबूजी ने मुझसे पूछा?
“जी, मैं कोशिश करूँगा आपके प्रश्न का उत्तर देने की”, मैंने आत्मविश्वास के साथ कहा.
“क्या तुम मुझे एक आदर्श परिवार की परिभाषा समझा सकते हो”, उन्होंने इतना कहने के साथ मेरी और प्रश्नवाचक दृष्टि से देखा.
आदर्श परिवार वो परिवार है जहाँ एक दुसरे के हितों का ख्याल रखते हुए हम जीवन के पथ पर आगे बढ़ते हैं. परिवार के प्रधान को सम्मान मिलना चाहिए और परिवार के सदस्यों को आपस में मिल कर हर समस्या का समाधान कंरने की कोशिश करनी चाहिए.
मेरे इस उत्तर से बाबूजी संतुष्ट नहीं दिखे. उन्होंने मुझसे चाय बनाने को कहा. में थोड़ी देर में उनके लिए चाय का कप लेकर आ गया. चाय पीते हुए बाबूजी कुछ सोचने लगे.
“तुमने कभी देवों के देव महादेव के परिवार पर गौर किया है”, बाबूजी ने एक और प्रश्न किया.
“में समझा नहीं”, मैंने उत्तर दिया.
भगवन शिव के परिवार को अगर गौर से पढोगे तो तुम्हें एक आदर्श परिवार की परिभाषा मिल जायेगी. शिव की पत्नी पार्वती, शिव के बांयीं और बैठी हैं. शिव के दांयीं तरफ गणेश हैं. गणेश की सवारी मूषक है. बांयी ओर कार्तिक म़ोर पर विराजमान हैं. शिव के मष्तिष्क पर गंगा है. शिव का वाहन नंदी बैल है. पार्वती सिंह पर विराजती हैं.
“शिव के गले में सर्प है. सामने में त्रिशूल लिए शिव, गले में विष को धारण किये हुए हैं. इस पुरे परिवार में कौन सी बात अद्वितीय है”, बाबूजी ने एक और प्रश्न किया मुझसे?
मैं अब तक कुछ समझ नहीं पाया था. मैंने बाबूजी से ही इस बात को समझाने का आग्रह किया.
“सर्प का भोजन मूषक है, म़ोर सर्प को खाता है और सिंह का भोजन बैल. लेकिन इस परिवार मैं कोई किसी को कष्ट नहीं पहुंचता. शिव परिवार के मुखिया हैं. परिवार के समस्यारूपी विष को उन्होंने गले मैं रखा हुआ है. पेट में जाने पर मुखिया की मृत्यु न हो इस लिए विष गले में है. मुखिया के सर पर गंगा है. ये इस बात को सिखाता है की घर के मुखिया का मष्तिष्क हमेशा शीतल रहना चाहिए. परिवार पे आनेवाले खतरों के लिए शिव का त्रिशूल परिवार के प्रधान की ताकत को दर्शाता है. और जब प्रधान रुष्ट हो जाए तो उसके तांडव से विश्व काँप जाता है. प्रधान का परिवार, प्रधान के लिए प्रथम है और उसपे आने वाले हर संकाt को प्रधान स्वयं अपने ऊपर लेता है.
बाबूजी की बात ख़तम होने पर मैंने कहा “मैंने तो कभी भगवन शिव के परिवार को इस दृष्टि से देखा ही नहीं था.”. ये परिभाषा सिर्फ आदर्श परिवार की नहीं है. एक आदर्श प्रजातंत्र भी शिव के इस परिवार की तरह ही होना चाहिए. जहाँ हर छोटे-बड़े, अमीर-गरीब और कमजोर-ताकतवर साथ मिलकर समाज और देश के उन्नति के लिए काम करें.
काश हमारे प्रजातंत्र के रक्षकों को महादेव के इस परिवार के आदर्श गुण कोई बता देता. तो शायद आज हमें मुंबई के २६/११ और दंतेवाडा के दंश को सेहन नहीं करना पड़ता.

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