एक अंतराल के बाद लिखना ऐसा प्रतीत होता है जैसा बिछड़े हुए प्रीतम से अरसों बाद मिलने पर होता है आप के मन में प्रेम की अविरल धारा बह रही है आप के ह्रदय की तरंगों में अपने प्रियतम को स्याह करने का विचार आता है लेकिन आप चाह कर भी अपनी प्रेमिका से नहीं मिल पाते रात को खुले आसमान के नीचे लेटकर तारों को अपलक देखते हुए प्रेम को शब्दों में पिरोना और बेबस हो अपने मस्तिष्क को आदेश देना, रोक देना अपनी उड़ान को कुछ समय के लिए बड़ा कष्टकर होता है, हरबार, बार-बार यही कष्ट शब्दों के आवरण में लिपटकर, कभी दुआ कभी भक्ति, कभी अदृश्य शक्ति बनकर आपकी लेखनी से विचारों के रूप में कागज़ को स्याह कराती है, किसी के लिए स्याही तो किसी की प्रियतमा. लेकिन हमेशा अपने न होने का एहसास कराती है और मुझे मजबूर कर देती है अपनी ज़िन्द्दगी के एक और पन्ने पर चित्रकारी करने के लिए.
This website uses cookie or similar technologies, to enhance your browsing experience and provide personalised recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy. OK
Read Comments