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के मुझे तुम याद आये !

मैं कवि नहीं हूँ!
मैं कवि नहीं हूँ!
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ओस की बूंदों का पत्तों पर वो शर्माना, के मुझे तुम याद आये बारिश की बूंदों का समंदर में सिमट जाना, के मुझे तुम याद आये

सुकून दिल को मिलता कहाँ, हजार मुलाकातों में,
के चाहत तो यही है की तू नजर में बस जाए,
किस्मत की लकीर है क्यूँ, मेरे इन हाथों में,
के चलो खंजर से इसको मिटाया जाए,

छिपने और निकलने का खेल, सूरज का
लगना हर चेहरा तेरे चहरे जैसा,
असर कहाँ है इस दिल पर तेरी सूरत का,
के लगता है तेरा घूँघट पहरे जैसा,

कडकने के बिजलियों पर, तेरा वो डर जाना,
के तेरे गेसू हवा में जो लहराए,
याद कर के मुझे, तेरा वो संवर जाना,
के तबस्सुम तेरे लबों पर बार-बार आये,

नज़रों का बिन बोले हर बात समझाना
के मोहब्बत के कई दिए जलाये,
मेरे दूर जाने की बात पर तेरा वो घबराना,
के इश्क ने सौ जतन है उठाये,

ओस की बूंदों का पत्तों पर वो शर्मना,
के मुझे तुम याद आये
बारिश की बूंदों का समंदर में सिमट जाना,
के मुझे तुम याद आये

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