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मेरे गाँव के कुत्ते

मैं कवि नहीं हूँ!
मैं कवि नहीं हूँ!
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मेरे गाँव मैं कई कुत्ते हैं. काले, पीले,भूरे और पता नहीं किस किस रंग के? कुत्तों के नाम भी बड़े अजीब से रखे हैं ग्रामीणों ने. अगर राजनितिक पार्टियाँ और इन कुत्तों से सम्बंधित कम्पनियां, इनके काम और नाम का संगम देख ले तो इन्हें अपना ब्रांड अम्बस्दर बना ले. अब पहले कुत्ते के नाम से चर्चा शुरू करते हैं. इनका नाम परले जी है. नामकरण की शुरुआत तब हुई जब ये पैदा हुए थे. काफी कमजोर और मरने के कगार पर थे. हमारे गाँव में शैतान चौक के नाम से मशहूर एक जगह है वहीँ ये श्रीमान अपना आसन लगाये यमराज को याद कर रहे थे. अब आपको तो पता ही है की हिन्दुस्तान के अन्दर इंसान से भले ही इंसान से नफरत करे लेकिन कुत्तों से हमारा बहुत पुराना लगाव है. तो कुछ भावुक लोगों ने इस पिल्लै को बचाने का प्रण लिया. किसी एक ने कहा, भैया ये अब तभी बचेगा जब ये कुछ खाए. तभी किसी ने तपाक से परले जी के बिस्किट उसके आगे लाकर रख दिया. जिस उत्साह से उस पिल्लै ने परले जी बिस्किट को खाया उसे मैं बयां नहीं कर सकता. और आज के ज़माने के ट्रेंड को अपनाते हुए ये कुत्ता श्रीमान भी बस एक ब्रांड के हो गए. किसी और कम्पनी का बिस्किट इनके गले नहीं उतरता. खाते हैं तो बस पारले जी. तो यहीं से उनके नाम का आगाज़ हुआ और वो पारले जी बन गए.
अब दुसरे कुत्ते के नामकरण की कहानी सुनते हैं. एक हैं जोनी श्रीमान. ये तब पैदा हुए जब जोनी गद्दार सिनेमा रिलीज़ हुआ था. सभी बच्चे हमारे गाँव में उपलब्ध एकलौते रंगीन टी वि पर जोनी गद्दार देख रहे थे. तभी किसी ने कहा की पास में ही एक कुत्ते ने जनम लिया है. सारे बच्चे भागते हुए वहां पहुंचे. बच्चों का उत्साह देखने लायक था. जोनी आ गया, जोनी आ गया, चारों और से ये आवाजें आने लगी. तब से इनका नाम जोनी पड़ गया. और ये जोनी की तरह ही गद्दार भी हैं. चोर आपके घर में घुस जाए इन्हें कोई प्रॉब्लम नहीं. ये सिर्फ अपने फिराक में रहते हैं.
एक फुंग महाराज हैं. हमारे गाँव की सीमा के बाहर से हैं. पड़ोस के गाँव से यहाँ पधारे हैं. भारत और चीन के संबंधों की याद ताजा करते ये काफी मोटे, तगड़े और छोटे कद के हैं. इनकी शकल आम कुत्तों से अलग है. किसी ने कहा नेपाली लगता है, तो किसी ने कहा नहीं चीन के कुत्ते से शकल मिलती है इसकी. अब चीन के कुत्ते का क्या नाम हो. सभी सोच में डूब गए. अंत में फुंग नाम पर सभी राजी हुए और इनका नाम तब से फुंग ही है. ये हमारे गाँव के सबसे चर्चित कुत्ते हैं. इन्होने आते ही गाँव के सारे कुत्तों को अपने अधीन कर लिया. आजकल गाँव में इन्ही का राज है. हाँ थोड़ी बहुत टक्कर इन्हें जोनी से मिलती है लेकिन एकता में कमी के कारण ये उसपे हावी रहते हैं.
अब बात करते हैं हमारे राजनितिक कुत्ते की. इनके कई नाम हैं. कोई इन्हें राजा, तो कोई प्रिंस, तो कोई शहंशाह के नाम से बुलाता है. नाम कोई भी हो मतलब सबका एक ही है. और वो मतलब है राज करने वाला. अब किसी ने इनका नाम राज करने वाला क्यूँ रखा ये मेरी समझ के बहार है? इनमे एक भी बात एईसी नहीं जिससे इन्हें राजा की उपाधि दी जाए. न ये साफ़ सुथरे रहते हैं और न ही इनका बोलबाला है कुत्तों में. हाँ एक बात जरुर है ये हमेशा बोलबाले वाले गूट में विराजमान रहते हैं. इनकी यही खासियत इन्हें आम कुत्तों से अलग करती है. ये अहिंसा का पाठ पढ़ाते हैं और अपना काम कैसे करवाना है इस बात की जानकारी रखते हैं. तभी तो आप हमला इन पर करेंगे लेकिन इनके लिए आपको जोनी, पारले और फुंग तीनों लड़ते नज़र आयेंगे. इसे कहते हैं राजनीति. है की नहीं?

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