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रसोई है या संसद?

मैं कवि नहीं हूँ!
मैं कवि नहीं हूँ!
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आज मंगलवार है और मेरे यहाँ आज श्रीमती जी की साप्ताहिक छुट्टी है. मैडम ने आज सुबह सुबह ही चाय देते वक़्त कह दिया था की आज उनका अवकाश है और वो आज व्रत में रहेंगी, सो घर के काम में आज उनका जी न लगेगा. मैंने कहा की व्रत तो हमारा भी है लेकिन हम तो कभी अवकाश नहीं लेते, श्रीमती जी तुनक कर बोली “पुरे हिंदुस्तान में महिला आरक्षण के मुद्दे पे साड़ी पार्टियाँ एक हैं और आप हैं की अपनी अर्धांग्नी का जरा भी ख्याल नहीं”. देखिये आज मुझे हनुमान जी के मंदिर जाना है, आते समय अपनी कुछ दोस्तों से मिलते हुए आउंगी, आप अपना नाश्ता और दोपहर का भोजन स्वयं बना ले तो शायद आज आप भूखे न रहे.
अब bhukh तो पुरे देश के लिए सबसे बड़ी समस्या है, hamari kya majal की हम इन्हें सम्मान न दें. अपने पास तो रसोई में भोजन बनाने की साड़ी सामग्री उपलब्ध है. ये अलग बात है की महंगाई की वजह से रसोई का बजट भी देश के bajat की tarah vaadon के bailgaadi में चल रहा है. हमने भी रसोई के इस जुंग को जीतने का फैसला कर लिया. रसोईघर की वर्दी धारण कर हम भोजन बनाने के मैदान में कूद परे. हमने दुश्मन के सारे बंकरों का बारीकी से निरिक्षण किया और अपनेआप को चाक़ू, कढाई जैसे हथियारों से लैस कर लिया.
सबसे पहले हमने आलू महाराज को दुन्धा और जैसे ही अपना हाथ उनकी तरफ बढाया उन्होंने सतर्क करने के अंदाज में कहा “श्रीमान, हम तो रसोई में कैबिनेट minister की हैसियत से विराजमान हैं. अगर आपको हमसे मिलना है तो hamari सेक्रेटरी मिर्ची जी से संपर्क करें. वही हमारे कामों का ब्यौरा रखती हैं. हम थोड़े से हैरान हुए और सहेमते हुए मिर्ची मैडम के पास गए. मैडम चाय की चुस्की लेते हुए t20 cricket का आनंद ले रहीं थी. मैंने jhijhakte हुए कहा “मैडम जी रसोई में आलू श्रीमान की जरुरत है और उन्होंने आपसे मिलने के लिए कहा है”. मिर्ची जी मुस्कुरायीं और इशारे से मुझे बैठने को कहा. “मैं आपकी समस्या समझ सकती हूँ लेकिन मैं अभी ग्रीष्म अवकाश का आनंद ले रही हूँ. अभी श्रीमती प्याज देवी मेरा कार्यभार संभल रहीं हैं. आप उनसे अपनी व्यथा सुनाएं.” हम थोरे मायुश हुए और थोड़े दर भी गए. प्याज देवी ने तो कई सरकारों की उलटी गिनती शुरू करवाई है, कहीं आज उनके प्रकोप से हमारी सहमत न आ जाए. इसी कशमकश मैं हम उनके दर्शन करने उनके दरबार पहुंचे. मैडम का मूड आज कुछ अच्छा लग रहा था. दरबार में चावल महाराज, दाल देवी और हल्दी महाराज आसन जमाये बैठे थे. हमने डरते darte मैडम से अपनी व्यथा सुना ही दी. मैडम ने व्यंगा भरे अंदाज में कहा “श्रीमान हमारे दिन तो अब लड़ गए. आजकल तो पूरा हिंदुस्तान चीनी के gun gaa रहा है. अब देखिये एक बार जो श्रीमान aashiq के भाव बढे तो फिर गिरने का नाम ही नहीं लेता. अब तो पूरी sarkaar bas inhi के paanv dhulane में lagi है. उनके दर्शन तो अब शायद इस जनम में न हो. behtar hoga आप baahar से कुछ मंगवा ले”

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