मैं कवि नहीं हूँ!
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हम तो लिखते हैं, लिखते ही जायेंगे
साहित्यकारों ने दुत्कारा तो क्या,
इतिहासकारों के काल निर्धारण में,
काम आयेंगे
व्याकरण की सुधि लें वो,
जिन्हें बनना है ज्ञानी
हम तो लिखते हैं, लिखेंगे,
बिना रुके बिना परेशानी
आप बनो कवि या लेखक,
लिखो हरा, लाल, आसमानी
जो मन आये लिख देते हैं
डरे-डरे ही ठीक हैं भैया,
क्यूँ करें सीना-तानी
हम तो कहते हैं, कहते ही जायेंगे
दरबारों ने दुत्कारा तो क्या,
कहारों के तो काम आयेंगे
छंद-वंद भाई मैं ना जानू,
नियम कहो क्यूँ मानु
गद्य-पद्य की मुझे समझ नहीं
मैं बस दिल को पहचानू
शब्द चयन लगे बड़ा कठिन है
मात्राएँ मैं न पहचानू
स्वर-व्यंजन की करूं क्यूँ चिंता
जब लिखना ही न जानूं
हम तो चलते हैं, चलते ही जायेंगे
हजारों ने दुत्कारा तो क्या
बेकारों के काम आयेंगे
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