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अमरनाथ की पवित्र यात्रा को सुरक्षित और निर्बाध रूप से चलाने के लिए भारत सरकार और जम्मू सरकार ने कुल चालीस हजार सुरक्षा बल तैनात किए थे। बावजूद इसके आतंकी हमला होना सुरक्षा के हिसाब से बहुत चिंतित करने वाला विषय है, क्योंकि तीन आतंकियों ने हमारे सुरक्षा बलों को चकमा देकर जिस तरह से 7 श्रद्धालुओं की हत्या कर दी।
तमाम खुफिया रिपोर्ट बहुत पहले से ही अमरनाथ यात्रियों पर आतंकी हमलों के संकेत दे रही थी। फिर भी प्रशासन की लापरवाही सामने आई और उसका खामियाजा श्रद्धालुओं को उठाना पड़ा। इनकी सुरक्षा नहीं हो पाई। सरकार कोई भी कड़ी कार्रवाई करने को राजी नहीं है, जबकि आतंक की ये पहली घटना नहीं है। ऐसी न जाने कितनी आतंकी घटनाओं को आतंकी अंजाम दे चुके हैं, जिसमें आम नागरिक के साथ सेना के जवान भी मौत के मुंह में चले जाते हैं।
हमारा प्रशासन इतना शिथिल हो चुका है कि कड़ी निंदा के अलावा कुछ भी नहीं आता, जिससे देश की समस्या जस की तस बनी हुई है। आज देश की राजनीति इतनी प्रदूषित हो चुकी है कि कोई भी कार्रवाई होने के पहले वह अफवाहों की बाजार में फंस कर जाती है। जिस प्रकार से एक पत्थरबाज का जम्मू-कश्मीर के मानवाधिकार द्वारा महिमा-मंडन किया गया, यह उन पत्थरबाजों के लिए उकसाने वाला कदम है, जो सेना के ऊपर पत्थरबाजी करते हैं। पत्थरबाज को 10 लाख रुपये देने का आदेश दिया गया, जो सेना का मनोबल गिराने के लिए काफी है। क्योंकि इससे पत्थरबाजों का मनोबल बढ़ेगा और वे 10 लाख के चक्कर में और पत्थरबाजी शुरू कर देंगे।
देश में यही घटिया राजनीति आतंकी हमले को बढ़ाने में मदद करती है। इससे आतंकी निडर हो जाते हैं और हमले को अंजाम देते हैं। ये आतंकी इतने निडर हैं कि अमरनाथ यात्रियों को भी नही छोड़ रहे, जिनका इन आतंकियों से कुछ भी लेना-देना नहीं है। वे बिल्कुल निर्दोष हैं, फिर भी आतंकियों ने उनको निशाना बनाया। उनमें भी अधिकतर महिलायें ही थी, जिनको गोली मारी गयी।
मुस्लिम आतंकियों ने हिंदू दर्शनार्थियों को निशाना बनाकर यह बताने का प्रयास किया कि हम मुस्लिम हैं और हमारा काम हिंदुओं को मारना है। हम मुस्लिमों को नुकसान नहीं पहुंचा सकते। अब आतंकियों के धर्म का पता इसी बात से लगाया जा सकता है कि जो इन हिंदुओं का नरसंहार कर रहे। आज के दौर में उन्हीं आतंकियों की महिमा-मंडन भी किया जाता है। आज कश्मीर की कश्मीरियत पर इन आतंकियों के कारण कलंक लग गया है, जिसको हटाना अब कश्मीर के लोगों के वश की बात नहीं।
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