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पाकिस्तान के साथ अगर हम प्रेम की भाषा छोड़ उसी के भाषा में जबाब दे तभी उसके समझ में आएंगी क्योंकि इतना तो सही है कि इस मानव समाज के अंदर जितने भी दुर्गुण है वो सब पाकिस्तान के अंदर भरपूर पैमाने पर मिलेंगे। इस देश के अंदर मानवता ,इंसानियत, प्रेम ,दोस्ती की भारी कमी है साथ ही विकास करने की जिज्ञासा की कमी तो है ही , पाक अगर करता है तो केवल आतंकियों का ही विकास करता है। पाक का व्यवहार आज ही नहीं 1947 से ही इसी तरह धोखेबाज़ी का रहा है।यह हमेशा दोस्ती की आड़ में चाकू घोपने का काम करता है इसलिए इसके ऊपर विश्वास करना भी बहुत बड़ी गलती है क्योकि इसने 1947, 1965 और 1999 में अपना रूप दिखा चुका है और आज कुल भूषण जादव के मामलें में भी भारत को बिल्कुल ही विश्वास करने की ज़रूरत नही ,क्योकि पाक कभी भी किसी कैदी से हमला करवा कर जादव को मरवा सकता है और फिर प्रचार कर देगा कि कैदियों के आपस झगड़े मे यह घटना हो गयी, क्योंकि बहुत से भारतीय के साथ पाक ने ऐसा ही किया है। वह कभी भी सही नही बोलता और झूठ पर झूठ बोलता रहता है।भारत को पाक से बिल्कुल ही सावधान रहना पड़ेगा और जैसा वह व्यवहार कर रहा है उसको उसी के भाषा में ज़बाब भी देना पड़ेगा। इसीलिए बहुत जरूरी होता है कि एक पड़ोसी अच्छा हो एवं समझदार हो,अब अगर ऐसा नही है तो ये उस देश के लिए सही नही है, खुरापाती पड़ोसी रहने से कभी भी शांति नही हो सकती। यह भारत देश का दुर्भाग्य ही कहा जायेगा कि पाकिस्तान जैसा देश पड़ोस में है, और इसकी दुष्टता इस कदर है कि यह अपने तो परेशान रहता ही है दूसरों को भी परेशान करता रहता है, इसीलिए गोस्वामी तुलसीदास ने रामचरित मानस में इस बात का जिक्र किया है कि भगवान दुष्ट मनुष्य का साथ किसी भी हालत में मत देना। *****************************************नीरज कुमार पाठक नोएडा
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