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देश में एक थकी तकनीक के सहारे हो रहे चुनाव को अगर आधुनिक समय के हिसाब से चुनाव प्रक्रिया को संचालित किया जा रहा है तो विपक्षी पार्टियों को इस पर आंसू नहीं बहाना चाहिये क्योंकि तकनीक के बढ़ते स्वरूप को ही हमेशा स्वीकार करना चाहिए और उसके परिणाम से खुश होना चाहिए । तकनीक वही बढ़िया होती है जिससे कम खर्चा हो और समय भी कम लगे। आज देश में सबसे ज्यादा कमी अगर किसी चीज की है तो वह है समय। ———देश के अंदर किसी न किसी राज्य में हमेशा चुनावी प्रक्रिया को अंजाम दिया जाता है। जिसके कारण चलती ही रहती है और उसमें किसी न किसी पार्टी की हार-जीत होती रहती है लेकिन जिस प्रकार से कुछ समय से विपक्षी पार्टियां ईवीएम को निशाने पर ले रही है ये इस लोकतंत्र के लिए सही संकेत नहीं कहा जा सकता क्योंकि जब इसी ईवीएम के सहारे लोकतंत्र की नींव को मजबूत किया जाता है और इसी पर लोग शंका करे तो यह सही नहीं है भविष्य के लिए। इसी कारण बार-बार चुनाव आयोग पर भी सवाल खड़े हो जाते है , चुनाव आयोग और ईवीएम दोनों का कटघरे में खड़ा करना ये सही नहीं है। —- ———– ईवीएम पर जो भी आरोप लगाए जाते है ये कितने निराधार है ये तो वही बता सकता है जिसको ईवीएम में खोट नजर आती है, लेकिन बैलेट से चुनाव कराने की विपक्षी पार्टियों की मांग कितनी जायज है ये भी देखने वाली बात है क्योकि ईवीएम से चुनाव कराना, उसकी गिनती करना, आने ले जाने में सुविधा ये सब फायदा होता है, सबसे बड़ी बात है ईवीएम के द्वारा हुए चुनाव को कम से कम समय में गिनती करके परिणाम दे सकते है। जबकि बैलेट में असुविधा के साथ ही इसको परिणाम देने में भी काफी वक़्त लग जाता है, इस प्रकार से अगर देखा जाय तो इस आधुनिक युग के हिसाब से भी यह बहुत बढ़िया तकनीक है। देश की राजनीतिक पार्टियां इस ईवीएम को राजनीति के घेरे में लाना चाहती है। जब चुनाव जीत गए तो ईवीएम ठीक और हार गए तो यह गलत। इसलिए देश के अंदर ऐसी राजनीति नहीं होनी चाहिए कि कोई चीज कभी खराब हो जाये और कभी अच्छी हो जाती है। इसलिए ईवीएम पर अंगुली तभी उठाएं जब उसमें कुछ खोट नजर आए ऐसे में हवा में ईवीएम पर दोष मढ़ना कतई सही नहीं है और इसको राजनीति से बाहर रखना चाहिए। *****************************************नीरज कुमार पाठक आईसीएआई नोएडा
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