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जेएनयू का राजनीतिकरण

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देश के अंदर जितनी भी यूनिवर्सिटी है अगर किसी भी यूनिवर्सिटी में सबसे ज्यादा विवाद रहता  है तो वह है जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय  (जेएनयू)। इस यूनिवर्सिटी का विवादों से बहुत पुराना नाता है यह देश का ऐसा विश्वविद्यालय है जहां पर कुछ न कुछ विवाद होना स्वाभाविक प्रक्रिया है। जेएनयू में अध्ययन का काम कम राजनीति का काम ज्यादा किया जाता है। आज के समय में शिक्षा के इस मंदिर को भी राजनीति के अखाड़े में तब्दील किया जा रहा है,  जहां राजनीति को शिक्षा से ज्यादा तवज्जों दी भी जाती है। इसमें भी और विश्वविद्यालयों के अपेक्षा जेएनयू कुछ ज्यादा ही राजनीतिक परिवेश में ढलता जा रहा है। जहां भारत के टुकड़े करने की बात की जाती है, एक आतंकवादी के गुणगान गाये जाते है और उसकी महिमा-मंडन किया जाता है जैसे वह बहुत बड़ा देशभक्त हो, सोचने वाली बात है कि जो आतंकवादी भारत के हृदय पर चोट करने का माद्दा रखता हो उसका यहां पर प्रशंसा की जाती है, उसके गुणगान गाये जाते है। इस प्रकार से समय-समय पर विभन्न तरीको से इस विश्वविद्यालय के अंदर विवाद होते ही रहते है।कुछ इंही विवादों में से एक है छात्राओं  के छेड़छाड़ और यौन उत्पीड़न का जो अभी कुछ छात्राओं के साथ हो रही छेड़छाड़ का मामला जोरों पर चल रहा है, जिसमें तकरीबन आठ छात्राएं प्रोफेसर अतुल कुमार जौहरी के ऊपर यौन उत्पीड़न और छेड़छाड़ का संगीन आरोप लगा दिया है हालांकि प्रोफेसर जौहरी अपने ऊपर लगाये जा रहे आरोप को निराधार बता रहे है और इसको एक साज़िश के तहत लगायें जा रहे आरोप की संज्ञा दे रहे है। प्रथम दृष्टि में इस आरोप के बारे में बिल्कुल सटीक कुछ नहीं कहा जा सकता जब तक पुलिस जांच अपने अंतिम दौर में न पहुँच जाय, लेकिन एक बात तो तय है कि जेएनयू का विवादों से बहुत पुराना नाता रहा है, चाहे वह अंदरूनी कारणों से हो या फिर राजनीतिक कारणों से लेकिन विवादों से जेएनयू मुँह नही मोड़ सकता।अब इस यूनिवर्सिटी में ऐसा क्यों होता है कि ये हमेशा विवादों के घेरे में रहती हैं, इसे क्यों देश की मीडिया के सुर्खियों में प्रमुखता दी जाती ।                          *****************************************नीरज कुमार पाठक        आईसीएआई   नोएडा

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