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बैंक को बनाने का उद्देश्य सिर्फ इतना था कि जनता के पैसे को इस जगह पर सुरक्षित रखा जा सके, किसी भी प्रकार का कोई संकट न आने पाये, लेकिन आज जैसे-जैसे दुनिया आगे बढ़ रही है वैसे-वैसे ही अपराध बढ़ता जा रहा है। क्या अंदर क्या बाहर, जो जहां भी है सिर्फ भ्रष्टाचार में ही विश्वास रखता है। उसको सिर्फ यही दिखता है कि कैसे हम कमा कर एक मोटी रकम रख ले जिससे कि हमारी आने वाली पीढ़ी कई दशक तक बिना हाथ-पैर मारे खाती रहे। उसे कोई काम न करना पड़े।
आज लोगों में पैसे की कितनी भूख है कि लोग जहां पर नौकरी करते हैं, उसी विभाग को लूटने में लग जाते है।आज देश में जितने भी छोटे-बड़े घोटाले हुए उनमें ये नही है कि इसमें वही दोषी है, जिसने ऋण लिया है सबसे बड़ा दोषी तो वह है जो भ्रष्टाचार के रास्ते चलकर भ्रष्टाचार करवाता है। बैंकों में आज जो घोटाले हो रहे हैं, इसमें पैसा लेकर भागने वालों से ज्यादा दोषी बैंक के अधिकारी और कर्मचारी है जो ऐसे लोगों को करोड़ो, अरबों की संख्या में पैसे का भुगतान कर देते हैं।
एक आम आदमी को अगर दो-चार लाख बैंक से लोन लेना हो तो बैंक उसको इतना दौड़ा देता है कि वह दोबारा लोन की तरफ देखना भी पसंद नही करता, लेकिन जो अरबों रुपये लोन लेता है उसको इतनी आसानी से कैसे भुगतान कर देता है, यह सोचने वाली बात है। एक छोटा किसान अगर 10,000 हजार का भी लोन ले रखा और नहीं दे रहा है तो उसके खिलाफ आरसी काट दी जाती है और घर की कुर्की तक कर दी जाती है, लेकिन बड़ो के लिए कोई कानून नहीं रहता जिससे कि वे शिकंजे में फंसे।
आज देश के अंदर पीएनबी बैंक में घोटाले ही घोटाले नजर आ रहे, जो कानपुर से लेकर कोलकाता तक फैला हुआ है। ये लोग बैकों को भरपूर तरीके से चुना लगाकर विदेश की राह पकड़ लेते हैं, उसके बाद सरकार हाथ मल कर रह जाती है। इन भ्रष्टाचारियों में प्रमुख रूप से हीरा व्यापारी नीरव मोदी जिसने 13,000 हजार करोड़ का, रोटोमैक ग्रुप ऑफ कंपनीज के मालिक विक्रम कोठारी ने 3,695 करोड़ का उसके बाद अब कोलकाता की कंपनी आरपी इम्फोसिस्टम ने 515 करोड़ का बैंक घोटाला करके पीएनबी को खोखला करने में बिल्कुल भी कसर नहीं छोड़ रहे।
ऐसे घोटालों से जनता के प्रति गलत संदेश जाता है और उनका विश्वास भी खत्म होता है। अगर आमजन के बीच में इस गलत संदेश को फैलने से रोकना है, तो सरकार को हर हाल में ऐसे घोटाले रोकने पड़ेंगे और दोषियों को कड़ी से कड़ी सजा देनी पड़ेगी और उनकी सब सम्पति को ज़ब्त करना पड़ेगा जिससे कि बैंकों की साख बनी रहे।
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