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मुश्किल में स्कूली बच्चे

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अगर कोई बच्चा स्कूल के अंदर अपने को सुरक्षित महसूस नहीं कर रहा है तो यह बहुत ही गम्भीर मामला है क्योंकि जिस स्कूल से उसको अपना भविष्य बनाना है अगर वही से भविष्य अंधकारमय दिखने लगे तो क्या कहा जा सकता है। स्कूल के अंदर बच्चे स्कूल के स्टाप से बचे ,अपने सहपाठी से बचे तब तो वह अपना भविष्य सवार सकते है नहीं तो उनका भविष्य अंधकारमय होना स्वाभाविक बात है। अब अगर मयूर विहार फेज एक दिल्ली की घटना पर नजर डाले तो फिर यही समझ में आता है कि कहीं भी बच्चे सुरक्षित नहीं है। अब दिल्ली हो या फिर गुरुग्राम या फिर नोएडा हर जगह के स्कूलों का हाल एक जैसा है।  कहीं पर भी यह कहना बड़ा मुश्किल है कि यहां बच्चा सुरक्षित है, हर जगह बच्चों के साथ अनहोनी होने की आशंका बनी रहती है। कोई भी माता-पिता अपने बच्चों को एक बार स्कूल भेजने के बाद सशंकित रहता है कि कहीं कोई अप्रिय घटना न घट जाय। कोई भी बच्चा हो चाहे छात्र हो या छात्रायें किसी को यह कह पाना बड़ा कठिन है कि वह सुरक्षित है। किसी भी छात्र के साथ कब, कहां कौन सी घटना हो जाय यह बताना बड़ा मुश्किल है। आज न तो शिक्षक और न ही छात्र अपने को सुरक्षित बता सकते है, आज का वातावरण इतना इतना प्रदूषित हो चुका है कि गुरु के नाम को भी लोग कलंकित कर दे रहे है। जिस प्रकार की घटना मयूर विहार के फेज -1 के एल्कान पब्लिक स्कूल की कक्षा 9वीं छात्रा के साथ जो घिनौनी हरकत अध्यापक ने किया यह बहुत ही शर्मिंदगी की बात है।जिस गुरु को शिक्षा देने की जिम्मेदारी दी गयी वही गुरु अपने शिष्या के साथ घिनौनी हरकत करता है और परीक्षा में फेल कर देता है। यह एक प्रकार का शैक्षणिक क्रूरता है जो शिक्षा के मंदिर जैसे पवित्र घर में नहीं होना चाहिए, लेकिन आज ऐसे अध्यापक को हम क्या कहें जो अध्यापन का कार्य छोड़ अनैतिक कार्य पर लगे हुए है, ये शिक्षा जगत में अभिशाप है, ऐसे अध्यापक हो या स्कूल प्रशासन सब को आजीवन प्रतिबंध लगा देना चाहिए जिससे कि इन अनैतिक लोगों को रोका जा सके। जिससे कि कोई और बच्चा समय के पहले ही दम न तोड़े।।                        *****************************************नीरज कुमार पाठक   आईसीएआई        दिल्ली

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