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सड़क पर चलने वाले सभी व्यक्ति को यू-टर्न लेने की जरूरत कभी न कभी पड़ ही जाती है। कभी ऐसा समय आता है कि आगे रास्ता बंद रहता है और मनुष्य को यू-टर्न लेना मजबूरी बन जाता है , लेकिन दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के जिंदगी में ही यूटर्न लेने की मजबूरी आ गयी है जिस पर अमल भी शुरू कर दिये है। यू-टर्न लेने मे में पारंगत दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल समय-समय पर अपनी पैतरेबाजी से देश को अवगत कराते रहते है। एक समय था जब अरविंद केजरीवाल ने बड़े से बड़े नेताओं पर भी संगीन आरोप लगाने से नहीं चूकते थे , चाहे उसका कोई आधार हो या न हो, यहां तक कि इन्होंने पीएम मोदी पर तरह-तरह के आरोप लगा दिए थे जिनमें से एक आरोप यह भी था कि मोदी मुझे मरवा देगा, अब सोचने वाली बात है कि एक प्रधानमंत्री इतने घटिया स्तर का काम क्यों करेगा। ये कोई सीरिया, इराक तो है नहीं , ये भारत है जहां पर सबको जीने और बोलने की आजादी है फिर भी मुख्यमंत्री केजरीवाल का इस तरह से बचकानी बातों का करना सही नहीं लगता और यही कारण ही लोग इनकी बातों को गम्भीरता से नहीं लेते, और यही कारण है कि यही आरोप एक न एक दिन हास्यास्पद बन जाता है। बेबुनियाद लगाएं गए आरोप का किसी न किसी दिन सच आ ही जाता है और फिर उसका किरकिरी होना भी तय है। दिल्ली के मुख्यमंत्री ने जितने भी लोगों पर आरोप लगाएं है सभी ने इनको कोर्ट तक खींचा और मानहानि का मुकदमा कर दिया है। मानहानि के बढ़ते मुकदमों की संख्या से केजरीवाल भी परेशान हो गए है जिसके कारण उन्होंने ने अपनी आदत के अनुसार अब यू-टर्न लेना शुरू कर दिया है। 33 मानहानि के मुकदमों से आहत केजरीवाल ने पहले अवतार सिंह, बिक्रम मजीठिया के बाद अब कपिल सिब्बल और नितिन गडकरी से भी माफीनामा मांग लिया, लेकिन अब सवाल उनके सामने सबसे बड़ा यह है कि क्या केजरीवाल का माफी मांगना अपने जगह पर सही है अगर सही है तो फिर पार्टी में असंतोष क्यों पनप रहा है। *****************************************नीरज कुमार पाठक आईसीएआई नोएडा
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