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आज के समय राजनीति में भी राजनीति के प्रवेश के कारण यह काफी घटिया स्तर की राजनीति हो गई है और पार्टियां अब हारने के बाद इस कदर सत्ता की भूखी है कि उनको चुनाव आयोग और ईवीएम में ही खोट दिखाई देने लगा है,इसी हो-हल्ला के कारण ही चुनाव आयोग ने सभी राजनीतिक दल और उन लोगों को खुली चुनौती दिया है कि कोई भी ईवीएम में खोट निकाल कर दिखाये, यह कह कर चुनाव आयोग ने बहुत ही बढ़िया काम किया जो ईवीएम पर पाँच राज्यों के चुनावी हार का ठीकरा फोड़ने में लगे हुए है। यह उन लोगो के लिए एक तरह से बहुत ही मर्यादित चुनौती है जिन्हें अपना मान-सम्मान भी जाने का डर रहेगा क्योंकि अगर ये ईवीएम को गलत साबित नहीं कर पाये तो इनका पिछले दिनों से हो रहे हो-हल्ला को हास्यपद ही माना जायेगा, विशेषकर बसपा सुप्रीमो मायावती के लिए और भी दुःखद होगा जो इस समय इस मामलें को लेकर काफी गम्भीर है और इस लोकतंत्र के मंदिर पर अंगुली उठा रही है। चुनाव आयोग को चाहिए कि वह सबसे पहले मायावती , राहुल, केजरीवाल आदि को बुलाये और इनसे पूछे कि कैसे होती है ईवीएम में छेड़छाड़, अगर यह सिद्ध करने मे सफल नहीं हुए तो इनके ऊपर जुर्माना लगा देना चाहिए, क्योकि इन लोगों के कारण ही ईवीएम और चुनाव आयोग दोनों को लोग कटघरे मे खड़ा कर रहे है। चुनाव आयोग की भी अपनी गरिमा होती है और इस पर अंगुली उठाने का मतलब लोकतंत्र पर अंगुली उठाने के बराबर होता है,उसके बाद भी देश के राजनीतिक दल के लोग इस मामले को तो तूल देने में लगे है, इसी कड़ी में ही 13 दलों के लोग राष्ट्रपति के यहां पर गुहार लगाने भी पहुँच गये।इन पार्टियों के लोगों को विश्वास नहीं हो रहा है कि ईवीएम से छेड़छाड़ नही हुई है जबकि पंजाब के मुख्यमंत्री का साफ कहना है कि अगर ईवीएम में छेड़छाड़ होती तो मैं मुख्यमंत्री नहीं होता, और इस जगह पर अकाली दल की सत्ता होती, पंजाब के मुख्यमंत्री का ये कहना बिल्कुल उचित लगता है क्योंकि अगर भाजपा को ईवीएम में गड़बड़ी करनी होती तो वह पंजाब में भी कर सकती थी , जो आज तीसरे नम्बर पर है। लेकिन राजनीति का स्तर कुछ नेताओं ने इतना गिरा दिया है कि वह लोकतंत्र की भी इज्ज़त नही कर रहे। *****************************************नीरज कुमार पाठक नोयडा
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