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मनुष्य को अगर स्वार्थ नामक बीमारी लग गयी तो वह अपनी भलाई के लिए किसी भी स्तर तक गिर सकता है स्वार्थ की चपेट में राजनेता भी लोग घिरते जा रहे है। ये वोट पाने के स्वार्थ के कारण ही कांग्रेस पार्टी ने एक शब्द खोजा हिंदू आतंकवाद, कांग्रेस ने जिस हिंदू आतंकवाद शब्द का प्रयोग किया था आज उसी शब्द की आड़ लेकर तमिल फिल्म के नायक कमल हासन राजनीति में प्रवेश पाने के लिए किसी भी हद तक गिरने के लिए तैयार है। कांग्रेस शासन में तत्कालीन गृहमंत्री सुशील कुमार शिंदे ने हिंदू आतंकवाद शब्द का प्रयोग किया था सिर्फ एक वर्ग को खुश करने के लिए, जिससे कि वोटबैंक को बढ़ाया जा सके। इसी लालच में हिंदू आतंकवाद शब्द को कांग्रेस ने अपने शब्दकोश से निकाला और इस शब्द का पहला प्रयोग किया गया मालेगांव बम ब्लास्ट में , जहां प्रज्ञा ठाकुर और कर्नल श्रीकांत पुरोहित को हिंदू आतंकवाद का दोषी बनाया गया और उन्हें जेल में डाल दिया गया, जो निर्दोष रहते हुए भी कांग्रेस की इस घिनौनी साज़िश का शिकार हो गए। उन्हें अपना बहुमूल्य समय गवाना पड़ा लेकिन आज इसी हिंदू आतंकवाद के सहारे ही कमल हासन भी दूषित राजनीति कर रहे है। देश के अंदर अक्सर देखा जाता है कि जब किसी को किसी भी क्षेत्र में प्रवेश करना होता है तो वह कोई न कोई बहुत बड़ा बयान देता है जिससे कि विवाद हो और उसका नाम सबकी जुबान पर आ जाये और उसकी धमाकेदार प्रवेश हो, धमाकेदार प्रवेश के लिए वह भारत तेरे टुकड़े होंगे का नारा भी लगा सकता है लेकिन सबको इस बात पर जरूर ध्यान देना चाहिए कि अपने निजी स्वार्थ के लिए देश और समाज को कतई बदनाम नहीं करना चाहिए, इसलिये जो रास्ता कमल हासन राजनीति में आने के लिए प्रयोग कर रहे है वह कहीं से भी सही नहीं है ऐसे रास्तों से धमाकेदार प्रवेश लेना अनुचित ही नहीं निंदनीय भी है जिसकी जितनी भी निंदा की जाय कम है। आतंकवाद कोई भी उसका जब धर्म नहीं होता तो हिंदू आतंकवाद कहां से आ गया लेकिन राजनीतिज्ञ लोग अपनी राजनीति को चमकाने के लिए ही हिंदू आतंकवाद कहा जाने लगा, जो अब राजनीतिक पचड़े में फंस गया है,जिसको अपने स्वार्थ के अनुसार लोग प्रयोग कर रहे है।। *****************************************नीरज कुमार पाठक नोएडा
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