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लापरवाही में जाती जान

Indian
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अगर एक ही गलती को बार-बार दुहराया जाय तो इसका क्या मतलब हो सकता है? या तो प्रशासन बेपरवाह है या फिर लोग जान बूझकर गलती पर गलती करने के आदी हो गए है, जिसमें उनकी जान भी जाती है फिर भी वे नहीं मानते। जैसा कि इस समय दिल्ली में सफाई कर्मियों के साथ हो रहा है, मात्र 35 दिन के अंदर 10 सफाई कर्मियों की मौत तो फिलहाल इसी तरफ इशारा कर रही है, आखिर प्रशासन इतना लापरवाह क्यों हो रहा है? जो इन कर्मियों को मरने पर मजबूर करता जा रहा है, क्यों नहीं सावधानी बरती जाती? जब किसी सेटलिंग टैंक या कोई अन्य टैंक की सफाई करने में सफाई कर्मियों की अक्सर मौत हो जाती है उसके बावजूद वही गलती बार- बार क्यों दुहराई जाती है? यह समझ से परे की बात है। इन मामलों में न तो प्रशासन और न ही सफाई कर्मचारी दोनों में से कोई भी सुधरने को तैयार नहीं है, सबको पता रहता है कि ये टैंक जानलेवा साबित हो सकते है उसके बावजूद भो लोग सावधानी नहीं रखते जिसके कारण ही दुर्घटना होती है।टैंक किसी भी प्रकार के हो उनमें गैस बनना स्वाभाविक है, इसलिए हमारा परम् कर्तब्य होता है कि अपने शरीर की सुरक्षा हम खुद करें फिर भी लोग इस बात को गम्भीरतापूर्वक नहीं लेते जिसके कारण लोग जान गवाते रहते है। प्रशासन भी घटनाओं से सबक नहीं लेता और सफाई कर्मियों को टैंकों में उतार देते है। जबकि अगर देखा जाय तो प्रशासन अगर सावधानी बरतें तो ऐसी घटनायों को आसानी से रोका जा सकता है परंतु सरकार क्यों नही इसका कुछ उपाय सोचती की जिससे कि टैंक में किसी को उतारना न पड़े और कोई मशीन उसकी सफाई कर दे जिससे कि सफाई कर्मियों की कीमती जान को बचाया जा सके। इस मामले में प्रशासन और सफाई कर्मचारी दोनों को ऐसा काम बिना सुरक्षा के न तो करवाना चाहिए और न तो करना चाहिए, फिर भी सफाई कर्मचारी बिना सुरक्षा उपकरण के इन सीवर टैंकों में घुस जाते है और परिणाम मौत।इसलिए इन मौतों को हर हाल में रोकना ही पड़ेगा चाहे जो भी कदम उठाना पड़े। *****************************************नीरज कुमार पाठक नोएडा

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