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संस्कारित शिक्षा का पतन

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आज के समय मे जिस प्रकार से शिक्षा ग्रहण करने की रफ्तार है उससे थोड़ी खुशी जरूर मिलती है कि कम से कम शिक्षा के तरफ लोगो का रुझान बढ़ तो रहा है लोग शिक्षा के प्रति जागरूक हो रहे हैं। आज के समय मे तो लोग शिक्षा के प्रति गम्भीर जरूर है पर संस्कारविहीन बनते जा रहे है जिसमे सुधार की जरूरत है, शिक्षा मनुष्य के जीवन की ऐसी ज़रूरत है जो मनुष्य को आगे ले जाने में काफी सहायक होती है,एक शिक्षित ब्यक्ति देश के निर्माण में काफी कुछ सहायक होता है, इसी शिक्षा के बढ़ते स्तर के कारण देश के अंदर काफी कुछ बदल गया, आज देश के अंदर साक्षरता का स्तर बेशक बढ़ गया हो लेकिन फिर भी संस्कार की भारी कमी देखी जा सकती है,इसलिये यह कहना सही नहीं होगा कि जो लोग ऊंची डिग्री वाले होते है वही संस्कारित होते है, यह गलत तो है ही और ऐसा कहना उनका अपमान भी होगा जो अशिक्षित होने के बावजूद भी संस्कारयुक्त होते है और अपने सभ्यता के कारण वह सबका प्रिय बने रहता है।मनुष्य के अंदर संस्कार का होना बेहद जरूरी होता है और ये कही से क्रय नही किया जा सकता है बल्कि इसको हम परिवार से ही सीख सकते है या फिर कुछ लोगो मे यह वंशानुक्रम गुण होता है जिसको सीखना नही पड़ता बल्कि ये पारिवारिक उपहार स्वरूप प्राप्त होता है, आज के समय मे अधिकांशतः यह देखा जा रहा है कि लोग किसी न किसी प्रकार से डिग्री ले लेते है या फिर पैसे के बल पर डिग्री खरीद लेते है , लेकिन संस्कार वही रहता है जिसके कारण समाज मे इस बदले संस्कार के कारण ही अशान्ति का वातावरण बना रहता है, आज के समय में लोगों के अंदर छोटे और बड़े का कोई मतलब नही रहता जिसके कारण अब लोग यहाँ तक बदल गए है कि अब वरिष्ठ नागरिक तक को सम्मान देने में हिचकिचाहट दिखाने लगते है और इसी के अनुरूप पहले लोग अपने बुजुर्गों का काफी सम्मान करते थे, यहां तक कि लोग दूसरे के घर के भी सदस्यों का पूरा ख्याल रखते थे। लेकिन आज बहुत कुछ बदलाव आ चुका है और अब मनुष्य भी बदलाव के तरफ अग्रसर है किंतु संस्कार विहीन रूप से।। *****************************************नीरज कुमार पाठक नोयडा

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