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आज के संदर्भ में देखा जाय तो सड़कों पर यातायात की व्यस्तता इस कदर बढ़ती जा रही है कि सड़क पर पैदल चलना बिल्कुल भी सुरक्षित नही है क्योकि पैदल यात्री को ये बिल्कुल भी नहीं पता होता कि कब ,कौन सी गाड़ी पीछे या आगे से आकर टक्कर मार दे और मूल्यवान प्राण शरीर से निकल भागे, आज के समय मे सड़क पर चलने वाले लोग यह बिल्कुल भी नहीं सोचते कि हमारे आगे-पीछे भी कोई चल रहा है इसी लापरवाही के कारण ही पूरे देश में इतने लोगों की मृत्यु हो जाती है कि जितनी आतंकवाद और नक्सलवाद में लोग नहीं मारे जाते,लेकिन देश मे लचर नियम की ढिलाई कहे या या सड़क पर चलने वालों की गैरजिम्मेदाराना हरकत ,लेकिन कितने बेकसूर लोग इस लापरवाही की भेंट चढ़ जाते है, आज सड़क पर चलने वाले लोग अपने मे इतने व्यस्त रहते है कि उन्हें यहां तक परवाह नहीं होती कि पीछे एम्बुलेंस या फिर फायर की गाड़ी चल रही है जबकि ये ऐसी सेवा है कि इसको तुरंत ही पास देने की ज़रूरत होती है,ऐसी आवश्यक सेवा को भी पास नहीं देना चाहते जबकि इन दोनों गाड़ियों सम्बन्ध सीधे मानवहित से जुड़ा होता है, उसके बावजूद भी लोगों की लापरवाही क्षम्य नही है जबकि ऐसा विदेशों में नहीं है वहां पर भारत जैसी लापरवाही देखने को नहीं मिलती।वहां इन सेवाओं के लिए ट्रैफिक खाली कर दी जाती है और प्रत्येक नागरिक अपना कर्तब्य समझता है जिसके कारण न तो कोई दुर्घटना होती है और न ही किसी की जान जाती है, लेकिन भारत के लोग यातायात के नियमों की धज्जियां उड़ाते जरूर मिल जाते है और अपने साथ दूसरे की जिंदगी भी खतरे में डाल देते है, जबकि हर मनुष्य का यह परम कर्तब्य बनता है कि वह अपने प्राण के साथ ही दूसरे के प्राण को सुरक्षित रखें और ऐसी कोई भी हरकत न करें जिससे कि किसी को दिक्कत महसूस हो।। *****************************************नीरज कुमार पाठक नोयडा
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