Menu
blogid : 2711 postid : 959609

रत्न शिरोमणि,वैज्ञानिक संत श्री अब्दुल कलाम आज़ाद

chandravilla
chandravilla
  • 307 Posts
  • 13083 Comments

“मेरा संदेश, ख़ासकर युवा लोगों के लिए ये है कि वो अलग तरीक़े से सोचने का साहस दिखाएं, आविष्कार करने का साहस दिखाएं, अंजाने रास्तों का सफ़र करें, असंभव लगने वाली चीजों को खोजें और समस्याओं पर विजय पाते हुए सफलता हासिल करें. ये वो महान गुण हैं जिन्हें हासिल करने की दिशा में उन्हें काम करना है. युवाओं के लिए यही मेरा संदेश है.”

भूतपूर्व राष्ट्रपति की युवा पीढी से आशाएं और उन राहों पर चलने की शिक्षा जिन पर वो स्वयम चले.

जीवन में कुछ करने के लिए  स्वप्न देखना उसको यथार्थ के धरातल पर साकार करना आवश्यक है,
रामेश्वरम के समीप धनुषकोटि ग्राम के एक निर्धन मछुआरों के परिवार  में  पिता श्री जैनुलाबदीन और माता  स्वर्गीया आशियम्मा जैनुलाबदीन जी के यहाँ 15 अक्टूबर 1931 को  आपका जन्म हुआ..10 भाई बहिनों का भरापूरा परिवार,संयुक्त परिवार में पिता के भाईऔर  उनके परिवार ………..  कमाई सीमित,परन्तु  शिक्षा से अत्याधिक लगाव के कारण कोई भी बाधा इनका मार्ग न रोक सकी और मिटटी के तेल के दिए की रौशनी में  भी अपने स्नेही और श्रद्धेय गुरुजनों के सानिध्य में आपने शिक्षा प्राप्त की.  धन्य धन्य उनके मातापिता जिन्होंने स्वयम अशिक्षित होते हुए तथा विपरीत परिस्थितियों में भी आगे बढ़ने की प्रेरणा दी
डाक्टर कलाम अपने प्राथमिक शिक्षक श्री मुत्थु अय्यर जी के प्रति सदैव कृतज्ञ रहे .अपने करियर का प्रेरणा स्त्रोत भी  अपने  एक अन्य प्राथमिक गुरु श्रीसुब्रहमन्यम  अय्यर को बताया ,

कलाम —एयरोस्पेस टेक्नोलॉजीमें आए, तो इसके पीछे इनके पाँचवीं कक्षा के अध्यापक सुब्रहमण्यम अय्यरकी प्रेरणा ज़रुर थी.  कलाम जी ने लिखा है,वह हमारे स्कूल के अच्छे शिक्षकों में से एक थे. एक बार उन्होंने कक्षा में पूछा  कि पक्षी कैसे उड़ता है? मैं यह नहीं समझ पाया था, इस कारण मैंने इंकार कर दिया था. तब उन्होंने कक्षा के अन्य बच्चों से पूछा तो उन्होंने भी अधिकांशत: इंकार ही किया. लेकिन इस उत्तर से अय्यर जी विचलित नहीं हुए, अगले दिन अय्यर जी इस संदर्भ में हमें समुद्र के किनारे ले गए. उस प्राकृतिक दृश्य में कई प्रकार के पक्षी थे, जो सागर के किनारे उतर रहे थे और उड़ रहे थे. तत्पश्चात्त उन्होंने समुद्री पक्षियों को दिखाया, जो 10-20 के झुण्ड में उड़ रहे थे. उन्होंने समुद्र के किनारे मौजूद पक्षियों के उड़ने के संबंध में प्रत्येक क्रिया को साक्षात अनुभव के आधार पर समझाया. हमने भी बड़ी बारीकी से पक्षियों के शरीर की बनावट के साथ उनके उड़ने का ढंग भी देखा. इस प्रकार हमने व्यावहारिक प्रयोग के माध्यम से यह सीखा कि पक्षी किस प्रकार उड़ पाने में सफल होता है. इसी कारण हमारे यह अध्यापक महान थे. वह चाहते तो हमें मौखिक रूप से समझाकर ही अपने कर्तव्य की इतिश्री कर सकते थे लेकिन उन्होंने हमें व्यावहारिक उदाहरण के माध्यम से समझाया और कक्षा के हम सभी बच्चे समझ भी गए. मेरे लिए यह मात्र पक्षी की उड़ान तक की ही बात नहीं थी. पक्षी की वह उड़ान मुझमें समा गई थी .यहीं से मुझको प्रेरणा मिली इसी क्षेत्र में आगे बढ़ने की.  उस समय तक मैं नहीं समझा था कि मैं उड़ान विज्ञानकी दिशा में अग्रसर होने वाला हूँ. वैसे उस घटना ने मुझे प्रेरणा दी थी कि मैं अपनी ज़िंदगी का कोई लक्ष्य निर्धारित करूँ, उसी समय मैंने तय कर लिया था कि उड़ान में करियर बनाऊँगा.
तद्पश्चात उन्होंने अपनी प्राम्भिक शिक्षा पूर्ण की और समद्ध विषयों का चयन करते हुए अपनी उच्च शिक्षा प्रारम्भ की.अपने गणित के प्रोफ़ेसर दो दात्री आयंगर और आई टी प्रोफ़ेसर श्री निवास जी को उन्होंने अपनी सफलता का श्रेय दिया.धन्य ऐसे गुरु और समर्पित शिष्य

उपलब्धियां

1962 में श्री कलाम भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठनसे जुड़े . डॉक्टर अब्दुल कलाम को प्रोजेक्ट डायरेक्टर के रूप में भारत का पहला स्वदेशी उपग्रह (एस.एल.वी. तृतीय) प्रक्षेपास्त्र बनाने का श्रेय हासिल है. जुलाई 1980 में इन्होंने रोहिणी उपग्रह को पृथ्वी की कक्षा के निकट स्थापित किया गया था. इस प्रकार भारत भी अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष क्लबका सदस्य बन गया. इसरो लॉन्च व्हीकल प्रोग्रामको व्यवहार में  का श्रेय भी इन्हें प्रदान किया जाता है. डॉक्टर कलाम ने स्वदेशी लक्ष्य भेदी (गाइडेड मिसाइल्स) को डिज़ाइन किया. इन्होंने अग्नि एवं पृथ्वी जैसी मिसाइल्स को स्वदेशी तकनीक से बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वाह किया. डॉक्टर कलाम जुलाई 1992 से दिसम्बर 1999 तक रक्षा मंत्री के विज्ञान सलाहकारतथा सुरक्षा शोध और विकास विभागके सचिव थे. उन्होंने स्ट्रेटेजिक मिसाइल्स सिस्टम का उपयोग आग्नेयास्त्रों के रूप में किया  इसी प्रकार पोखरण में दूसरी बार न्यूक्लियर विस्फोट भी परमाणु ऊर्जा के साथ मिलाकर किया. इस तरह भारत ने परमाणु हथियार के निर्माण की क्षमता प्राप्त करने में सफलता अर्जित की. डॉक्टर कलाम ने भारत के विकास स्तर को 2020 तक विज्ञान के क्षेत्र में अत्याधुनिक करने के लिए एक विशिष्ट सोच प्रदान की. यह भारत सरकार के मुख्य वैज्ञानिक सलाहकारभी रहे.

आप इसरो संस्थान  में भी महत्वपूर्ण पदों पर रहे डॉ. कलाम को रॉकेट प्रक्षेपण से जुड़ी तकनीकी बातों का प्रशिक्षण प्राप्त करने के लिए अमेरिका में नेशनल एयरोनॉटिक्स एंड स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन यानी नासाभेजा गया था. यह प्रशिक्षण छह महीने का था. जैसे ही डॉ. अब्दुल कलाम नासा से लौटे, 21 नवंबर, 1963 को भारत का नाइक-अपाचेनाम का पहला रॉकेट छोड़ा गया। यह साउंडिंग रॉकेट नासा में ही बना था। डॉ. साराभाई ने राटो परियोजना के लिए डॉ. कलाम को प्रोजेक्ट लीडर नियुक्त किया। डॉ. कलाम ने विशेष वित्तीय शक्तियाँ हासिल की, प्रणाली विकसित की तथा 8 अक्टूबर 1972 को उत्तर प्रदेश में बरेली एयरफोर्स स्टेशन पर इस प्रणाली का सफलतापूर्वक परीक्षण किया गया.

डाक्टर कलाम एस  एल वी परियोजना के प्रशासक बने और आशातीत सफलता के पश्चात आपको पदम् भूषण  से विभूषित हुए.उनकी महातम उपलब्धियों में  नीची ऊँचाई पर तुरंत मार करने वाली टैक्टिकल कोर वेहिकल मिसाइल और जमीन से जमीन पर मध्यम दूरी तक मार सकने वाली मिसाइल के विकास एवं उत्पादन पर जोर था. दूसरे चरण में जमीन से हवा में मार सकने वाली मिसाइल, तीसरी पीढ़ी की टैंकभेदी गाइडेड मिसाइल और डॉ. अब्दुल कलाम ने  रि-एंट्री एक्सपेरिमेंट लान्च वेहिकल (रेक्स) का प्रस्ताव रखा  था. जमीन से जमीन पर मार करने वाली मिसाइल प्रणाली को पृथ्वीऔर टैक्टिकल कोर वेहिकल मिसाइल को त्रिशूलनाम दिया गया. जमीन से हवा में मार करने वाली रक्षा प्रणाली को आकाशऔर टैंकरोधी मिसाइल परियोजना को नागनाम दिया गया. डॉ. अब्दुल कलाम ने अपने मन में सँजोए रेक्स के बहुप्रतीक्षित सपने को अग्निनाम दिया.27 जुलाई, 1983 को आई.जी.एम.डी.पी. की औपचारिक रूप से शुरूआत की गई. मिसाइल कार्यक्रम के अंतर्गत पहली मिसाइल का प्रक्षेपण 16 सितंबर, 1985 को किया गया. इस दिन श्रीहरिकोटा स्थित परीक्षण रेंज से त्रिशूलको छोड़ा गया. यह एक तेज प्रतिक्रिया प्रणाली है जिसे नीची उड़ान भरने वाले विमानों, हेलीकॉप्टरों तथा विमानभेदी मिसाइलों के ख़िलाफ़ इस्तेमाल किया जा सकता है. 25 फरवरी, 1988 को दिन में 11बजकर 23 मिनट पर पृथ्वीको छोड़ा गया. यह देश में रॉकेट विज्ञान के इतिहास में एक युग परिवर्तन कारी घटना थी.  यह 150 किलोमीटर तक 1000 किलोग्राम पारंपरिक विस्फोटक सामग्री ले जाने की क्षमता वाली जमीन से जमीन पर मार करने वाली मिसाइल है. 22 मई, 1989 को अग्निका प्रक्षेपण किया गया. यह लंबी दूरी के फ्लाइट वेहिकल के लिए एक तकनीकी प्रदर्शक था. साथ ही आकाशपचास किलोमीटर की अधिकतम अंतर्रोधी रेंजवाली मध्यम की वायु-रक्षा प्रणाली है. उसी प्रकार नागटैंक भेदी मिसाइल है, जिसमें दागो और भूल जाओतथा ऊपर से आक्रमण करने की क्षमताएँ हैं. डॉ. अब्दुल कलाम की पहल पर भारत द्वारा एक रूसी कंपनी के सहयोग से सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल बनाने पर काम शुरू किया गया. फरवरी 1998 में भारत और रूस के बीच समझौते के अनुसार भारत में ब्रह्मोस प्राइवेट लिमिटेड की भी  स्थापना की गई. ब्रह्मोसएक सुपरसोनिक क्रूज़ मिसाइल है जो धरती, समुद्र, तथा हवा, कहीं भी दागी जा सकती है. यह पूरी दुनिया में अपने तरह की एक ख़ास मिसाइल है जिसमें अनेक विशेषताएं हैं. वर्ष 1990 के गणतंत्र दिवस के अवसर पर राष्ट्र ने अपने मिसाइल कार्यक्रम की सफलता पर खुशी मनाई. डॉ. अब्दुल कलाम और डॉ. अरूणाचलम को भारत सरकार द्वारा पद्म विभूषणसे सम्मानित किया गया.

डॉक्टर अब्दुल कलाम भारत के ग्यारवें राष्ट्रपति निर्वाचित हुए थे. 18 जुलाई, 2002 को डॉक्टर कलाम को नब्बे प्रतिशत बहुमत द्वारा भारत का राष्ट्रपतिचुना गया था और इन्हें 25 जुलाई 2002 को संसद भवन के अशोक कक्ष में राष्ट्रपति पद की शपथ दिलाई गई. इस संक्षिप्त समारोह में प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी, उनके मंत्रिमंडल के सदस्य तथा अधिकारीगण उपस्थित थे. इनका कार्यकाल25 जुलाई 2007 को समाप्त हुआ.

उनकी बहु विध प्रतिभा के दर्शन उनकी साहित्य,संगीत में अभिरुचि ,सकारात्मक दृष्टिकोण ,पर्यावरण के प्रति चिंता,अध्यात्म में अभिरुचि,सर्व धर्म समभाव (व्यवहार में ) और भारत को सदा उन्नति पथ पर अग्रसर होते देखने के लिए प्रयत्न शील रहना है .

विविध प्रवंधन संस्थानों में विजिटिंग प्रोफ़ेसर के रूप में जुड़े ,तथा उच्च तकनीकी शिक्षा संस्थानों में सलाहकार के रूप में कार्य करते हुए आप अपने जीवन के अंतिम पल तक एक शिक्षाविद के रूप में ही सक्रिय रहे.अंतिम श्वास लेने के समय भी आप शिलांग प्रबन्धन संस्थान में अपना वक्तव्य ही दे रहे थे.

11781892_910831418981880_1282649181265954043_n

उनके द्वारा लिखित पुस्तकें भी उनकी विविध विषयों में अभिरुचि की साक्ष्य हैं ,जिनका विविध भाषाओँ में अनुवाद हो चूका है

डॉक्टर कलाम ने साहित्यिक रूप से भी अपने शोध को चार उत्कृष्ट पुस्तकों में समाहित किया है, जो इस प्रकार हैं-

विंग्स ऑफ़ फायर
इण्डिया 2020- ए विज़न फ़ॉर द न्यू मिलेनियम
माई जर्नी
इग्नाटिड माइंड्स- अनलीशिंग द पॉवर विदिन इंडिया
महाशक्ति भारत
हमारे पथ प्रदर्शक
हम होंगे कामयाब
अदम्य साहस
छुआ आसमान
भारत की आवाज़
टर्निंग पॉइंट्स

उपरोक्त पुस्तकों से प्राप्त होने वाली रोयल्टी को भी वो सदा विविध चेरिटेबल संस्थाओं को दान करते रहे.
भारत रत्नसहित विविध उच्च पुरस्कारों से समय समय पर सम्मानित हुए.जिनमें प्रमुख हैं
इंस्टीट्यूशन ऑफ़ इंजीनियर्स का नेशनल डिजाइन अवार्ड
एरोनॉटिकल सोसाइटी ऑफ़ इंडिया का डॉ. बिरेन रॉय स्पेस अवार्ड
एस्ट्रोनॉटिकल सोसाइटी ऑफ़ इंडिया का आर्यभट्ट पुरस्कार
विज्ञान के लिए जी.एम. मोदी पुरस्कार
राष्ट्रीय एकता के लिए इंदिरा गांधी पुरस्कार।
ये भारत के एक विशिष्ट वैज्ञानिक हैं, जिन्हें 30 विश्वविद्यालयों और संस्थानों से डॉक्टरेट की मानद उपाधि प्राप्त हो चुकी है।
इन्हें भारत के नागरिक सम्मान के रूप में 1981 में पद्म भूषण, 1990 में पद्म विभूषण, 1997 में भारत रत्न सम्मान प्राप्त हो चुके है।
उनका महान व्यक्तित्व इन सभी पुरस्कारों से ऊपर था.

उनके कुछ स्वप्न अभी अभी अधूरे थे ,जिनमें प्रमुख था 2020तक भारत को महाशक्ति के रूप में देखना ,उनके प्रति सच्ची श्रद्धांजली यही होगी कि हम अपने सभी पूर्वाग्रहों को त्याग कर्मठता से देश को महाशक्ति बनाने के लिए जुटें

गली गली अखबार बांटने से अपने जीवन का आरम्भ करने वाले कलाम आज देश-विदेश के अखबारों ,टी वी चैनल्स की सुर्ख़ियों में हैं,हर आयु वर्ग की प्रेरणा स्त्रोत हैं.विशेष रूप से बच्चों और युवाओं जो हमारा कलशिक्षा  हैं.

( विशिष्ठ जानकारी नेट से साभार प्राप्त )

(

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    CAPTCHA
    Refresh