Menu
blogid : 2711 postid : 2319

कौन सूत्रधार बनेगा आज पुनः सम्पूर्ण क्रान्ति का (श्रद्धा स्मरण जयंती पर )

chandravilla
chandravilla
  • 307 Posts
  • 13083 Comments

है जय प्रकाश वह नाम,
जिसे इतिहास आदर देता है.
बढ़कर जिसके पद चिह्नों की
उन पर अंकित कर देता है.
कहते हैं जो यह प्रकाश को,
नहीं मरण से जो डरता है.
ज्वाला को बुझते देख
कुंड में कूद स्वयं जो पड़ता है।।

jp

श्री रामधारी सिंह दिनकर की ये पंक्तियाँ ही  लोकनायक  श्री जय प्रकाश नारायण जी की   महानता को अभिव्यक्त करने के लिए पर्याप्त हैं.कर्तव्यपरायणता,सत्य और निष्ठा के प्रतीक,मेग्सेसे तथा भारत  रत्न पुरस्कार का सम्मान बढाने वाले  लोकनायक जयप्रकाश नारायण जी  की जयंती पर उनका भावपूर्ण स्मरण करते हुए एक प्रयास उनके योगदान से युवा पीढ़ी को परिचित कराने  का.
पूत के पांव पालने में ही दिख जाते हैं,ये कहावत श्री नारायण पर चरितार्थ होती है.बिहार की भूमि पर एक छोटे से ग्राम सिताब दियारा में श्री देवकी बाबू और फूल रानी जी के घर 11  अक्टूबर को जन्म  लेने वाले इस बालक ने न केवल अंग्रेजों से भारत को मुक्त कराने में योगदान दिया ,अपितु स्वाधीनता प्राप्ति के पश्चात भी एक ऐसी हस्ती को दिन में तारे दिखा दिए,जिनको भारत का पर्याय मानते हुए ,उनके चाटुकार चमचे    INDIRA IS INDIA ,INDIA IS INDIRA कह कर उनकी स्तुति करते थे. .जवाहर लाल नेहरु की सुपुत्री श्रीमती इंदिरा गाँधी अपने  एकछत्र साम्राज्य के कारण कांग्रेसियों के लिए किसी देवी भवानी से कम नहीं थी उस समय (लेख का विस्तार कम करने के लिए स्वाधीनता प्राप्ति के पश्चात जे पी के  भारत निर्माण में योगदान पर प्रकाश डालने का एक छोटा सा प्रयास कर रही हूँ).
मौलाना अब्दुल कलाम के इस आह्वान पर “नौजवानों अंग्रेज़ी (शिक्षा) का त्याग करो और मैदान में आकर ब्रिटिश हुक़ूमत की ढहती दीवारों को धराशायी करो और ऐसे हिन्दुस्तान का निर्माण करो, जो सारे आलम में ख़ुशबू पैदा करे।” जय प्रकाश जी स्वाधीनता आंदोलन में  बढ़ चढ कर भाग लिया  और अंग्रेजी शिक्षा का बहिष्कार करते हुए रण क्षेत्र में कूद पड़े. अधिकांश  आंदोलनों में उनकी सक्रिय भूमिका रही .गांधीवादी विचारधारा से प्रभावित आपकी पत्नी  श्रीमती प्रभादेवी भी पूर्ण उत्साह से स्वतंत्रता संग्राम में सक्रिय रहीं.जेल यात्रा तो जे पी के  जीवन का एक महत्वपूर्ण कार्यक्रम बना ही रहा उनकी .पत्नी  प्रभादेवी ने  भी जेल यात्रा की.
समाजवादी विचारधारा से प्रभावित जय प्रकाश जी के विचारों पर आचार्य नरेंद्र देव का गहन प्रभाव रहा,परन्तु  गाँधी जी तथा अन्य उदारवादी कांग्रेसी नेताओं ने भी उनको प्रभावित किया.1947 में अंग्रेजी सत्ता के भारत  से गमन के पश्चात भी आप की  सक्रियता कम नहीं हुई और  जयप्रकाश नारयण ने आचार्य नरेंद्र देव के साथ मिलकर 1948 में ऑल इंडिया कांग्रेस सोशलिस्ट की स्थापना की.तदोपरांत भी 1953 में कृषक मज़दूर प्रजा पार्टियों के विलय में उन्होंने सक्रिय भूमिका निभायी . सभी श्रेष्ठ विचारों का समन्वित रूप  जीवन में व्यवहारिक रूप में देश हित में अपनाना उनका स्वभाव था , इसीलिये जटिल राजनीति से दूरी बनाते हुए उन्होंने आचार्य  विनोवा भावे के भूदान आंदोलन में भी महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वाह किया .
,गाँधीवादी विचारधारा का भी प्रभाव उनके व्यक्तित्व पर बहुत अधिक था.,सत्ता के मोह से सर्वथा निर्लिप्त होने के कारण तत्कालीन प्रधानमंत्री नेहरु जी के  भरसक प्रयास करने पर भी उनके मंत्रिमंडल में  वे सम्मिलित नहीं हुए .
उनके चरित्र का सर्वथा उज्जवल पक्ष रहा ,कि नेहरु जी से निकटता होते हुए भी उन्होंने जब उनकी ही  पुत्री इंदिरा गाँधी के तानाशाही की ओर बढते क़दमों को देखा तो विद्रोह का स्वर बुलंद किया ,तथा श्रीमती गाँधी पर भ्रष्टाचार का आरोप न्यायालय द्वारा सिद्ध कर देने पर तो उनका विरोध चरम पर पहुँच गया ,उन्होंने  श्रीमती इंदिरा गाँधी से उनके त्यागपत्र की मांग जोरों शोरों से उठायी.
5 जून 1975 को उन्होंने कहा ,“भ्रष्टाचार मिटाना, बेरोजगारी दूर करना, शिक्षा में क्रान्ति लाना, आदि ऐसी चीजें हैं जो आज की व्यवस्था से पूरी नहीं हो सकतीं; क्योंकि वे इस व्यवस्था की ही उपज हैं. वे तभी पूरी हो सकती हैं जब सम्पूर्ण व्यवस्था बदल दी जाए. और, सम्पूर्ण व्यवस्था के परिवर्तन के लिए क्रान्ति, ’सम्पूर्ण क्रान्ति’ आवश्यक है.
यही दो शब्द क्रांतिकारी सिद्ध हुए और जयप्रकाश नारायण जे पी के पीछे देश चल पड़ा .बिहार से प्रारम्भ ये आंदोलन जन जन तक पहुँच गया .श्रीमती इंदिरा गाँधी इस समय सत्ता में मदांध थी अतः  उन्होंने आपात काल की घोषणा कर दी  तथा सभी दिग्गज नेताओं को जेल में डाल दिया..उनकी निरंकुशता के इस चरम + जे पी के  चमत्कारिक व्यक्तित्व  ने विविध राजनैतिक दलों को एकता के सूत्र में आबद्ध कर दिया तथा पारस्परिक मतभेदों को दूर कर सभी प्रमुख राजनेता एक मंच पर आ खड़े हुए. सत्ता का मद चूर  चूर हो गया और श्रीमती गाँधी का सिंघासन छीन गया.ये विस्मय कारी घटना उनकी इन पंक्तियों की सार्थकता को प्रमाणित करती है

सम्पूर्ण क्रांति अब नारा है

भावी इतिहास तुम्हारा है

ये नखत अमा के बुझते हैं

सारा आकाश तुम्हारा है-

जे पी तो  इस क्रान्ति के पश्चात अपने जीवन के  77  वर्ष पूर्ण करने से 3  दिन पूर्व ही अर्थात 8 अक्टूबर   1979  को हमसे विदा हो गए.उनका महाप्रयाण देश की बहुत बड़ी हानि थी,क्योंकि उनका जाना उस एकता को बनाये रखने में लंबे समय तक सफल न रहा  परिणामस्वरूप   1980 में इंदिरा गाँधी पुनः सत्तारुढ़ हो गईं.जिस बिहार को अपनी कर्मभूमि बनाकर जयप्रकाश जी ने  कांग्रेस के एक छत्र साम्राज्य को हिला दिया था उन्ही के सिपाह सालार लालू और नीतिश कुमार ,पासवान आदि उनके पदचिन्हों का अनुसरण नहीं कर सके क्योंकि सत्य की डगर बड़ी कटीली होती है,परन्तु ये उदाहरण प्रमाणित करता है कि सूत्रधार यदि  कर्मठ हो,निस्वार्थ और  सत्ता मोह से  निर्लिप्त हो तो  कुछ भी असंभव नहीं , किसी भी भ्रष्ट सत्ता को पदच्युत किया जा सकता है.ऐसे में देश हित में निस्वार्थ व्यक्तित्व ही इस भ्रष्ट सरकार के विरुद्ध सबको एक जुट कर सकते हैं और देश की जनता इस गीत को अपना प्रयाण गीत बना कर उनको सच्ची श्रद्धांजली अर्पित कर सकती  है ,सिंघासन खाली करो कि जनता आती है .

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    CAPTCHA
    Refresh