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ऑटो एवं प्रशासन

Sarvodaya
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आगरा में ऑटो में बैठना महिलाओं के लिए बड़ा ही दुष्कर कार्य है. आगरा में सारे ऑटो वाले अपनी मनमानी कर रहे हैं और पुलिस तथा प्रशासन आँखे मूंद कर बैठा है. एक ऑटो में तीन सवारी एवं एक ड्राईवर का ही परमिट होता है परन्तु ऑटो वाले एक ही ऑटो में में 7 से 8 सवारी तक बैठाते है, बिना 7 से 8 सवारी बैठाये ये अपना ऑटो नहीं चलाते है. ऑटो में पीछे की सीट पर चार तथा आगे की सीट पर भी 3-4 सवारी बैठा लेते हैं. इससे महिलाओं के साथ छेड़खानी एवं चोरी की घटनाये आम तौर पर होती रहती है. महिलाएं अकेले होने एवं रोज यात्रा करने के कारण एस प्रकार की छेड़खानी एवं चोरी की घटनाओं का शिकार हो रही हैं. कम सवारी बैठाने को कहो तो कहते हैं कि  किराया बढ़ जायेगा.

जबकि मुझे ऐसा लगता है कि ऑटो वाले मनमर्जी से यात्रियों से किराया वसूल कर रहे हैं. भगवान टाकिज से आगरा कैंट के 20 रूपये, आगरा कैंट से बिजलीघर के 15 रूपये, रामबाग से बिजलीघर और वाटर वर्क्स के 15 रूपये, वाटर वर्क्स से खंदारी के 15 रूपये आदि की दर से यात्रियों से किराया वसूल रहे है और 7 से 8 सवारी भी बैठा रहे है. हम मानते है कि पेट्रोल डीजल महंगा है, उसके लिए सवारियों की जान माल से तो समझोता तो नहीं किया जा सकता है.

ऑटो वालो को राहत देने के लिए उसमे 4 सवारियों को पुलिस प्रशासन परमिट कर दे तो ऑटो में बैठने वाले यात्रियों को भी कोई समस्या नहीं होगी. इसके लिए सिर्फ ऑटो वाले ही नहीं उसमे बैठने वाले भी उतने ही जिम्मेदार हैं क्योकि यदि सभी लोग 4 सवारी से ज्यादा भरे हुए ऑटो में बैठना बंद कर देंगे तो ऑटो वाले अपने आप सुधर जायेंगे. मुझे आशा ही नहीं बल्कि पूरी उम्मीद है की आगरा के जिलाधिकारी महोदय तथा यातायात प्रभारी महोदय इस ओर ध्यान देंगे तथा महिलाओं को ऑटो में सफ़र करने के दौरान होने वाली परेशनियों से निजात दिलाने

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