हैरत
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यदि भारतीय निर्वाचन प्रणाली में सुधार की बात करें तो यह एक निश्चित ही क्रांतिकारी पहल है .आज राइट टू रिजेक्ट और राइट टू रीकॉल के अलावा भी कई और सुधार के पहलू हैं ,जिसमे से कुछ प्रमुख अग्रलिखित हैं — “मतदान मे नकारात्मक वोटिंग का अधिकार”, “किसी भी प्रत्याशी को जीत के लिए एक न्यूनतम वोट प्रतिशत का लक्ष्य निर्धारित करना”, क्योंकि आज भारतीय राजनीति एक ऐसे रास्ते पर चल पड़ी है जो कहीं से भी देश के भविष्य और लोकतंत्र को मज़बूत करते हुए नही दिख रही है . भारत के लोकतांत्रिक संपदा के संरक्षण के लिए ऐसे ही चुनाव सुधार रूपी हथियारों की ज़रूरत है जो विश्व के इस सबसे बड़े लोकतंत्र का गौरव बनाए रखे.
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