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चौंकिए नहीं……ऐसा कोई आवाहन किसी की तरफ से नहीं हुआ है और न हि ,कोई प्रतियोगिता का आयोजन हुआ है,और न हि कोई होने की सम्भावना निकट भविष्य में है.सबसे पहले मैं उन, …….महिला, पाठकों से निवेदन करूँगा कि…… किसी भी पंक्ति को बहुत गंभीरता से न पढ़ें ….और यदि पढ़ लें ..तो दिल पर न लें…..क्योंकि निकट…भूत में कुछ व्यक्तियों और नेताओं की …बड़ी दुर्दशा हुई है समाचार-पत्रों में और चैनलों पर ….क्योंकि उन बेचारों ने….कुछ अपने व्यक्तिगत सुझाव ….महिलाओं के विषय में या अपनी बेटियों के विषय में देने की …हिमाक़त ..कर दिया था.इसीलिए ,मैं कोई सुझाव देने नहीं जा रहा हूँ.
आज-कल पूरे विश्व में ….प्रतिदिन कोई न कोई दिवस के रूप में मनाने की होड़ चल गयी है.कुछ नहीं तो ….दो-चार फ़िल्मी नायिकाओं …को लेकर …महानगरों में दौड़ का आयोजन कर दिया जाता है और ….एकता रैली या सद्भावना रैली …का नाम दे दिया जाता है.बात सही भी है .इससे दो बातें समझ में आती हैं .एक तो यह कि…..महिलाओं/नायिकाओं के साथ … लोग,…… ज्यादा से ज्यादा दौड़ने के लिए …एकता दिखायेंगे और दौड़ते समय….एक- दूसरे के साथ….. सद्भाव का परीक्षण भी हो जाता है.मैंने सोचा कि ….अपने देश में तो पतितों (कृपया इसे …पतियों…पढ़ें) के लिए …तीज़ या करवा -चौथ ..के दिन , कम से कम वर्ष में एक बार ,..पत्नियाँ अपने पतियों को पूरा सम्मान तो देती ही हैं ,भले ही ….इस सम्मान के लिए ,…पतियों को, इसके लिए काफी आर्थिक-कष्ट उठाना पड़ा हो…..कृपया सावधान रहें,22 अक्तूबर को ही करवा-चौथ है…… लेकिन विश्व के कुछ अन्य देशों में भी ……HUSBANDS -DAY मनाया जाता है.वैसे …..पतियों की तरह ही उनका दिवस भी , विवादों से घिरा रहता है.कहीं यह तिथि जनवरी की,…… चौथे शुक्रवार को होती है ,तो कहीं…… २५ अक्तूबर …को मनाई जाती है.इस वर्ष …कुछ देशों में …20 अप्रैल 13 को मनाया गया है.तिथि जो भी हो …..इस दिन पत्नियों को पूरी आज़ादी से ..अपने (दूसरों के नहीं) पतियों की प्र`शंसा करने का अवसर मिलता है.इसमें उन पत्नियों को भी ….शामिल किया जाता है,जो जाने-अनजाने ,,,,,वर्ष-भर ,अपने पतियों से दूर रहती हों…जो भी हो यह दिन ….अपने देश में भी बहुत धूम-धाम से मनाया जाता है.केवल अपरिहार्य परिस्थितियों में ही……. पति को इस दिन, दूर रहने की छूट मिलती है.कुछ……बेचारे पति तो ….इस दिन सारा काम छोड़ कर उपस्थित रहते हैं ….क्योंकि ..तीज़ की .रात में ..अरघ देने और व्रत तुडवाने के लिए पति की आवश्यकता होती है, और कोई भी पति यह अवसर दूसरे को देने में डरता है..करवा-चौथ में तो यह और भी …रिस्की होता है.,,क्योंकि परंपरा के अनुसार …चलनी से चन्द्र-दर्शन के बाद …पत्नियाँ अपने पति का दर्शन करती हैं.भूल से भी कोई…. दूसरा चेहरा ..यदि सामने आ जाय तो आप समझ सकते हैं…….??मैं तो विदेश में भी,यह ….रिस्क…नहीं लेता.
गृहणियों और पत्नियों की मनोदशा की भी अनदेखी नहीं की जा सकती.कामकाजी हों या गृहणी ,जब पूरी तरह से अपने पति या परिवार को समर्पित होती हैं ,तो उसकी इच्छाओं को नाकारा भी नहीं जा सकता .पति-पत्नी में नोंक -झोंक तो होती ही रहती है.चाहे वह अर्थ को लेकर हो,इच्छा -पूर्ति को लेकर हो अथवा समय के या परिवार के बंटवारे को लेकर हो.समय के बंटवारे से मतलब है,…जब भी कोई पति अपनी पत्नी को आवश्यकता से कम समय देता है या पत्नी अपने पति को कम समय दे पाती है,तो संशय के बीज पनपने लगते हैं….. अधिकतर प्रेम-विवाह के मारों में….. यह बीज तेज़ी से पौधे का रूप धारण कर लेते हैं,क्योंकि प्यार-प्रयोजन का सारा कोटा , शादी के पहले ही,उपभोग करना पड़ता है.धीरे-धीरे शब्दों की कमी पड़ने लगती है.शादी के बाद….. साल भर तक शब्दों के …वाशर भी घिसने लगते हैं….तो स्वाभाविक है…. प्रेम-जल का प्रवाह भी कम हो जाता है.
मैंने अभी हल ही में एक ऐसे ही जोड़े को देखा है.पत्नी की शिकायत थी……..’पता नहीं इन्हें क्या हो गया है?शादी के पहले तो …इतनी बातें करते थे…कि मैं घबरा जाती थी.पहले नौकरी छुड़ाए …और अब दो बच्चों के बाद…..बोलते ही नहीं.अब मैं इनकी …चुप्पी से घबरा जाती हूँ ‘..हम लोगों को यह तो नहीं मालूम कि …..बेचारे पति की बोलती क्यों बंद हो गयी है?हो सकता है कि … प्रेम-विवाह का साइड-इफेक्ट हो …या कुछ और? जो भी हो कुछ पत्नियाँ और कुछ पति ….एक दूसरे को समझने में नादानी करते हैं.परिणाम होता है…घर में अनावश्यक-कलह…..जिसका परिणाम सुखदायी नहीं होता.ऐसे में कुछ नासमझ पति…..पतित होने की ओर अग्रसर होने लगते हैं तो कुछ ऐसे अवसर की तलाश में रहते हैं और दायें -बाएं झाँकने लगते हैं और, अपने को सुधारने, बजाय पत्नी को बात-बात पर बातें सुनाने लगते हैं.उन्हें पत्नी की हर बात बुरी लगने लगती है.बेवजह ,बेतुका तर्क-कुतर्क होने लगता है.ऐसे ही एक प्रसंग को निम्न-लिखित पंक्तियों में प्रस्तुत करने का सूक्ष्म -प्रयास किया जा रहा है:
हर बात पे ताने देती हो,
शादी के पहले .कैसे थे ,
मैं ऐसी थी तुम वैसे थे I
यह बात गलत साबित है क्योंकि,
मैं पहले भी खुली कताब था
,मैं अब भी खुली किताब हूँ II
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ये कैसी बातें करती हो ,
तेरी आँखों के समंदर में
मैं प्रेम की डुबकी लगता था I.
यह बात गलत साबित है क्योंकि
मुझे तैरना आता ही नहीं,
तो कैसे डुबकी लगाता था II
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ये कैसी बाते करती हो.
जहाँ-जहाँ तुम जाती थी,
मैं पीछे-पीछे आता था I
यह बात गलत साबित है क्योंकि ,
मैं बाग़ में पहले जाता था ,
तुम पीछे-पीछे आती थी,II
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ये कैसी बाते करती हो
मैं तेरे दिल में रहता हूँ
तुम मेरे दिल में रहती हो I
यह बात गलत साबित है,क्योंकि
जब मैं उसको देखा करता हूँ
तुम मुझको घूरा करती हो.II
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ये कैसी बाते करती हो
तुम मेरे मन की रानी हो
एक बात समझ लो ..प्राण-प्रिये I
तुम मेरी अर्धांगिनी हो, सो
आधे दिल पर तेरा कब्ज़ा ,
आधे पर उसका कब्ज़ा है II
जय हिन्द ! जय भारत !!
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