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खुरपेंच

AAKARSHAN
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शायद ही ऐसा कोई व्यक्ति हो,जिसका पाला जीवन में कभी भी खुरपेंच से न पड़ा हो .मानव जीवन से इसका अटूट सम्बन्ध है.यदि वह ना चाहे तो भी … किसी राह में किसी मोड़ पर ,वह मिल ही जायेगा घेर कर .वह कभी भी आप के समक्ष स्वयंभू की तरह ,किसी ना किसी रूप में,प्रकट हो ही जायेगा.आप को अपनी बाँहों में ज़कड़ लेगा और तब तक नहीं छोड़ेगा जब तक आप… सुविधा -पूर्वक …उसे ना हटायें. खुरपेंच प्रथा कोई नया नहीं है.यह अनादि काल से चली आ रही है और पूर्ण विश्वास है कि अनंत काल तक चलती रहेगी.खुरपेंच की उत्पत्ति खुर और पेंच दो शब्दों के समागम से हुई है .वैसे तो दोनों अलग -अलग भी किसी को भी घायल करने मे स्वयं सक्षम हैं. यदि दोनों का मिलन हो जाय तो” सोने पर सुहागा “.वैसे खुरपेंच कने के लिए किसी विशेष प्रशिक्षण की आवश्यकता नहीं है .किसी कोचिंग संस्थान की आवश्यकता नहीं है.आवश्यकता है तो सिर्फ इच्छा-शक्ति की.खुरपेंच-विद्या में प्रवीन होने के लिए थोड़ा-थोड़ा अभ्यास हरेक स्तर पर करें,कुछ ही समय में आप पारंगत हो जायेंगे.कभी -कभी तो “महाखुरपेंचियों(बॉस)के आदेशों का शीघ्रता-पूर्वक पालन करते रहने से ही, आप खुरपेंची की संज्ञा से विभूषित कर दिए जायेंगे.मैं विभूषित हो चुका हूँ.
खुरपेंच के कई प्रकार होते है .कुछ प्रमुख हैं:-व्यावहारिक खुरपेंच ,परंपरागत ,सामाजिक ,राजनैतिक और धार्मिक खुरपेंच…. आदि.रामायण-काल की महारानी कैकेयी और महाभारत के मामा शकुनी के व्यावहारिक खुरपेंच को कौन भुला सकता है.जब तक रामायण और महाभारत रहेगा उन्हें याद किया जाता रहेगा.हमारा इतिहास खुरपेंचियों की वीर-गाथाओं से भरा पड़ा है.समाज में होने वाले तथा धर्म-गुरुओं के ढोंग- रुपी खुरपेंचों से तो आप प्रायः रु-बरु होते हैं.राजनैतिक खुरपेंच सत्ताधारियों की नाक में दम करने की ताकत रखते हैं .”सूचना के अधिकार “ने तो खुर्पेंचियों के मुंह में चांदी की चम्मच ही पकड़ा दी है.इस अमोघ-अस्त्र का प्रयोग करके मंत्री से संतरी तक को जेल भेजने में बहुयामी सफलता मिली है.सुब्रमन्यम्स्वामी जी को आज कौन नहीं जानता?उनके प्रयासों से कनिमोरी ,ए.राजा एवं उनके सहयोगियों को जेल की हवा खानी पड़ी है.कलमांदी एवं उनके साथी पहले से ही तिहाड़ जेल की शोभा बढ़ा रहे हैं.
सरकारी खुरपेंचों से तो शायद ही कोई सामाजिक व्यक्ति बचा हो.असामाजिक व्यक्तियों से तो खुरपेंची भी किनारा कर लेते हैं.जन्म से लेकर मृत्यु प्रमाण-पत्र तक बनवाने के लिए ,यदि आपने ….सुविधाजनक रास्ता नहीं अपनाया है तो कोई सुनने वाला नहीं है.खुरपेंच और खुर्पेंचियों की कथा- अनंता है ….बस मिलते हैं अगले एपिसोड में …..नमस्कार.जय-हिंद.जय खुरपेंच.

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