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दादा-दादी चले गए सब,… ताऊ -ताई नहीं रहे I
मम्मी-पापा छोड़ गए,उनके बिन घर लगता खाली II
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बचपन की यादें.. ताज़ा हैं, संग मम्मी-पापा ताऊ-ताई I
घर की बगिया हरी-भरी थी,संग में थे सब बहनें-भाई II
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दीपों से घर को रोशन कर, पूड़ी खीर मिठाई खा कर I
फोड़ पटाखा फुलझड़ी जलाकर,खूब मानते थे दीवाली II
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बहनें निज-घर चली गईं सब, बचपन बीता आई जवानी I
भैया-भाभी के दबाव पर, हमने भी शादी की ठानी II
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सबके आँगन फूल खिले जब, फिर से घर गुलज़ार हुआ तब I
साथ-साथ रहे सब अरसों, वर्षों तक संग मनी दीवाली II
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दूर हुए सब भाई-भाभी , बहनें – बेटी अब कहाँ हैं खाली I
अब तो सब के अपने-अपने हैं, अपनों ही संग मने दीवाली II
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स्कूलों में ‘ टेस्ट ‘ हो रहे , बेटों के ‘प्रोजेक्ट’ हो रहे I
बहुएँ बोलीं ..’सारी ! पापा’ , अब की बार नहीं आ रहे II
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अब तो है केवल घर-वाली, नहीं पास हैं साला-साली I
ईश्वर सबको दे ‘खुशहाली’ ‘खूब मनायें सब दीवाली’ II
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अब की बार यही इच्छा है, ‘जागरण’ के मित्रों के संग मिल I
क्यों ना बांटे यह खुशहाली, खूब मनायें हम दीवाली II
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‘ लक्ष्मी जी’ की कृपा रहे, हर घर ‘खुशियों’ से भरा रहे I
कहें ‘ॐ ‘ सब शुभ-शुभ होवे ,खूब मनायें सब ‘ दीवाली ‘II
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शुभ -दीपावली ! जय हिन्द!! जय भारत!!!
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