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डाक्टरों की …..रंगदारी !!!

AAKARSHAN
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जी हाँ! ,चौकिए नहीं.आप ने बिलकुल सही पढ़ा…..डाक्टरों की …रंगदारी..I.डाक्टरों से ……रंगदारी ,तो आप ने बहुत सुना होगा .प्रायः समाचार पत्रों में या न्यूज- चैनलों पर , तो आप पढ़ते या सुनते रहे होंगे कि …फलाँ डाक्टर से लाख या करोड़ की रंगदारी मांगी गयी और न देने पर ,जान से मारने की धमकी दी गयी,और कहीं-कहीं तो धमकी ……को अंजाम भी दे दिया जाता है.
रंगदारी,……. किसी भी तरह…. की हो ,किसी भी रूप में….. इसे उचित नहीं कहा जा सकता है.वह भी डाक्टरों की ….रंगदारी,..डाक्टर ,जिसे हम भगवान् के रूप में देखते हैं ,के पास इस आस से जाते हैं,कि भगवान् रुपी डाक्टर हमें …जीवन देगा,..हमारे जीवन की रक्षा करेगा,हमें रोग से मुक्ति दिलाएगा.लेकिन … वही डाक्टर,यदि हमें मरीज़……. न समझ कर ,बक़रा……. समझ ले तो,फिर हमारे जीवन की रक्षा कौन करेगा? लगभग सभी लोग …..रंगदारी से परिचित होंगे.फिर भी …..इसका उल्लेख करना चाहूँगा.दर-असल, रंगदारी से मतलब है,……किसी ..रंगबाज़…या गुंडा-बदमाशों के गिरोह या किसी असामाजिक तत्व द्वारा धमका कर अवैध वसूली करना और कामयाबी न मिलने पर …धमकी को अंजाम देना.लेकिन …..डाक्टर उपरोक्त श्रेणी में नहीं आते और समाज में उन्हें ,प्रतिष्ठा मिलती है.फिर भी उनके द्वारा ,किसी मरीज़ से, ….जान बचाने के लिए,… किसी बिमारी को बढ़ा-चढ़ा कर ,वीभत्स रूप बता कर ,मनमाना …..धन वसूलना और न देने पर उसकी जान से खिलवाड़ करना इसी दिशा की ओर ले जाता है.वैसे तो किसी का भी जीना-मरना ,इश्वर के हाथ में होता है,बड़े-बड़े….चिकित्सालयों में भी यह बड़े-बड़े अक्षरों में लिखा मिलेगा…….’ हम सेवा करते हैं….वह अच्छा करता है….या ..वी सर्व ..ही क्योर्स. निःसंदेह कोई भी डाक्टर ….रिवाल्वर या पिस्तौल दिखाकर धन नहीं वसूलता है,लेकिन उसके द्वारा मरीज से या उसके परिजनों से …… यह कह देना की ……..आप यदि आधा घंटा देर से आते तो ……..मरीज़ का बचना मुश्किल था…….भगवान् का शुक्र है की आप ज़ल्द ही आ गए वर्ना यदि …एक घंटे का और विलम्ब हो जाता तो इन्हें भगवान् भी नहीं बचा सकता था…….या गणित की भाषा में , प्रतिशत निकाल कर यह ,समझा देना कि …..आप उन १०% भाग्यशाली लोगों में हैं ,जो समय रहते हमारे नर्सिंग- होम पहुँच गए ,अन्यथा रस्ते में भी कुछ भी हो सकता था…..यदि आप यहाँ न आते तो ..जच्चा-बच्चा दोनों ही ऊपर वाले के पास चले गए होते …..आदि अनेकों जुमले ठोंक दिए जाते हैं,…और उस समय से लेकर आगे कुछ देर ,घंटो या दिन तक परिज़न सम्मोहित हो जाते हैं और उन्हें डाक्टर के रूप में …..साक्षात् ईश्वर उनके सामने नज़र आते हैं.ऐसा लगता है कि जैसे …….निर्मल बाबा उनके सामने सिंहासन पर बैठे हैं……और उन्हें हाथ हिला कर आशीर्वाद दे रहे हों और कह रहे हों कि…..सामने वाले काउंटर-बाबा के पास ( ……..)रूपये ज़मा कर दो,कुछ मत सोचो, बच्चे! तुम्हारा कल्याण होगा…..सभी चिंताओं से शीघ्र ही मुक्ति मिल जायेगी.क्योंकि…….( रूपये की) मोहमाया ही सारी चिंताओं की जड़ है.रोज़ नहीं…… तो हर दूसरे-दिन काउंटर-बाबा से मिलते रहो,उनके कहे का अनुसरण करो…..तभी कल्याण होगा.जब ….माया ही नहीं रहेगी तो बार-बार नर्सिंग(निर्मल) बाबा ..के पास स्वयम ही नहीं आओगे.और हाँ ईश्वर का ध्यान करते रहना क्योंकि ….दुःख की घड़ी हो या अंतिम बेला ,…….सब उसी पर निर्भर है.क्योंकि……वी सर्व ,ही क्योर्स. हमारे या आप के साथ अवश्य ही ऐसी घड़ी आई होगी, अथवा आप के इष्ट-मित्रों या रिश्तेदारों ने नर्सिंग -बाबाओं का ज़िक्र अवश्य ही किया होगा.
विगत कुछ वर्षों में …कुकुरमुत्तों ( ) की तरह से नर्सिंग-होम की बाढ़ आई है.निजी चिकित्सकों की संख्या में भारी-वृद्धि हुई है.शहर हो या गावं, अब डाक्टरों की कमी नहीं है.इसी की आड़ में झोला-डाक्टरों का धंधा भी फल-फूल रहा है……. क्या आप ने सोचा है की इसके पीछे क्या कारण है?……क्यों जनता ..सरकारी डाक्टरों से …….,अस्पतालों में इलाज़ नहीं कराना चाहती है? ऐसी क्या वज़ह है कि …..सरकारी अस्पताल सूने पड़ते जा रहे हैं? आज क्यों,थोड़ी पूँजी वाला भी ,निजी डाक्टरों की ओर रुख कर रहा है?…..और .अच्छे निजी डाक्टरों की तलाश करते-करते .इन नर्सिंग बाबाओं के चक्कर में उलझ कर ……कुछ.. डाक्टरों की रंगदारी का शिकार हो रहा है?यदि नहीं ,तो हम सभी को सोचना होगा.
मुझे एक घटना याद है….एक छोटे शहर का ,एक जिला-चिकित्सालय .जिले का वह चिकित्सालय ..आज भी है.उसकी सीमाएं तो नहीं बढ़ी हैं, लेकिन भवन और वार्ड ज़रूर बढे हैं…अगर नहीं बढ़ी हैं तो वह है ….मरीजों की सुविधा.ऐसा नहीं है की डाक्टरों का वेतन नहीं बढ़ाहै,…..वेतन में पांच गुनी वृद्धि के साथ-साथ, सुविधा-शुल्क में भी समानुपातिक -वृद्धि हुई है.हाँ, तो लगभग बीस साल पहले की बात है.महिला-चिकित्सालय……जहाँ प्रति-दिन तीस से भी अधिक प्रसव कराये जाते थे.वरिष्ठ-महिला चिकित्सिका ,अधीक्षक होती थी.पुत्र-प्राप्ति होते ही, पैसों की लूट होने लगती थी.क्या डाक्टर,क्या नर्स ,वार्ड के कर्मचारी हो या सेविकाएँ ,सब प्रसन्न हो जाती थी.प्रसन्नता का यह पैमाना ….लुटाये जा रहे मुद्रा पर निर्भर होता था.मेरी भांजी को पुत्री हुई थी, इसलिए स्टाफ को थोड़ी छोटे स्तर की ख़ुशी हुई.
जो स्वाभाविक रूप में,स्टाफ द्वारा ज़ाहिर की गयी. उसी समय……..एक महिला जो प्रसव-पीड़ा से ऊबर चुकी थी,पूरे परिवार द्वारा आंसू बहाए जा रहे थे,क्योंकि महिला को मरा हुआ पुत्र पैदा हुआ था.लेकिन ……स्टाफ के लोगों की ख़ुशी कम नहीं हो रही थी.उनके मुँह से यह सुनकर कि……उन्होंने मेहनत ज्यादा किया,..
बच्चा नहीं बचा तो क्या? जच्चा तो बच गई . इसलिए उनका ….इनाम तो बनता ही है,सभी की आँखों में आंसू आ गए….आँखों में भरे हुए आंसू ……लेकिन ख़ाली होती उसकी जेब. यह ….मानवता को शर्मसार करने वाली घटना ,उपस्थित लोगो के क्रोध के कारण थमी. जब भी ,मैं किसी के बच्चा होने की बात सुनता ,बहुत ख़ुशी होती है ,बधाई भी देता हूँ,लेकिन उस दिन की….. ह्रदय-विदारक……वह घटना याद आते ही मन फिर से दुखी हो उठता है.सोचने को विवश होना पड़ता है कि……….इंसान और हैवान में कितना कम अंतर है.क्या इस अमानवीय कृत्य को…..रंगदारी ….की संज्ञा नहीं दिया जाना चाहिए?
आदमी जब सरकारी डाक्टरों के इस अमानवीय व्यवहार से दुखी होता है ,तभी निजी डाक्टरों की तरफ भागता है.यहाँ यह कहना उचित नहीं है कि….’.जब .आदमी …की …शामत आती है तो….. वह नर्सिंग-होम की तरफ…. भागता है.वैसे यह अवधारणा भी सही नहीं है कि सभी सरकारी डाक्टर …अमानवीय व्यवहार ही करते हैं,या उन्हें ज्ञान नहीं होता, लेकिन लोकतंत्र में बहुमत को ही मान्यता मिलती है.यह तो एक छोटे शहर का छोटा सा ….आँखों देखा हाल था.न जाने कितने और भी …..अफ़साने हैं ,इस जहाँ में…..लेकिन क्या उसे निजी डाक्टरों या….निजी प्रेक्टिस करने वाले सरकारी डाक्टरों से ,राहत मिलती है? जी हाँ , तभी तो लोग उधर जाते हैं….लेकिन ज्यादा अच्छे की तलाश में …..डाक्टरों की रंगदारी का शिकार हो जाते हैं.जब तक समझ में आता है,तब तक ….माया विहीन हो जाते हैं. डाक्टरों की रंगदारी का एक पक्का ऊसूल है …….माया विहीन नरो पशु समानः ..और ऐसे मरीजों को रेफर कर दिया जाता है.
बड़े शहरों के बड़े नर्सिंग- होमों की अलग -अलग दास्ताँ है.एक बड़े शहर में ,जहाँ अब मैं रहता हूँ,के एक ह्रदय-विशेषज्ञ डाक्टर का मशहूर नर्सिंग होम है.कुछ ही महीने पहले की बात है,मेरे ठीक बगल के पडोसी को बायीं तरफ कुछ हल्का सा दर्द था,उनकी पत्नी के जिद करने पर ,श्रीवास्तव जी,उस नर्सिंग-होम में ,डाक्टर साहब को दिखाने चले गए.यही उनका अपराध था.बस क्या था……डाक्टर साहब ने कुछ सात-आठ ,जाँच करा दिया.उन्हें घर,मात्र एक किलोमीटर, आने का मौका भी नहीं दिया ,और तत्काल उन्हें……. सी.सी.यू……. में डाल कर चार-पांच इंजेक्शन …….घुसेड़ दिया,और उनकी ..धर्मपत्नी से कह दिया…………’आप उन पचीस % भाग्यशालियों में हैं,जो ……सही समय आ गयीं….भगवान् का ……लाख-लाख शुक्र है ,वर्ना इनको बहुत ही गंभीर ……दिल का दौरा …..आधे घंटे में ही पड़ने वाला था.बेचारी ……घबड़ा गयीं,…ऐसा लगा की उनके पति देव से पहले उन्ही को ,……दिल का दौरा …..पड़ जायेगा.एक पल तो उन्हें ऐसा लगा कि….जैसे ….. निर्मल बाबा…..हाथ हिलाकर बोल रहे हैं……’बच्चा,घबड़ाओ मत ……काउंटर वाले बाबा से मिल लो ……सब ठीक हो जाएगा’..उसी बदहवासी में….काउंटर बाबा की तरफ भागी……क्या हुआ है,बाबा? काउंटर बाबा बोले……केवल पांच ब्लाकेज हैं,……एक लाख साठ हज़ार का पैकेज है.अभी ज़मा कर दें ,कल ही ……बाई-पास सर्ज़री हो जाएगी…..किसी तरह से पड़ोसियों को काल किया,दोनों बेटों व बेटी को फोन किया.हम लोग उसी समय ,परिजन अगले दिन पहुँच गए,क्योंकि बाहर रहते हैं. बच्चों ने रिपोर्ट मांगी तो,उनके नियमों के विरुद्ध होने के कारण ,इंकार कर दिया.अन्यत्र ….ले जाने के लिए पूछा तो बताया कि…. अपने रिस्क पर ले जाइये ,…….रास्ते में अगर बच जायं ,तो बेसक दूसरे डाक्टर को दिखा दो….मरता क्या न करता? किसी तरह से ……क़र्ज़ लेकर …..रंगदारी चुकाई गयी.तीसरे दिन आपेरशन हुआ.बाद में रिपोर्ट मिली……तो कहीं ब्लाकेज नहीं था,केवल हल्का सा एक स्पाट था,जो दवा से ठीक हो सकता था.
शहर का सबसे माना-जाना नर्सिंग होम तो इससे बहुत आगे है.एक बार पहुँच गए ,तो अंतिम समय तक या माया उपलब्ध रहने तक ,…..जो भी पहले हो,धमका -धमका कर रंगदारी वसूली जाती रहती है.जहाँ तक मै…..जानता हूँ,सभी नर्सिंग होम ,…कुछ अपवादों को छोड़कर ,…….रंगदारी प्रथा के पथ पर चलना शुरू कर दिए हैं.इसके पीछे धन-लोलुपता के साथ ही….रंगदारी चुकाने……. के लिए कमाई भी ,एक कारण हो सकता है.
कहने का तात्पर्य यह है कि सरकार को अपनी स्वास्थ्य-सेवाओं को…….स्वस्थ बनाना होगा,ताकि…. जनता का विश्वास सरकारी अस्पतालों में,फिर से जगे और उसे ……डाक्टरों की रंगदारी से निज़ात मिल सके.निजी डाक्टरों को भी मानवीयता को ध्यान में रखकर ,पैसा कमाना चाहिए..जय हिंद! जय भारत!!

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