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बाबा!….रे…..बाबा!!!

AAKARSHAN
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बचपन में, जब से कोई भी …बच्चा बोलना शुरू ..करता है तो……..मम ..म्म…..म्म…मम!…या ..,.बू …ऊ …ऊ ..आ!!….या बा..आ..आ ..बा..!!!! आदि शब्दों का उच्चारण करने का प्रयास करता है.यह सुनते ही सभी परिजन…… उसे बार बार सुनने को… लालायित हो जाते हैं और उस समय उनकी ख़ुशी का ठिकाना नहीं रहता….माँ की… खुशी का ….बयान करना मुश्किल होता है.ऐसा भी नहीं है की ……सभी बच्चे इसी क्रम में या इन्ही शब्दों से शुरू करते हों ,लेकिन अधिकतर ..यही सुना जाता है.बच्चा क्या कहना चाहता है ,यह तो वह भी नहीं समझता ,लेकिन….मम्मी ….बूआ ….और बाबा तो अपने -अपने लिए मतलब लगा लेते हैं और प्रसन्न हो जाते हैं.थोडा समझ होने पर ,यह समझ आने लगता है कि मम्मी कौन है …बुआ कौन है और बाबा कौन ? बचपन की धुधली यादे …यही बताती हैं कि बाबा अपनी गोद में जब उठा लेते थे तो ….अच्छा लगता था .धीरे – धीरे …….साधू बाबा .और सारंगी बजाते हुए जोगी बाबा …भी समझने लगा …. गेरुआ वस्त्र -धारी बाबाओं …..के दर्शन भी कभी -कभी होने लगे .कभी -कभी ,डराया भी जाता था कि ….”दूध पी लो …नहीं तो साधू -बाबा पकड़ ले जायेंगे .” डर के मारे …..न चाहते हुए भी पीना पड़ता था ,क्योंकि साधू बाबा के पास एक बड़ा सा झोला हुआ करता था .सोचता था कि बच्चों को पकड़कर बाबा उसी झोले में डाल लेते होंगे !!…लेकिन कुछ वर्षों के बाद तो गेरुआ -वस्त्र धारी बाबाओं की संख्या बढ़ने लगी .मन में यह विचार आने लगा कि ….कुछ वर्षों के बाद ……क्या सभी लोग गेरुआ- वस्त्र -धारी याने कि जोगी -बाबा तो नहीं हो जायेंगे ?पहले ,,जो कुछ भी देखा था या सुना था ,बड़ी श्रद्धा थी ….इन साधू – बाबा और जोगी – बाबा लोगों के लिए.
. बचपन में एक बार , योगिराज देवरहा बाबा…. का दर्शन करने का सौभाग्य हुआ.अजीब सा तेज़ था उनका .पूरे शारीर में भस्म लगाए ,.लंगोट पहने और …..मृगछाला से …. कमर के नीचे ढक कर सामने आकर दर्शन दिए .पहले तो मै डर गया ,लेकिन पिता जी साथ में थे.उनके कहने पर दूर से ही प्रणाम किया .बाबा प्रायः दूर से ही दर्शन देते थे.लेकिन उनके प्रति मन में श्रद्धा हुई .एक बार चित्रकूट के अनुसुइया आश्रम के बाबा का दर्शन किया . गज़ब चमक थी उनके चेहरे पर………और भी संत -महात्माओं ,शंकराचार्यों के दर्शन करने का सौभाग्य भी मिला .वास्तव में ये सभी श्रद्धेय लगे.ये ……. व्यापारी नहीं ,सन्यासी लगे.यद्यपि कुछ मठों में उत्तराधिकार के लिए छिटपुट घटनाएँ सुनाई पड़ती रहती हैं ..लेकिन आज -कल के बाबाओं ने साधू के वेश में ,अपनी हर , इंसानी , इच्छा को पूरा करने का बीड़ा उठा लिया है . साध्वियां भी इनसे पीछे नहीं हैं .
आज- कल …बाबा जय गुरुदेव… सुर्ख़ियों में हैं .बाबा लगभग १२००० करोड़ की संपत्ति छोड़कर परलोक चले गए .इन बाबा.को मै ….’टाट -गुरु’ .के नाम से जानता था.जब हम लोग…… ,काफी अरसे पूर्व ,यह देखे कि ….बाबा ने अपने भक्तों को टाट के कपड़े पहनने को कहा है ,तो उनके दर्शन की लालसा हुई .कुछ ही दिनों बाद…… मेरी अभिलाषा पूरी हुई .बाबा हमारे शहर में पधारे …..बहुत भीड़ थी ,लेकिन एक मारवाड़ी परिवार ,जिनके वहां बाबा रुके थे,….से मेरा परिचय होने के कारण सुगमता से दर्शन मिल गया .मुझे बहुत ….. धक्का लगा,………..जब बाबा को …..ब्रेसलेट की धोती पहने और ,एयर- कंडीशंड रूम में बैठे देखा .बाबा के कमरे में दो -चार पुरुष थे,शेष ,…युवतियां और महिलायें , जो व्यापारियों के घर की थी .मैं अवाक ! होकर मित्र से पूछा ……बाबा टाट में नहीं !!!? उसने हंसकर जबाब दिया ….चलो यहाँ से ….. यह सब मत पूछो ………पता नहीं क्यों ,….. अचानक ही … मेरे दिमाग में आया ,…..कहीं कोई हेसियन क्लाथ (टाट ) का बड़ा व्यापारी तो इनका चेला नहीं????2007 की बात है ,कार से ,आगरा से दिल्ली आते समय उनका ….साम्राज्य देखा ,जो अपने …….यौवन की दहलीज़ …… पर था, मुंह से अनायास ही निकल पड़ा …..बेचारा!! ताज -महल क्या सोचता होगा ?.अब तो सच्चे और वास्तविक बाबा को ढूंढना पड़ता है ….व्यास के बाबा हों या अक्षर – धाम के संस्थापक ,………….जिनकी अथाह संपत्तिया हैं .कुछ प्रमुख बाबाओं की संपत्तियों के अनुमानित आंकड़े चौकाने वाले है ….हिन्दू बाबा ,पंजाबी बाबा हो या अन्य सम्प्रदायों के गुरु ,कोई पीछे रहने को तैयार ही नहीं लगता.महेश योगी (250 अरब )….सत्य -सांई- बाबा( चालीस हजार करोड़ ),….पाल दिनाकरण (;5000 करोड़ ),बाबा राम -रहीम (>५०० करोड़ ),रवि शंकर (>500 करोड़ ),आशा राम बापू ,मुरारी बापू ,माता अमृतानंदमयी ,और निर्मल बाबा क्यों पीछे रहें? .
दुर्भाग्य ! है हमारे देश का!…….कहीं बाबा लूट रहे हैं तो ,कहीं नेता और अधिकारी …….कोई ….. डंके की चोट पर…… लूट रहा है तो ….,कोई ….. सत्ता की नोंक पर…………हम भी कम नहीं हैं …….जो जहाँ है वहीँ लूट रहा है ,……जितना जिसकी शक्ति???/….कोई जान – बूझ कर लुट रहा है……,कोई मजबूरी में ,……जिसकी ..जितनी भक्ति!!……….मायामोह से दूर रहने की दीक्षा देने वाले …ये ..मायावी……..माया से ऐसे चिपक गए हैं .हटने की बात भी नहीं सोचते ………योग सिखाने वाले ……..रामदेव बाबा …अरबों में खेल रहे हैं .माया पर ही … शीर्षासन…. लगा लिए हैं , और …..सत्तासन …सीख रहे हैं .केवल माया-मोह तक ही सीमित हो ,तो भी यह समझा जाय कि…. चलो भाई …..चलता है ..भोग से दूर रह कर …..ईश्वर की शरण में जाने की सीख देने वाले ……..खुशबू ….की शरण में जाने लगे हैं .स्वामी कहलाने वाले ……नित्यानंद की केवल .. खुशबू ही नहीं…. अनेक महिलाओं पर( कृपा )…दृष्टि ….रहती है .बाबा….विकासानंद …को अश्लील सी डी के मामले में चालीस साल की सजा हुई है , तो गाज़ियाबाद के एक बाबा ने …..शादी से मना करने पर….. लड़की को अगवा …… कर लिया .ढोंगी बाबाओं… की भी कमी नहीं है I हमारे देश में .कुछ बाबा तो विज्ञान भी सीख लेते हैं और चमत्कार से लोगों को चकित करते हैं .सत्य- साईं बाबा पर भी ऐसे आरोप लगे थे.बाल्टी- बाबा भी हुआ करते थे, जो मनवांछित फल बाल्टी में से निकाल कर देते थे.
आज भी इस देश में सच्चे योगियों और हठ -योगियों की कमी नहीं है .लेकिन ….भोगी और ढोंगी बाबाओं के कारण ,विश्वास करना कठिन हो गया है ,कि कौन योगी है और कौन ढोंगी और पाखंडी ?…आप ने ….. खडेश्वरी बाबा (हनुमान दास)….. का नाम सुना होगा ,जो एक पैर पर ही खड़े रहते हैं.अमर भारती बाबा…….. के विषय में,यह कहा जाता है कि बाबा ……पिछले सत्ताईस वर्षों से एक हाथ ऊपर ही उठाये रहते हैं…….मैंने इन्हें देखा नहीं है…. . सुना जाता है कि .हिमालय की गुफाओं में और …..बदरीनाथ की पहाड़ियों में आज भी योगी ,महात्मा रहते हैं ,और …पूर्णिमा के दिन बदरीनाथ के दर्शन के लिए आते हैं ….जो भी हो यह समाज ऐसे ही चलता आया है और चलता रहेगा .आप ने बहुत सी औरतों या ,लड़कियों को …’.दैया ..रे ..दैया !! कहते सुना होगा लेकिन यह अब कम ही सुनने को मिलता है .अब तो प्रायः ,….आपसी बात- चीत में …उनके भी मुंह से भी ……यही सुनने को मिलता है ………” बाबा….. रे …… बाबा”. जय हिंद ! जय भारत !!

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