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मायावती जी ने मिश्रा जी की स्व. माताजी के नाम से विकलांग विश्वविद्यालय की घोषणा करके एक तीर से अनेक निशाना मारने का प्रयास किया है.इसे भी अपने दादा जी को समर्पित करना नहीं भूलीं .विकलांगों के लिए, यह अवश्य ही सराहनीय कदम है .इस ओर किसी राजनेता या सत्ताशाहों का ध्यान नहीं गया था.लेकिन मायावती जी ने यह सोच लिया कि अकेले सतीश मिश्रा जी ही ब्राम्हणों के एक मात्र नेता हैं और सारे प्रान्त या देश के ब्राम्हण उनकी मुट्ठी में हैं .यह सभी को मालूम है की किस तरह से मिश्र जी को मुख्य धारा से किनारे कर दिया गया था और अब चुनाव का समय आने पर उनको झुनझुना पकड़ा कर ब्राम्हणों को लालीपाप दिखाया जा रहा है.सभी को मालूम है कि सरकारी विभागों में सभी पदों पर अनु. जाति को २५% आरक्षण की बात करने वाली मायावती जी ने ,प्रान्त के सभी विभागों के महत्वपूर्ण पदों के ७०% से भी अधिक पदों पर ,योग्यता या वरिष्ठता को दरकिनार करके ,सवर्णों या अन्य वर्गों के अधिकारियों को कम महत्व के पदों पर तैनात करके ,जाति के आधार पर तैनाती कर रखा है,जिससे उनकी हताशा बढ़ी है.मेरा यह अनुरोध है कि जाति को आधार न बना कर आवश्यकता के आधार पर विकास कराया जाय और योग्य अधिकारियों को ही जिम्मेदारियां दी जाय.जनता का विकास सर्वोपरि होगा तो समस्त जातियों का विकास स्वतः होगा.उन्हें यह साबित करना चाहिए कि सर्व-जन-हिताय का नारा धोखा नहीं है,बल्कि सच्चाई है ,वर्ना जनता उनकी चालाकी को दरकिनार कर देगी और उनकी तैनाती कहीं और कर देगी.जय हिंद ! जय भारत!!
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