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संवेदन-हीन हो गए हैं….. नेता

AAKARSHAN
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चाहे आतंकवादी हमला हो या हादसा ,किसी महिला या बच्ची के साथ बलात्कार हो या हत्या,किसी मंदिर में भगदड़ हो या मेले में,…… इनके चेहरे पर तो दर्द का कोई एहसास या लक्षण दिखाई ही नहीं पड़ता .आतंकवादी को फाँसी पर लटकाना हो या जेल में रखकर उसका आदर -सत्कार करना हो,इनके गैर -ज़िम्मेदारान बयान …सुनते ही शरीर में जैसे आग लग जाती है .इनके नज़र में ……..यह मामूली बात होती है या ऐसी छोटी -छोटी घटनाएं तो होती ही रहती हैं……ऐसे बयान सुनकर क्या आप का क्रोध नहीं फट पड़ता है?.लेकिन क्या करें हम या क्या करे जनता? .इनके तो रग -रग में जैसे इंसानी खून ही न हो.इन संवेदन-हीनों को तो कोई फर्क ही नहीं पड़ता ,क्योंकि इनके पास तो धर्म की माया है ,जाति- वाद का जादू है और वादों का छलावी -पिटारा है .ये जानते हैं कि चुनाव आने के पहले ये घड़ियाली -आंसुओं से ,जातिवाद के चाबुक से या धर्म और ज़ेहाद की दुहाई देकर चुनाव जीत ही जाते है .इनकी प्रतिक्रिया ठीक वैसी ही होती है,जैसे किसी मर्डर के केस में……पुलिस वालों की या अस्पतालों में किसी मरीज़ के मर जाने पर डाक्टरों की, क्योंकि यह तो उनके लिए रोज़ -मर्रा की बातें होती हैं.मुझे आज भी याद है ……नोएडा का बहु -चर्चित आरुषी-हत्या-कांड .याद है,हत्या के बाद जांच हेतु पहुंचे ,मुस्कराते हुए उस पुलिस -अधिकारी का ….टी .वी . पर चेहरा ,जैसे किसी फिल्म की शूटिंग पर आये हों ,और आप ने उस केस को आज-तक अंजाम तक पहुँचते नहीं देखा. प्रशासनिक अधिकरियों को तो संवेदन-हीनता का पाठ ही पढ़ाया जाता है .इसीलिए उन्हें …मानवता भी भूल जाती है.
इलाहाबाद के स्टेशन पर….भगदड़ में भले ही 36 लोग मरे और सैकड़ों घायल हों ,माननीय मंत्री जी का यह कहना कि…..यह कोई बड़ी बात नहीं है,सभी इन्तेजाम अच्छे हैं, सुनकर शर्म से सभी की आँखें झुक गयीं .मंत्री जी वहां जाना भी उचित नहीं समझे.यद्यपि अखिलेश यादव ने दिखाने के लिए उनसे …..इस्तीफा ले लिया है,लेकिन यह मात्र कुछ दिनों के लिए ही है,क्योंकि ….मुख्य-मंत्री जी अच्छी तरह से जानते हैं कि….उनके बड़ -बोले आज़म खान इतने कमज़ोर नहीं है.अपने उद्दंड-व्यवहार और बेलगाम बयानों की वजह से कई बार सपा की सरकार की ओर से स्पष्टीकरण देना पड़ता है.कुछ ही पहले रेल में भिड़ गए. सरकारी अफसरों को डंडे की भाषा समझ में आने या कर्मचारियों को गद्दार कहने में कोई संकोच न करने वाले नेता जी को यह समझ लेना चाहिए कि ….जनता की निगाह में वह भी ,उसी भाषा के पात्र हो सकते हैं.वह कोई …देव-दूत या अल्लाह के नुमाइन्दे नहीं हैं.सरकार के प्रमुख -गृह -सचिव ,ने और भी बचकाना बयान दे दिया कि……रेलिंग टूटने से हादसा हुआ.और भी हंसी के पात्र तब बने ….जब रात को साढ़े बारह बजे …..पत्रकारों को बुलाकर …सही सूचना नहीं दे सके और पत्रकारों का ज़वाब न देकर भागने लगे…वाह रे …प्रमुख सचिव! यदि यह कार्य कोई अधीनस्थ करता तो अब-तक ..निलंबित हो गया होता.लेकिन ….शायद! ऊँची रसूख़ वाले हैं,तभी तो अबतक निलंबित नहीं हुए! पुलिस के डी.आई.जी. ने बयान कर दिया कि…….लाठी-चार्ज नहीं हुआ,जब कि जनता चीख-चीख कर कह रही थी कि ….कुछ बुजुर्गों पर लाठी-चार्ज करने और उनके घायल होकर गिर जाने के कारण ही ….भगदड़ मची.किसी की …माँ मरी तो किसी की बेटी,किसी की बहन गायब है तो किसी की पत्नी.कमिश्नर साहेब!तो जनता के कोप से ..बच गए तो मुख्य-सचिव महोदय ने……30 दिन में जांच कराने की घोषणा कर दी.पाँच-पाँच लाख की सहायता की घोषणा ..मुख्य-मंत्री ने कर के अपनी ज़िम्मेदारी का परिचय दे दिया.इलाहबाद स्वयं जाने की बात पर ,यह कह कर पल्ला झाड़ लिए कि उनके मंत्री गए हैं.लेकिन जिनके अपने बिछुड़ गए ..क्या उन्हें कोई वापस कर पायेगा?
देर से ही सही ,दिल्ली में बयान करते -करते, शायद ,सोनिया-गाँधी के कहने पर,रेल -मंत्री जी ने , इलाहबाद पहुँच कर …अपने श्री-वचन …से जनता को …आगाह करते हुए यह कह दिया कि….. इतनी ज्यादा भीड़ के लिए …..गाड़ियाँ चलाना रेलवे के लिए असंभव है.उसके बाद भी यह बयान देते ही जा रहे हैं कि ……बजट में किराया और बढाया जा सकता है.पता नहीं ….शर्म जनता को आनी चाहिए या उन्हें?जहाँ तक मुझे ज्ञात है अभी तक प्रधान-मंत्री के बाद किसी दल के बड़े नेता ने …संवेदना भी प्रकट नहीं किया है.शासन,प्रशासन और रेलवे ,एक-दूसरे की ,व्यवस्था की कमियों की ओर इशारा कर रहे हैं.वाह! रे!! हमारे अधिकारी और नेता.संवेदनहीनता की …..पराकाष्ठा हो गयी है.
जय हिन्द! जय भारत!!
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