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क्षेत्रिय दल कितने खतरनाक

लगे तो लगे
लगे तो लगे
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भारत की राजनीति में इन दिनों क्षेत्रिय दल लगातार गदहे की तरह राग अलाप रहे हैं कि आने वाले आम चुनाव में राष्ट्रीय पार्टियां नहीं बल्कि क्षेत्रिय पार्टियां मिलकर तीसरे मोर्चे के तहत केंद्र में सरकार बनाएगी.. कांग्रेस एक बार फिर से लगातार तीसरी बार सत्ता में काबिज होने के सपने देख रही है तो वहीं बीजेपी भी दंभ भर रही है कि इस बार केंद्र की सत्ता में भाजपा का आना तय है…. खैर ये तो आने वाला वक्त ही बताएगा कि कौन दिल्ली की सत्ता पर काबिज होता है… लेकिन खास बात ये कि इस बार जनता को मतदान करते समय ध्यान रखना होगा कि आखिर वो अपना बहुमुल्य वोट आखिर किसे दें…. बात की जाए क्षेत्रिय दलों की तो इनकी मंशा क्या है… किसी से नहीं छिपी…. ऐसा इसलिए कि… आप उत्तराखंड और झारखंड का उदाहरण देख सकते हैं कि वहां क्षेत्रिय दलों ने क्या स्थिति बना रखी है…. बात झारखंड की हो तो शिबु सोरेन की झामुमो कांग्रेस के साथ भी सत्ता में रहकर सत्ता सुख भोगती है और बीजेपी के साथ रहकर भी… वहीं उत्तराखंड में भी कमोबेश कुछ ऐसा ही हाल है…. इससे पहले निशंक की सरकार में उक्रांद के दिवाकर भट्ट मंत्री थे… तो वर्तमान बहुगुणा सरकार में उक्रांद के एक मंत्री सत्ता का सुख भोग रहे हैं…. वो भी तब जब उक्रांद ने उन्हें पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया है…. अब उत्तराखंड आईए और देखिये कि यहां की सड़कों और आबो हवा की जो स्थिति आज से 8 से 10 साल पहले हुआ करती थी.. वैसी है क्या… वहीं झारखंड में तो दुर्गति हो गई है… इस बात का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि जिस राज्य को बने 10 से उपर का समय हो चुका है और वहां इन 10 सालों मे ं आठ मुख्यमंत्री बदल चुके….

अब इन क्षेत्रिय दलों की जन्मकुंडली भी देख लीजिये…. अगर भाजपा से बाबुलाल मरांडी रुठते हैं तो झारखंड विकास मोर्चा नाम से पार्टी बना लेते हैं और भी इसी तरह कई अन्य प्रदेशों का भी यहीं हाल है… फिर पार्टी बनाने के बाद कहते हैं कि ये राष्ट्रीय दल देश को लूट लेंगे… अरे भाई जब आप मलाई खा रहे थे तो आपको ध्यान नहीं आया… ताजा मामला सपा सुप्रीमो मुलायम सिंह यादव का है… जो करीब नौ साल तक यूपीए के साथ रहे और अब कह रहे हैं कि कांग्रेस बेईमानों की पार्टी है… अब कौन क्या है ये तो राजनेता ही जाने… अब आम चुनाव के पहले…. ये क्षेत्रिय दल कह रहे है कि तीसरे मोर्चे के बिना किसी भी राष्ट्रीय दल की सरकार नहीं बन सकती… सही भी है… आखिर इन्हें भी तो अपना संगठन चलाना है…. साथ ही अपने आप को भी लाईमलाईट में रखना है…. ऐसा नहीं है कि मैं क्षेत्रिय दलों को बुरा कह रहा हूं…. नहीं ऐसा नहीं है… अगर ऐसा होता तो पुरे दक्षिण भारत की स्थिति देख लीजिए साथ ही कोलकाता को भी…. वहां भी तो क्षेत्रिय दल ही सरकार चला रहे है… दरअसल जरुरत है…. सभी क्षेत्रिय दलों को एक मंच पर आकर देशहित और जनता के हित के बारे में सोचने का… अगर इन्हें देश और जनता के लिए कुछ करना है तो… साथ ही जनता को भी सोचने और समझने का समय है ये… कि आखिर इन्हें भी तो मौका दीजिए….

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